भोपाल। NGT ने नगर निगम भोपाल पर 1 करोड़ का जुर्माना लगाया है. ये जुर्माना नगर निगम भोपाल पर बड़े तालाब में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट निर्माण को लेकर लगाया गया है. जिसमें NGT ने आदेश देते हुए कहा है कि पर्यावरण की बहाली और यदि किसी अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है, तो बाद में एमपीपीसीबी द्वारा इसकी मांग और वसूली की जा सकती है. बीएमसी को उस स्थल पर किसी भी स्थायी निर्माण के साथ आगे बढ़ने से रोका जाता है. आरसीसी खंभे, जहां तक निर्माण पहले ही खड़ा किया जा चुका है, एक महीने के भीतर ध्वस्त कर दिए जाएंगे. स्थायी निर्माण से साइट को नुकसान हुआ है और साइट की बहाली के साथ-साथ पारिस्थितिकी की बहाली और पर्यावरण को पहले ही हो चुके नुकसान की भरपाई की आवश्यकता है.
मुआवजे की राशि पर्यावरण के लिए: NGT ने लिखा हम अन्य बातों के साथ-साथ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाते हैं. प्रतिवादी 1 यानी बीएमसी को एक करोड़, जो उसे एमपीपीसीबी के पास तीन महीने के भीतर जमा करना होगा. पर्यावरणीय मुआवज़े की उक्त राशि का उपयोग, खर्च संबंधित स्थल को मूल रूप में बहाल करने के लिए किया जाएगा और साथ ही एक योजना तैयार करके पारिस्थितिकी और पर्यावरण की बहाली के लिए भी किया जाएगा.
जमा की गई पर्यावरण मुआवजे की राशि साइट और पारिस्थितिकी, पर्यावरण की बहाली के लिए योजना तैयार होने के छह महीने के भीतर खर्च की जाएगी. यदि बहाली का खर्च रुपये से अधिक है एक करोड़, एमपीपीसीबी, बीएमसी से पर्यावरणीय मुआवजे की ऐसी अतिरिक्त राशि की मांग करने के लिए खुला होगा और मांग उठने के एक महीने के भीतर बीएमसी द्वारा इसका भुगतान किया जाएगा. यदि अंतरिम मुआवजे की राशि रु. वास्तविक खर्च से एक करोड़ अधिक होने पर शेष राशि का उपयोग भोपाल झील यानी भोज वेटलैंड के रखरखाव और सफाई के लिए किया जाएगा.
Also Read |
क्या था मामला: डेढ़ साल पहले भोपाल के बड़े तालाब में स्ट्रक्चर तैयार कर रेस्टोरेंट बनाया जा रहा था. यह रेस्टोरेंट तालाब के किनारे वन विहार की तरफ बनाया जा रहा था. जिसके लिए पिलर तक खड़े कर दिए गए थे. ऐसे में राशिद नूर खान द्वारा एनजीटी में एक आवेदन लगाया गया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि नवंबर 2002 में भोज वेटलैंड को रामसर साइट के रूप में नामित किया गया था. यह वेटलैंड रामसर संरक्षण के तहत स्थलों की सूची में एकमात्र मानव निर्मित झील है. जिस पर 18 महीने पहले नगर निगम भोपाल द्वारा रेस्टोरेंट बनाने के लिए पक्का निर्माण किया गया जो कि नियमों के विरुद्ध आता है. ऐसे में इस पर तत्काल कार्रवाई की जाए. जिसके बाद से यह मामला एनजीटी में था और एनजीटी ने अब इस मामले में नगर निगम को एक करोड़ की राशि जमा करने का आदेश दिया है.