भोपाल। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) की बम ब्लास्ट (Bomb Blast) में जब हत्या हुई थी. तो यह प्रश्न भी उठा था कि उनके शरीर के जो टुकड़े हैं. क्या वाकई में वो राजीव गांधी के हैं? ऐसे में उनके शरीर की पहचान करना भी बड़ा मुश्किल था. सिर्फ यही नहीं ऐसे कई मामले सामने आते हैं. जब शरीर की कई हिस्से हो जाते हैं और उन हिस्सों के माध्यम से यह पहचाना बड़ा मुश्किल होता है कि यह शरीर महिला का है या पुरुष का. लेकिन अब इसकी पहचान आसानी से हो सकेगी.
भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) के डॉक्टर श्रवण जेएस (Dr. Shravan JS) ने इसके लिए एक रिसर्च किया है. रिसर्च के माध्यम से अब व्यक्ति के चेस्ट के सीटी स्कैन से ही उसके जेंडर (Gender) का पता आसानी से लगाया जा सकता है. डॉ. श्रवण बताते हैं कि 3 साल पहले जब एमडी (MD) कर रहा था तब से ये रिसर्च कर रहा था. मान लीजिए अननोन बॉडी (Unknown Body) मिल गई. जिसमें हम पता भी नहीं लगा पा रहा है कि उनका जेंडर क्या है, तब टेंशन हो जाता है. लेकिन अब इस रिसर्च के माध्यम से जेंडर पता करना आसान हो जाएगा.
ऐसे की रिसर्च
डॉक्टर श्रवण ने बताया कि रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट (Radiodiagnosis Department) से बॉडी का सीटी स्कैन लिया और उसमें में जो आगे वाली हड्डी है उसका सीटी स्कैन 3D मॉडल निकाला और उसको पूरा देखा. उससे यह पता कर पाए कि बॉडी किस जेंडर की है. शुरुआती दौर में तो यह बड़ा कठिन लगा, लेकिन 3 साल की मेहनत के बाद यह निष्कर्ष निकला कि सीटी स्कैन के माध्यम से आसानी से जेंडर पता किया जा सकता है.
250 से अधिक सीटी स्कैन पर रिसर्च
डॉ. श्रवण ने बताया कि जिन चेस्ट के सीटी स्कैन पर उन्होंने रिसर्च किया है. उसके लिए कोई बॉडी का उपयोग नहीं किया. एम्स में ही मौजूद तमाम सीटी स्कैन पर यह रिसर्च किया गया. जिसमें 125 के लगभग महिला और 125 के लगभग ही पुरुष के सीटी स्कैन लिए गए है. डॉ. श्रवण के अनुसार इस रिसर्च का सक्सेस रेट बहुत अच्छा है और आसानी से यह पता लगाया जा सकता है की मरने वाला पुरुष था या महिला. श्रवण ने के इस रिसर्च को अप्रूवल मिल चुका है.
दिमाग पर भी हो रहा कोरोना का संक्रमण
इधर एम्स के डॉक्टर की एक टीम जिसमें श्रवण भी शामिल है, कोरोना के 21 शवों का पोस्टमार्टम कर यह निष्कर्ष निकाला है कि करोना का वायरस चेस्ट के साथ दिमाग में भी मिल रहा है. देश में पहली बार कोरोना वायरस संक्रमित (Corona Virus Infection) शव का पोस्टमार्टम किया गया है. इस रिसर्च से पता चल सकेगा कि संक्रमित होने के बाद शरीर के दिल, दिमाग, फेफडों सहित दूसरे अंगों पर वायरस कितना असर करता है.
इस पोस्टमार्टम से विशेषज्ञ कोरोना वायरस के असर से शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव की भी पड़ताल की जाएगी. आईसीएमआर (ICMR) की मंजूरी के बाद एम्स भोपाल में 58 वर्षीय एक मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों ने परिजनों से इस रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम की अनुमति मांगी. मृतक के परिजनों की सहमति मिलने के बाद पोस्टमार्टम किया गया.
किडनी में भी हुआ कोरोना का संक्रमण
रिपोर्ट के मुताबिक कोविड मरीज के फेफड़ों के बाद कोरोना का सबसे ज्यादा संक्रमण मरीजों के दिमाग (Brain) में मिला है. अटॉप्सी रिपोर्ट (Atopy Report) में शामिल 21 मृतकों में से 85 फीसदी के ब्रेन में कोविड का संक्रमण मरने से पहले हो चुका था, जबकि 75 फीसदी में कोविड का संक्रमण फेफड़ों के अलावा किडनी में हुआ था, जिसके चलते मरीज की मौत हुई. कोविड अटॉप्सी स्टडी (Covid Atopy Study) के तहत 15 पुरुष और 6 महिलाओं के शवों का पोस्टमार्टम किया गया.
इस टीम ने की रिसर्च
डिपार्टमेंट की हेड डॉ. अरनीत अरोड़ा, फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. जयंती यादव, डॉ. बृंदा पटेल, डॉ. एस. महालक्ष्मी और डॉ. श्रवण ने कोरोना पर नई रिसर्च की.