भोपाल। हेल्थ सिस्टम को तकनीक की मदद से बेहतर करने की दिशा में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Rajiv Gandhi Technological University) के दो असिस्टेंट प्रोफेसर ने बेहतर काम किया है. इन्होंने एक तरफ जहां वंशानुगत बीमारियों की पहचान करने के लिए जहां स्मार्ट हेल्थ ट्री असेसमेंट सिस्टम (Smart Health Tree Assessment System) डेवलप किया है, वहीं हेल्थ सिस्टम के डिजिटाइजेशन को हैकर्स से सुरक्षित रखने के लिए ब्लूम फिल्टर का उपयोग कर इसके और सिक्योर किया है. दोनों प्रोफेसर ने इस आविष्कार का पेटेंट करा लिया है.
वंशानुगत बीमारी का रिकाॅर्ड रखना होगा आसान
आमतौर केंसर, डायबिटीज, स्किन डिजीज जैसी कई बीमारियां दो पीड़ी बाद तक उभरकर आती हैं. यदि ऐसी बीमारियों का पहले से पता हो, तो इसें डिटेक्ट करना और समय से इनका इलाज कराना आसान हो जाता है. वंशानुगत बीमारियों का रिकाॅर्ड रखने के लिए राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पियूष शुक्ला ने स्मार्ट हेल्थ ट्री असेसमेंट सिस्टम डेवलप किया है.
प्रोफेसर पियूष शुक्ला बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने ब्लॉटिंग टेक्नाॅलाॅजी को उपयोग किया है. इसके जरिए ट्री के रूप में वंशानुगत बीमारियों का पूरा रिकाॅर्ड मैंटेन रखा जा सकेगा. इसमें लगातार पुरानी रिपोर्ट को अपलोड किया जा सकेगा. इससे जहां डेटा में यूनिफाॅर्मिटी रहेगा, साथ ही जरूरत के समय इसे कहीं भी ओपन कर देखा जा सकेगा.
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फाइनेंशियल सिस्टम में उपयोग होती है तकनीक
ब्लॉटिंग टेक्नोलाॅजी का फाइनेंशियल सिस्टम में उपयोग किया जाता है. इस आविष्कार के बाद हेल्थ ट्री सिस्टम का उपयोग सरकार मेडिकल पाॅलिसी में भी उपयोग हो सकेगा. यदि इसे और आगे बढ़ा जाए तो एटीएम की तरह हेल्थ चैकअप सेंटर ओपन किए जा सकेंगे. इसमें पहुंचकर लोग अपना बाॅडी हेल्थ चैकअप करा सकेंगे. इसकी रिपोर्ट हेल्थ ट्री में स्टोर हो सकेगा. उनके इस साॅफ्टवेयर को ऑस्ट्रेलिया से पेटेंट मिल चुका है.
हेल्थ सिस्टम होगा और सुरक्षित
आरजीपीवी के यूआईटी कम्प्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रवीण कुमार जाटव ने आईओटी सर्वर की सिक्योरिटी को इम्प्रूव करने के लिए ब्लूम फिल्टर का उपयोग कर सिक्योरिटी सिस्टम डेवलप किया है. इससे हेल्थ सेक्टर के डाटा को सिक्योर करना आसान होगा. असिस्टेंट प्रोफेसर प्रवीण कुमार कहते हैं कि हेल्थ सेक्टर में डिजिटाइजेशन के साथ इसकी सिक्योरिटी को लेकर भी हमेशा हैकिंग की आशंका बनी रहती है.
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इसको देखते हुए उन्होंने ब्लूम फिल्टर का उपयोग कर एक सिक्योरिटी सिस्टम डेवलप किया है. इससे डाटा हैकर्स की पहुंच से बहुत ज्यादा सिक्योर हो जाएगा. वे कहते हैं कि कोरोना काल के दौरान तमिलनाडु इंजीनियरिंग काॅलेज के जयप्रकाश, आरआर यूनिवर्सिटी के सम्हुल हक और प्रसूद चक्रवर्ती के साथ इसको लेकर ऑनलाइन वर्किंग शुरू की थी. हमने अलग-अलग माॅड्यूल पर काम करना शुरू किया और बाद में सभी को एक साथ जोड़कर इस सिस्टम को डेवलप किया.