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भोपालः कोरोना काल में साफ-सफाई को लेकर लापरवाही, 12 स्कूलों को नोटिस जारी

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Published : Jan 27, 2021, 3:57 PM IST

भोपाल में कोरोना काल के बीच सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में साफ-सफाई को लेकर लापवाही सामने आई है. जिसके चलते जिला शिक्षा अधिकारी ने अब तक 12 स्कूलों को नोटिस भेजा है.

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स्कूलों में साफ-सफाई को लेकर लापरवाही

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूल 18 दिसंबर से खुल चुके हैं. स्कूलों में साफ सफाई के लिए प्रदेश सरकार ने 4 करोड़ 90 लाख का बजट जारी किया था. वहीं राजधानी भोपाल के 134 शासकीय स्कूलों के लिए ये राशि 71 लाख रूपए थी. सरकार की मंशा थी कि इस दौरान स्कूलों में साफ-सफाई और कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जाए. शुरूआत में तो इसका असर दिखा, लेकिन कुछ समय बीतते ही लापरवाही सामने आने लगीं. लिहाजा जिला शिक्षा अधिकारी ने अब तक 12 स्कूलों को नोटिस भेजा है.

स्कूलों में साफ-सफाई को लेकर लापरवाही

कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश में 21 सितंबर से कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए डाउट क्लास के लिए स्कूल खोले गए. वहीं 18 दिसंबर से 9वीं से 12वीं के स्कूल पूरी क्षमता के साथ खुल चुके हैं. स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों की साफ सफाई के लिए करोड़ों रूपये का बजट सितंबर माह में जारी किया था. करोड़ो रुपये साफ सफाई पर खर्च करने के बावजूद भी राजधानी के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में व्यवस्था जस की तस है. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यलय से हो रही मॉनिटरिंग में कई स्कूलों की लापरवाही सामने आई है.

हर सप्ताह होता है कक्षाओं में सेनेटाइजेशन

सुभाष स्कूल के प्राचार्य सुधाकर पराशर ने बताया कि कोरोना गाइडलाइन के तहत स्कूलों में सोशल डिस्टेन्स के साथ कक्षाएं लगाई जा रहीं हैं. कक्षाओं को हर सप्ताह सेनेटाइज़ किया जाता है. साथ ही स्कूल में हर क्लास रूम के बाहर सेनेटाइजर मशीन भी लगाई गई है. स्कूल में साफ-सफाई के लिए सफाई कर्मचारी हैं. जो व्यवस्था को देखते हैं.

उच्चतर माध्यमिक शाला की प्राचार्य मोनिका द्विवेदी ने बताया कि उनके स्कूल में कक्षा 9वीं से 2वीं में कुल 456 छात्र हैं. लेकिन संक्रमण के बीच अभी केवल 20% छात्र ही स्कूल आ रहे हैं. कुछ छात्र ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. वहीं 10% छात्र ऐसे भी हैं, जो न ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं और न ही स्कूल आ रहे हैं. उन्होंने कहा शासन के आदेश पर स्कूल तो खुल गए. लेकिन छात्रों की उपस्थिति आधी संख्या से भी कम है.उन्होंने बताया शासन के निर्देश अनुसार स्कूल में प्रतिदिन साफ सफाई होती है. बिना मास्क के किसी भी छात्र को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता है. साथ ही स्कूल में कक्षाओं को प्रतिदिन सेनेटाइज़ किया जाता है. जिसके लिए स्कूल में अलग से सफाईकर्मी लगाए गए हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से हो रहा है स्कूलों का निरीक्षण

राजधानी के शासकीय स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं ,स्कूल में साफ सफाई के क्या इंतजाम हैं इसका निरीक्षण करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्रतिदिन मोनिटरिंग की जा रही है. जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि कार्यालय में अधिकारी ,कर्मचारी प्रतिदिन 5 स्कूलों को वीडियो कॉल करके जायज़ा लेते हैं. साथ ही हफ्ते में 2 दिन स्कूल जाकर निरीक्षण किया जाता है किसी स्कूल को अगर साफ सफाई के लिए वर्कर चाहिए होता है, तो इसकी भी पूर्ति की जाती हैं. उन्होंने बताया निरीक्षण के दौरान कुछ स्कूलों में शिकायतें भी मिल रहीं हैं. इसमें ज़्यादातर स्कूल ग्रामीण इलाकों के है जंहा शिक्षक समय पर नही पहुंच रहे हैं और कोरोना गाइडलाइन का पालन भी नहीं किया जा रहा. उन्होंने बताया ऐसे 12 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है.

