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बच्चों की मौतों की जांच करने NHM की टीम पहुंची शहडोल, 13 बच्चों की हो चुकी है मौत

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Published : Dec 7, 2020, 5:55 PM IST

शहडोल में पिछले 1 सप्ताह में हुई 13 बच्चों की मौत के मामले में जांच करने के लिए एनएचएम की टीम शहडोल पहुंच गई है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 2 सदस्य शहडोल पहुंचे हैं. वहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर्स को क्लीन चिट दे चुका है.

NHM
एनएचएम

भोपाल। मध्यप्रदेश के शहडोल में पिछले 1 सप्ताह में हुई 13 बच्चों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बच्चों को लेकर हो रही लापरवाही की कई घटनाएं अब तक सामने आ गई हैं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर्स को क्लीन चिट दे दी है. जबलपुर से शहडोल गई जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह बताया था कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है, पर लापरवाहियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके बाद सोमवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 2 सदस्य की टीम शहडोल गई है.

मिशन संचालक के नेतृत्व में होगी जांच

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक छवि भारद्वाज के नेतृत्व में 2 सदस्य टीम शहडोल जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए गई है. टीम जिला अस्पताल के एसएनसीयू और पीआईसीयू का निरीक्षण करेगी. साथ ही मेडिकल कॉलेज में भी जल्द ही शुरू होने वाले एसएनसीयू और पीआईसीयू का भी निरीक्षण किया जाएगा. शहडोल जिला के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या स्थिति है इस बारे में भी निरीक्षण किया जाएगा.

स्वास्थ्य मंत्री ने दी क्लीनचिट

बता दें कि 13 बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी ने डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी थी. स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने यह बताया कि जबलपुर से जो जांच टीम गई थी, उनकी जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि बच्चों का समय पर इलाज किया गया. इलाज में कहीं कोई लापरवाही नहीं की गई थी. बच्चों को देरी से अस्पताल लाने और अभिभावकों में जागरूकता की कमी के कारण इतने बच्चों की जान गई है. आगे से ऐसा ना हो इसके लिए हम समीक्षा करेंगे.

रविवार को सामने आई थी घटना

गौरतलब है कि रविवार के दिन पिछले 24 घंटे में 4 नवजातओं की मौत का मामला सामने आया था. जिसमें 3 दिन से लेकर के 4 महीने तक के मौत बच्चों की मौत हुई थी. जिसमें पीआईसीयू में तीन और एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई थी. उसमें बुढ़ार के अरझूली के 4 माह का बच्चा, सिंहपुर बोडरी गांव के 3 माह का बच्चा, एक 2 माह का बच्चा, ये सभी पीआईसीयू में भर्ती थे. तो वहीं उमरिया जिले की एक बच्ची थी. वहीं नवजात की मौत से हड़कंप मच गया था. इसके बाद रविवार के दिन ही एक और बच्चे की मौत की खबर आई थी.

पढ़ें:Child Killer Hospital: 48 घंटे में फिर चार बच्चों की मौत, एक प्री मेच्योर भी शामिल

पिछले 6 दिनों में बच्चों की मौत का आंकड़ा पहुंचा 12

वहीं सोमवार तक पिछले 48 घंटे में बच्चों की मौत आंकड़ा बढ़कर 6 पहुंच गया था. मंगलवार तक दो बच्चों की मौत के बाद शहडोल जिला अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा 8 पहुंच चुका था. मंगवालर के बात शुक्रवार तक पिछले 48 घंटे में 4 और बच्चों की मौत का मामले सामने आया है. जिसके बाद यह आंकड़ा 13 पहुंच चुका है.

