छिंदवाड़ा: मौसम के साथ-साथ फसल लगाने के तरीक में भी अगर बदलाव किया जाए तो बेहतर उत्पादन मिलने की संभावना होती है. ऐसा ही छिंदवाड़ा जिले के कई किसानों ने रबी के सीजन में मक्के की फसल अपने खेत में लगाकर खेती करने का तरीका बदल दिया. अब किसानों को खेतों में उत्पादन भी ज्यादा होने की उम्मीद है. रबी सीजन में कई फसलें लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
रबी सीजन में पहली बार लगाई कुसुम की फसल
चौरई के किसान शरद खंडेलवाल ने रबी सीजन में पहली बार लगभग 2 एकड़ में तिलहनी कुसुम फसल किस्म ISF-764 लगाई है. शरद खंडेलवाल ने बताया कि "कुसुम फसल कम लागत, कम पानी की स्थिति में भी लगाई जा सकती है. जिसकी पत्तियों में कांटे होने के कारण जंगली जानवरों से कुसुम फसल को कोई नुकसान नहीं होता है. फसल वर्तमान में अच्छी स्थिति में है, जिससे अच्छा उत्पादन होने की संभावना है. वर्तमान में फसल स्थिति को देखते हुए कुसुम फसल के लिए जिले की जलवायु अनुकुल है. कुसुम के बीजों से खाद्य तेल निकाला जाता है. इसके अलावा, कुसुम के फूलों, पत्तियों और पंखुड़ियों का भी इस्तेमाल किया जाता है."
![Chhindwara agriculture officer reached fields](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/mp-chh-02-kusum-farming-chang-pattern-dry-7204291_13022025182519_1302f_1739451319_25.jpg)
बारिश के सीजन का मक्का ठंड में हो रहा गुलजार
चौरई के बेलखेड़ा में किसान शुभम राय ने बताया कि रबी सीजन में मक्के की फसल लगाई है. मक्के की किस्म 4456 एवं 6802 लगभग 3 एकड़ में लगाई है. उनके साथ बेलखेड़ा के दूसरे किसानों ने भी लगभग 40 से 50 एकड़ में रबी सीजन की मक्का फसल लगाई है. फसल की स्थिति अच्छी है और 35 से 40 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त होने की संभावना है. जिले में लगभग 2000 हेक्टेयर में रबी सीजन में मक्का की बुआई की गई है."
![Safflower Farming in rabi season](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/mp-chh-02-kusum-farming-chang-pattern-dry-7204291_13022025182519_1302f_1739451319_252.jpg)
किसानों ने किया कमाल तो अधिकारी खेतों में पहुंचे
खेती में प्रैक्टिकल करने की जानकारी जैसे ही कृषि अधिकारियों को लगी तो अधिकारी अपनी टीम के साथ खेतों में जायजा लेने पहुंच गए. उप संचालक कृषि जितेंद्र सिंह के साथ कृषि अधिकारियों की टीम ने किसानों के खेत मे जाकर रबी सीजन में पहली बार लगाई गई तिलहनी कुसुम फसल देखी. बेलखेड़ा में लगाई गई मक्के की फसल का भी निरीक्षण किया और किसानों से चर्चा की.
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खरीफ में की जाती है कुसुम और मक्के की बुआई
आमतौर पर मक्का और कुसुम की खेती खरीफ यानि की बारिश के मौसम में की जाती है. मक्के पर शोध करने वाले वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ विजय पराड़कर ने बताया कि "रबी सीजन में मक्के की खेती, उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों और प्रदेश के अन्य सिंचित भागों में की जा सकती है. रबी सीजन में मक्का की खेती करने से किसानों को कई फायदे होते हैं. उन्होंने बताया कि रबी सीजन में मक्के की खेती से खरीफ की तुलना में डेढ़ से दोगुनी ज्यादा पैदावार होती है इसके अलावा मक्का की पैदावार गेहूं की तुलना में ज्यादा होती है."