प्रदेश के 9149 स्कूलों पर साफ सफाई में हुए 4 करोड़ खर्च

बता दें प्रदेश में 21 सितंबर से कक्षा 9वीं से 12वीं के स्कूल डाउट क्लास के लिए खोले गए थे. 18 दिसंबर से स्कूलों में पूरी क्षमता के साथ कक्षाएं लगाई जा रहीं हैं. कोरोना संक्रमण के बीच छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए विभाग ने सितंबर माह में प्रदेश के 9149 स्कूलों के लिए 4 करोड़ 90 लाख का बजट जारी किया था. वहीं राजधानी के 134 सरकारी स्कूलों को 71 लाख 37 हज़ार का बजट दिया गया है. बावजूद इसके राजधानी के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों से शिकायत मिल रहा है कि स्कूल में साफ सफाई का ध्यान नहीं दिया जा रहा और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन भी किया जा रहा है. ऐसे 12 स्कूलों को अब तक कारण बताओ नोटिस मिल चुका है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूल 18 दिसंबर से खुल चुके हैं. स्कूलों में साफ सफाई के लिए प्रदेश सरकार ने 4 करोड़ 90 लाख का बजट जारी किया था. वहीं राजधानी भोपाल के 134 शासकीय स्कूलों के लिए ये राशि 71 लाख रूपए थी. सरकार की मंशा थी कि इस दौरान स्कूलों में साफ-सफाई और कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जाए. शुरूआत में तो इसका असर दिखा, लेकिन कुछ समय बीतते ही लापरवाही सामने आने लगीं. लिहाजा जिला शिक्षा अधिकारी ने अब तक 12 स्कूलों को नोटिस भेजा है.

स्कूलों में साफ-सफाई को लेकर लापरवाही

कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश में 21 सितंबर से कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए डाउट क्लास के लिए स्कूल खोले गए. वहीं 18 दिसंबर से 9वीं से 12वीं के स्कूल पूरी क्षमता के साथ खुल चुके हैं. स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों की साफ सफाई के लिए करोड़ों रूपये का बजट सितंबर माह में जारी किया था. करोड़ो रुपये साफ सफाई पर खर्च करने के बावजूद भी राजधानी के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में व्यवस्था जस की तस है. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यलय से हो रही मॉनिटरिंग में कई स्कूलों की लापरवाही सामने आई है.

हर सप्ताह होता है कक्षाओं में सेनेटाइजेशन

सुभाष स्कूल के प्राचार्य सुधाकर पराशर ने बताया कि कोरोना गाइडलाइन के तहत स्कूलों में सोशल डिस्टेन्स के साथ कक्षाएं लगाई जा रहीं हैं. कक्षाओं को हर सप्ताह सेनेटाइज़ किया जाता है. साथ ही स्कूल में हर क्लास रूम के बाहर सेनेटाइजर मशीन भी लगाई गई है. स्कूल में साफ-सफाई के लिए सफाई कर्मचारी हैं. जो व्यवस्था को देखते हैं.

उच्चतर माध्यमिक शाला की प्राचार्य मोनिका द्विवेदी ने बताया कि उनके स्कूल में कक्षा 9वीं से 2वीं में कुल 456 छात्र हैं. लेकिन संक्रमण के बीच अभी केवल 20% छात्र ही स्कूल आ रहे हैं. कुछ छात्र ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं. वहीं 10% छात्र ऐसे भी हैं, जो न ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं और न ही स्कूल आ रहे हैं. उन्होंने कहा शासन के आदेश पर स्कूल तो खुल गए. लेकिन छात्रों की उपस्थिति आधी संख्या से भी कम है.उन्होंने बताया शासन के निर्देश अनुसार स्कूल में प्रतिदिन साफ सफाई होती है. बिना मास्क के किसी भी छात्र को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता है. साथ ही स्कूल में कक्षाओं को प्रतिदिन सेनेटाइज़ किया जाता है. जिसके लिए स्कूल में अलग से सफाईकर्मी लगाए गए हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से हो रहा है स्कूलों का निरीक्षण

राजधानी के शासकीय स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं ,स्कूल में साफ सफाई के क्या इंतजाम हैं इसका निरीक्षण करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्रतिदिन मोनिटरिंग की जा रही है. जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि कार्यालय में अधिकारी ,कर्मचारी प्रतिदिन 5 स्कूलों को वीडियो कॉल करके जायज़ा लेते हैं. साथ ही हफ्ते में 2 दिन स्कूल जाकर निरीक्षण किया जाता है किसी स्कूल को अगर साफ सफाई के लिए वर्कर चाहिए होता है, तो इसकी भी पूर्ति की जाती हैं. उन्होंने बताया निरीक्षण के दौरान कुछ स्कूलों में शिकायतें भी मिल रहीं हैं. इसमें ज़्यादातर स्कूल ग्रामीण इलाकों के है जंहा शिक्षक समय पर नही पहुंच रहे हैं और कोरोना गाइडलाइन का पालन भी नहीं किया जा रहा. उन्होंने बताया ऐसे 12 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है.

प्रदेश के 9149 स्कूलों पर साफ सफाई में हुए 4 करोड़ खर्च

बता दें प्रदेश में 21 सितंबर से कक्षा 9वीं से 12वीं के स्कूल डाउट क्लास के लिए खोले गए थे. 18 दिसंबर से स्कूलों में पूरी क्षमता के साथ कक्षाएं लगाई जा रहीं हैं. कोरोना संक्रमण के बीच छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए विभाग ने सितंबर माह में प्रदेश के 9149 स्कूलों के लिए 4 करोड़ 90 लाख का बजट जारी किया था. वहीं राजधानी के 134 सरकारी स्कूलों को 71 लाख 37 हज़ार का बजट दिया गया है. बावजूद इसके राजधानी के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों से शिकायत मिल रहा है कि स्कूल में साफ सफाई का ध्यान नहीं दिया जा रहा और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन भी किया जा रहा है. ऐसे 12 स्कूलों को अब तक कारण बताओ नोटिस मिल चुका है.

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