पढ़ें:शहडोल में 12 बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री का बयान, इलाज में नहीं हुई लापरवाही

स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों की दी थी क्लीनचिट

वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर उठ रहे सवालों पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि यह गम्भीर मामला है, जहां बच्चों की मौत हो रही है. निमोनिया ज्यादा बढ़ रहा है. मंत्री ने कहा कि हमने निर्देश दिए हैं कि उस क्षेत्र में जाकर सर्वे किया जाये और देखा जाए कि कहीं कोई बच्चा पहले से पीड़ित तो नहीं है. क्योंकि सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले बढ़ जाते हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया पर फिर भी बच्चे नहीं बच पाए. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के शहडोल में पिछले 1 सप्ताह में हुई 13 बच्चों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बच्चों को लेकर हो रही लापरवाही की कई घटनाएं अब तक सामने आ गई हैं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर्स को क्लीन चिट दे दी है. जबलपुर से शहडोल गई जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह बताया था कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है, पर लापरवाहियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके बाद सोमवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 2 सदस्य की टीम शहडोल गई है.

मिशन संचालक के नेतृत्व में होगी जांच

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक छवि भारद्वाज के नेतृत्व में 2 सदस्य टीम शहडोल जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए गई है. टीम जिला अस्पताल के एसएनसीयू और पीआईसीयू का निरीक्षण करेगी. साथ ही मेडिकल कॉलेज में भी जल्द ही शुरू होने वाले एसएनसीयू और पीआईसीयू का भी निरीक्षण किया जाएगा. शहडोल जिला के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या स्थिति है इस बारे में भी निरीक्षण किया जाएगा.

स्वास्थ्य मंत्री ने दी क्लीनचिट

बता दें कि 13 बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी ने डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी थी. स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने यह बताया कि जबलपुर से जो जांच टीम गई थी, उनकी जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि बच्चों का समय पर इलाज किया गया. इलाज में कहीं कोई लापरवाही नहीं की गई थी. बच्चों को देरी से अस्पताल लाने और अभिभावकों में जागरूकता की कमी के कारण इतने बच्चों की जान गई है. आगे से ऐसा ना हो इसके लिए हम समीक्षा करेंगे.

रविवार को सामने आई थी घटना

गौरतलब है कि रविवार के दिन पिछले 24 घंटे में 4 नवजातओं की मौत का मामला सामने आया था. जिसमें 3 दिन से लेकर के 4 महीने तक के मौत बच्चों की मौत हुई थी. जिसमें पीआईसीयू में तीन और एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई थी. उसमें बुढ़ार के अरझूली के 4 माह का बच्चा, सिंहपुर बोडरी गांव के 3 माह का बच्चा, एक 2 माह का बच्चा, ये सभी पीआईसीयू में भर्ती थे. तो वहीं उमरिया जिले की एक बच्ची थी. वहीं नवजात की मौत से हड़कंप मच गया था. इसके बाद रविवार के दिन ही एक और बच्चे की मौत की खबर आई थी.

पढ़ें:Child Killer Hospital: 48 घंटे में फिर चार बच्चों की मौत, एक प्री मेच्योर भी शामिल

पिछले 6 दिनों में बच्चों की मौत का आंकड़ा पहुंचा 12

वहीं सोमवार तक पिछले 48 घंटे में बच्चों की मौत आंकड़ा बढ़कर 6 पहुंच गया था. मंगलवार तक दो बच्चों की मौत के बाद शहडोल जिला अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा 8 पहुंच चुका था. मंगवालर के बात शुक्रवार तक पिछले 48 घंटे में 4 और बच्चों की मौत का मामले सामने आया है. जिसके बाद यह आंकड़ा 13 पहुंच चुका है.

पढ़ें:शहडोल में 12 बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य मंत्री का बयान, इलाज में नहीं हुई लापरवाही

स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों की दी थी क्लीनचिट

वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर उठ रहे सवालों पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि यह गम्भीर मामला है, जहां बच्चों की मौत हो रही है. निमोनिया ज्यादा बढ़ रहा है. मंत्री ने कहा कि हमने निर्देश दिए हैं कि उस क्षेत्र में जाकर सर्वे किया जाये और देखा जाए कि कहीं कोई बच्चा पहले से पीड़ित तो नहीं है. क्योंकि सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले बढ़ जाते हैं. डॉक्टरों ने बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास किया पर फिर भी बच्चे नहीं बच पाए. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.

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