सागर: बुंदेलखंड में सिंचाई के साधनों की कमी के कारण ज्यादातर किसान मसूर की खेती करते हैं. अगर सागर जिले की बात करें, तो मौजूदा रबी सीजन में यहां पर करीब 25 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे पर मसूर की खेती की गयी है, लेकिन फसल पर रस्ट नामक बीमारी का खतरा मंडरा रहा है. इस बीमारी में मसूर की पत्तों पर छोटे-छोटे लाल धब्बे आ जाते हैं. जिससे धीरे-धीरे पौधा सूखने लगता है और पूरे खेत की अपनी चपेट में ले लेता है. इसके लक्षण सामने आते ही किसानों को तुरंत उपचार करना चाहिए.
पौधों की पत्तियों पर लाल रंग के धब्बे
बुंदेलखंड का किसान इस बार फिर मसूर की खेती को लेकर अपनी किस्मत को कोस रहा है. पिछले साल भी मसूर की फसल बर्बाद हो गयी थी और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था. वहीं, इस बार भी मसूर की पत्तियों पर लाल रंग के धब्बे दिखाई देने लगे हैं, जो रस्ट नामक बीमारी का लक्षण है.
इसका असर सागर के रहली, देवरी, केसली और गौरझामर इलाकों में मसूर की फसल पर दिखाई दे रहा है. स्थानीय किसानों का कहना है कि पिछले रबी सीजन में इस बीमारी ने पूरी फसल को अपने चपेट में ले लिया था. इस बार भी इसने फसलों पर धावा बोला है. अगर इस रोग से छुटकारा नहीं मिला, तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी.
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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
सागर कृषि विज्ञान केंद्र बिजोरा के प्रभारी और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि "अगर फूल आने के समय ये बीमारी आ गयी, तो इसमें काफी नुकसान होता है. अगर फली आते समय ये बीमारी आती है, तो थोड़ा कम नुकसान होता है. फिलहाल कहीं-कहीं मसूर की फसल में रस्ट के लक्षण दिखाई देने लगे हैं, लेकिन अभी किसान भाई इसका उपचार कर सकते हैं.
किसान भाई पूर्व मिश्रित फफूंदनाशी कार्बेनडाजिम प्लस मैंकोजेब 500 ग्राम, टेबूकोनाजोल प्लस सल्फर 400 ग्राम या टेबुकोनाजोल 50 प्लस, टाईफलोआकसीसटोविन 25 फीसदी की 100 ग्राम मात्रा 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें. किसान अगर इन दवा का उपयोग करते हैं, तो निश्चित रूप से समय रहते बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं."