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भाई की तलाश में रोते बिलखते दर दर भटक रहे हैं, बुजुर्ग ने CM फडणवीस से लगाई मदद की गुहार - MAHARASHTRA MISSING CASE

मानसिक रूप से बीमार छोटा भाई पिछले तीन महीने से लापता है. बड़ा भाई उसकी तलाश में दर दर भटक रहा है.

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अशरप्पा बेदरे पिछले साढ़े तीन महीने से लापता भाई की तलाश कर रहे हैं...सीएम फडणवीस से लगाई गुहार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 13, 2025, 7:33 PM IST

नागपुर: लाखों की भीड़ में जब कोई अपना लापता हो जाए तो उस परिवार पर क्या बीतती है, इसकी कल्पना भी न करना ही बेहतर है. कुछ ऐसी ही स्थिति नागपुर के अशरप्पा रामप्पा बेदरे के साथ हुई है. अशरप्पा बेदरे पिछले साढ़े तीन महीने से अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने मानसिक रूप से बीमार भाई की तलाश कर रहे हैं. हारकर उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मदद की गुहार लगाई है.

वैसे भी देखा जाए तो आज के दौर में कोई किसी की सुध लेने को तैयार नहीं है. अगर मां-बाप ही बच्चों के लिए बोझ बन गए हैं तो भाई के लिए क्या कर सकते हैं. यह एक बड़ा सवाल हो सकता है लेकिन नागपुर के अशरप्पा बेदरे अपने भाई को खोजने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उन्होंने पुलिस से मदद लेने की कोशिश की, हालांकि, पुलिस की लापरवाही ने उन्हें निराश कर दिया.

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ओंकार बेदरे , लापता शख्स (ETV Bharat)

उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और वे अपने छोटे भाई को ढूंढने के लिए न सिर्फ नागपुर बल्कि विदर्भ के सभी जिलों में चार-चार बार तलाश कर चुके हैं. हालांकि, इस खोज के दौरान उनके मन में आने वाले विभिन्न विचारों को बताते हुए वे फफक कर रो पड़े.

भूख-प्यास भूलकर कर रहे छोटे भाई की तलाश
अशरप्पा बेदरे की उम्र भले ही 62 साल है, लेकिन वे अपने छोटे भाई को नागपुर शहर के कोने-कोने में ऐसे ढूंढ रहे हैं, जैसे उनका कोई पैर टूट गया हो. बेदरे का भाई पिछले साल 29 अक्टूबर को लापता हो गया था. बेदरे मूल रूप से बुलढाणा जिले के लोणार के रहने वाले हैं. हालांकि, वे अपने भाई की तलाश में भूख-प्यास भूलकर पिछले साढ़े तीन महीने से ग्रामीण इलाकों में भटक रहे हैं.

29 अक्टूबर को आखिर क्या हुआ था?
ओंकार बेदरे अशरप्पा के लापता भाई का नाम है. पिछले कुछ सालों से अशरप्पा के बड़े बेटे और छोटे भाई का नागपुर में इलाज चल रहा था. कुछ समय के बाद डॉक्टरों ने दोनों को घर ले जाने की अनुमति दे दी. उसके बाद बाद अशरप्पा नागपुर आए सीताबर्डी में ऑटो से उतरने के बाद वह अपने भाई का हाथ थामे पुलिस स्टेशन के सामने से गुजर रहे थे. उस समय सीताबर्डी में दिवाली की खरीदारी के लिए काफी भीड़ थी. इस भीड़ में कार को देखते समय एक पल के लिए ओंकार का हाथ अशरप्पा के हाथ से छूट गया. उसके बाद वे अचानक से लापता हो गए. उन्होंने भाई को खोजने की काफी कोशिश की लेकिन वे मिल नहीं सके.

थक हारकर अशरप्पा सीताबर्डी पुलिस स्टेशन पहुंचे. पुलिस ने उन्हें बताया कि भीड़ के कारण सीसीटीवी में कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. उसके बाद अशरप्पा ने खुद ही अपने भाई की तलाश शुरू कर दी.

हर पीढ़ी में एक सदस्य मानसिक रूप से बीमार
अशरप्पा बेदरे के परिवार में हर पीढ़ी में कम से कम एक सदस्य मानसिक रूप से बीमार है. शुरुआत में अशरप्पा की मां मानसिक रूप से बीमार हुईं. बाद में उनके भाई ओंकार और अशरप्पा का बड़ा बेटा भी मानसिक रूप से बीमार हो गए. हर तरफ से मुश्किलों के बावजूद अशरप्पा बेदरे अपने छोटे भाई को पूरी ताकत से खोज रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर उन्हें पुलिस प्रशासन से मदद मिले तो वह अपने भाई तक पहुंच सकते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपने भाई को खोजने की मांग भी की. भाई को याद करते हुए अशरप्पा फफक कर रो पड़े.

