भोपाल। जहां एक और कोरोना के कहर से लोगों को कुछ राहत मिली है. वहीं दूसरी और सरकार के लिये नए संकट सामने आ रहे हैं. अब हेल्थ डिपार्टमेंट अधिकारी कर्मचारी संघ ने अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन दिया है. 15 दिनों में मांगे पूरी न होने पर हड़ताल पर जाने की बात कही है. संघ का कहना है कि सरकार से इन मांगों को लेकर 2019 में चर्चा हुई थी, पर आज दिनांक तक इन मामलों में सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया है. इस महामारी में सबसे ज्यादा काम उन लोगों ने ही किया है. उनके काम की सराहना प्रधानमंत्री तक ने की है. ऐसे में उनकी मांगों पर सरकार को विचार करना चाहिए.
लिखित और मौखिक रूप से किया निवेदन
मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारियों की समस्याओं व मांगों को लेकर संघ द्वारा वर्षों से लिखित व मौखिक रूप से निवेदन किया जाता रहा है. परंतु आज तक इन कोरोना योद्धाओं की मांगों का निराकरण सरकार द्वारा नहीं किया गया है, जिसके चलते प्रदेश भर के स्वास्थ्य कर्मचारियों में व्यापक असंतोष व्याप्त है. संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेन्द सिंह कौरव ने बताया कि सरकार और विभाग में उच्च पदों पर बैठे लोग जानबूझकर मनमानी और तानाशाही कर नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ का शोषण कर रहे हैं, जबकि उनके लोग अपनी जान और परिवार की परवाह किये बिना दिन-रात इस कोरोना काल में भी मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि इस महामारी में पूरे प्रदेश में 100 से ज्यादा कर्मचारियों ने अपनी जान गवाई है. उनके परिवारों के प्रति भी सरकार को विचार करना चाहिये.
मांगों पर आज तक नहीं हुई कार्रवाई
कौरव ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगों को लेकर 16/10/2019 को मंत्रालय में हेल्थ डिपार्टमेंट अधिकारी-कर्मचारी संघ द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन पर चर्चा के लिए मुख्य सचिव स्वास्थ्य की अध्यक्षता में बैठक हुई. विभाग के सभी अधिकारियों की उपस्थिति में प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों की लंबित मांगों के निराकरण के लिये बिंदु क्रमांक 1 से 9 तक के संबंध में चर्चा की गई थी, जिसमें मुख्य सचिव ने विभाग को सभी नौ बिंदुओं पर काईवाई के निर्देश दिए थे, पर आज तक स्वास्थ्य संचालनालय से कोई काईवाई नहीं हुई है.
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कौरव ने बताया कि विभाग से उन बिंदुओं पर कोई काईवाई न होने से प्रदेश के नर्सिंग स्टाफ, ड्रेसर, फार्मासिस्ट, संविदा कर्मचारियों और पैरामेडिकल स्टाफ और विभाग के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में भारी आक्रोश है. संघ ने प्रदेश व्यापी आंदोलन का निर्णय लिया है. संघ ने अपने ज्ञापन के माध्यम से मांग की कि मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से उनकी मांगों पर संज्ञान लेकर संघ से चर्चा करें, जिससे उन्हें पता चले कि अधिकारी कितनी मनमानी पर उतारू हैं.
संघ की प्रमुख मांगे
- नर्सेस कर्मचारियों का केंद्र व अन्य प्रदेशों की तरह पदनाम में परिवर्तन किया जाये. स्टाफ नर्स को नर्सिंग ऑफिसर में और नर्सिंग सिस्टर को सीनियर नर्सिंग ऑफिसर का दर्जा दिया जाये.
- तीन व चार वेतन वृद्धि ग्वालियर व रीवा मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों को दी गई है. अन्य मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों के साथ विभाग द्वारा सौतेला व्यवहार कर आज दिनांक तक नहीं दी गई. शेष मेडिकल कॉलेज के नर्सिंग स्टाफ को तीन व चार वेतनवृद्धि दी जाये.
- अन्य प्रदेशों की भांति मध्यप्रदेश के नर्सेस कर्मचारियों को ग्रेड-2 का दर्जा दिया जाये और वेतनमान 9300-4600-34800 दिया जाये.
- स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों की भांति समस्त स्वास्थ्य तथा मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मचारियों, पैरामेडिकल तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को आकस्मिक रात्रि कालीन भत्ता दिया जाये.
- शासन द्वारा शासकीय कार्य के दौरान जिन स्वास्थ्यकर्मियों की संक्रमण से मौत हो गई है, उन कोरोना योद्धाओं को 50 लाख रुपये देने का प्रावधान निहित किया गया है. ऐसे में विभाग के अंतर्गत समस्त महाविद्यालयों व चिकित्सालयों के कोरोना योद्धा किमकी मृत्यु संक्रमण से हुई है. उनके परिवार को 50 लाख रुपये प्रदान किए जाने के लिए शीघ्र प्रस्ताव भेजा जाए. ताकि आपत्ति की घड़ी में दिवंगत कर्मियों के परिवार को 15 दिवस के अंदर आर्थिक सहायता मिल सके.
- मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय व इग्नू से विभागीय स्टाफ नर्स को बीएससी नर्सिंग कोर्स के लिए विभाग द्वारा अनुमति देकर डिग्री कोर्स कराया गया था. परंतु विभाग द्वारा उन्हें पदोन्नति नहीं दी जा रही है. उन्हें पदोन्नति दी जाए.
- संविदा में वर्षों से कार्यरत समस्त अधिकारी कर्मचारियों को शासन की वर्ष 2018 की नीति के अनुसार वेतन का 90% वेतन दिया जाए. अन्यथा नियमित किया जाए.
- कंपाउंडर फार्मासिस्ट ग्रेड-2 का वेतनमान 2800 को ग्रेड-पे किया जाए.
छिंदवाड़ा में भी संविदा कर्मियों ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
छिंदवाड़ा जिले में भी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम ज्ञापन अपर कलेक्टर को सौंपा है. मांगे पूरी नहीं होने पर आगामी 24 तारीख से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात कही है. संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि लगातार कोविड-19 संक्रमण के चलते वहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि 5 जून 2018 को संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बनाई गई थी जो कैबिनेट में पारित की गई थी और सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश अनुसार सभी कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी का न्यूनतम 90% वेतनमान देने के आदेश प्रस्तावित हुए थे जिसके अनुसार सभी को 90% वेतन का लाभ दिया गया है, लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की फाइल तीन वर्षों से वित्तीय विभाग से स्वीकृति नहीं की गई.