ये भी पढ़ें: 14 साल बाद अपने गांव लौटी असम की महिला, इतने सालों तक कहां थी गायब?

नागपुर: लाखों की भीड़ में जब कोई अपना लापता हो जाए तो उस परिवार पर क्या बीतती है, इसकी कल्पना भी न करना ही बेहतर है. कुछ ऐसी ही स्थिति नागपुर के अशरप्पा रामप्पा बेदरे के साथ हुई है. अशरप्पा बेदरे पिछले साढ़े तीन महीने से अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने मानसिक रूप से बीमार भाई की तलाश कर रहे हैं. हारकर उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मदद की गुहार लगाई है.

वैसे भी देखा जाए तो आज के दौर में कोई किसी की सुध लेने को तैयार नहीं है. अगर मां-बाप ही बच्चों के लिए बोझ बन गए हैं तो भाई के लिए क्या कर सकते हैं. यह एक बड़ा सवाल हो सकता है लेकिन नागपुर के अशरप्पा बेदरे अपने भाई को खोजने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उन्होंने पुलिस से मदद लेने की कोशिश की, हालांकि, पुलिस की लापरवाही ने उन्हें निराश कर दिया.

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ओंकार बेदरे , लापता शख्स (ETV Bharat)

उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और वे अपने छोटे भाई को ढूंढने के लिए न सिर्फ नागपुर बल्कि विदर्भ के सभी जिलों में चार-चार बार तलाश कर चुके हैं. हालांकि, इस खोज के दौरान उनके मन में आने वाले विभिन्न विचारों को बताते हुए वे फफक कर रो पड़े.

भूख-प्यास भूलकर कर रहे छोटे भाई की तलाश
अशरप्पा बेदरे की उम्र भले ही 62 साल है, लेकिन वे अपने छोटे भाई को नागपुर शहर के कोने-कोने में ऐसे ढूंढ रहे हैं, जैसे उनका कोई पैर टूट गया हो. बेदरे का भाई पिछले साल 29 अक्टूबर को लापता हो गया था. बेदरे मूल रूप से बुलढाणा जिले के लोणार के रहने वाले हैं. हालांकि, वे अपने भाई की तलाश में भूख-प्यास भूलकर पिछले साढ़े तीन महीने से ग्रामीण इलाकों में भटक रहे हैं.

29 अक्टूबर को आखिर क्या हुआ था?
ओंकार बेदरे अशरप्पा के लापता भाई का नाम है. पिछले कुछ सालों से अशरप्पा के बड़े बेटे और छोटे भाई का नागपुर में इलाज चल रहा था. कुछ समय के बाद डॉक्टरों ने दोनों को घर ले जाने की अनुमति दे दी. उसके बाद बाद अशरप्पा नागपुर आए सीताबर्डी में ऑटो से उतरने के बाद वह अपने भाई का हाथ थामे पुलिस स्टेशन के सामने से गुजर रहे थे. उस समय सीताबर्डी में दिवाली की खरीदारी के लिए काफी भीड़ थी. इस भीड़ में कार को देखते समय एक पल के लिए ओंकार का हाथ अशरप्पा के हाथ से छूट गया. उसके बाद वे अचानक से लापता हो गए. उन्होंने भाई को खोजने की काफी कोशिश की लेकिन वे मिल नहीं सके.

थक हारकर अशरप्पा सीताबर्डी पुलिस स्टेशन पहुंचे. पुलिस ने उन्हें बताया कि भीड़ के कारण सीसीटीवी में कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. उसके बाद अशरप्पा ने खुद ही अपने भाई की तलाश शुरू कर दी.

हर पीढ़ी में एक सदस्य मानसिक रूप से बीमार
अशरप्पा बेदरे के परिवार में हर पीढ़ी में कम से कम एक सदस्य मानसिक रूप से बीमार है. शुरुआत में अशरप्पा की मां मानसिक रूप से बीमार हुईं. बाद में उनके भाई ओंकार और अशरप्पा का बड़ा बेटा भी मानसिक रूप से बीमार हो गए. हर तरफ से मुश्किलों के बावजूद अशरप्पा बेदरे अपने छोटे भाई को पूरी ताकत से खोज रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर उन्हें पुलिस प्रशासन से मदद मिले तो वह अपने भाई तक पहुंच सकते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपने भाई को खोजने की मांग भी की. भाई को याद करते हुए अशरप्पा फफक कर रो पड़े.

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