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नई शिक्षा नीतिः 2023 तक तैयार होंगे प्रदेश के स्कूल और कॉलेज

देश में नई शिक्षा नीति 22 अक्टूबर 2020 को लागू हो चुकी है. नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के स्कूल और कॉलेजों को नया स्वरूप देने के लिए सरकार ने 2023 तक का लक्ष्य तय किया है.

Madhya Pradesh Textbook Corporation
मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम
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Published : Mar 1, 2021, 6:15 AM IST

भोपाल। नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में कई बदलाव किए जा रहे हैं. प्रदेश सरकार ने 2023 तक नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल और कॉलेजों को नया स्वरूप देने का लक्ष्य तय किया है. महाविद्यालय के लिए प्रदेश सरकार ने 7-7 करोड़ रुपए का बजट बिल्डिंग निर्माण के लिए इस वर्ष जारी कर दिया है. प्रदेश के महाविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग शिक्षकों के ट्रेनिंग प्रोग्राम सहित अन्य गुणवत्ता सुधार कार्य रहा है.

2023 तक तैयार होंगे प्रदेश के स्कूल और कॉलेज
  • 2023 तक महाविद्यालय बनेंगे गुणवत्तापूर्ण

नई शिक्षा नीति के तहत पहले चरण में शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है. प्रदेश के एक हजार महाविद्यालयों को चिन्हित किया गया है. जिन्हें 2023 तक गुणवत्तापूर्ण बनाया जाएगा. इसके पहले चरण में प्रदेश भर के शिक्षक प्रशिक्षण ले रहे हैं, जो इन एक हजार महाविद्यालय में पढ़ाएंगे. इसके पहले चरण में 2021 में महाविद्यालयों की बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा. जिसका कार्य जारी है. राजधानी भोपाल में 8 शासकीय महाविद्यालय हैं. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव इन बिल्डिंग का शुभारंभ भी कर चुके हैं. 2021 के आखिर तक सभी 8 शासकीय महाविद्यालय और चार विश्वविद्यालय में बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा.

  • सिलेबस में जोड़ा जाएगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश

महाविद्यालय को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए विश्वविद्यालयों ने सिलेबस में भी बदलाव करने का निर्णय लिया है. इसमें आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश एक विषय जोड़ा जाएगा. जिसे सभी महाविद्यालयों में अनिवार्य किया जाएगा. अब प्रदेश के छात्र पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार के लिए प्रशिक्षण भी लेंगे. जिसमें आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाएगी. इसमें महाविद्यालय में ही छात्रों को ट्रेनिंग प्रोग्राम दिया जाएगा और इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के साथ ही छात्रों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा. जिससे वह आगे रोजगार कर सके.

संगोष्ठीः व्यक्तित्व का निर्माण नई शिक्षा नीति का मकसद

  • 10 हज़ार स्कूलों को गुणवत्ता पूर्ण बनाने का लक्ष्य

महाविद्यालय की तर्ज पर ही प्रदेश के शासकीय स्कूलों को भी गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए प्रदेश भर में 10 हज़ार स्कूलों का चयन किया गया है. जिन्हें सीएम राइस स्कूल के तहत तैयार किया जा रहा है. इन स्कूलों में अच्छी लाइब्रेरी, स्विमिंग पूल, डिजिटल क्लासेस, स्पोर्ट्स क्लब समेत अन्य सुविधाएं छात्रों को दी जाएगी. सीएम राइस स्कूल के तहत राजधानी के 2 स्कूलों से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. जिसमें स्टीम एजुकेशन के तहत स्टीम लाइब्रेरी तैयार की गई है. जिसमें कक्षा छठवीं से 12वीं के छात्र पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी करेंगे. जिस विषय में छात्र को रूचि है उस विषय में छात्र रोजगार प्रशिक्षण ले सकेगा.

  • 2023 तक शैक्षणिक संस्थानों का होगा नया स्वरूप

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष जो बदलाव होने थे वह नहीं हो पाए हैं, लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि 2023 तक प्रदेश के एक हजार महाविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण बनाया जाएगा. उनका कहना है कि 2021 से इसकी शुरुआत हो चुकी है. प्रदेश के कॉलेजों को बजट दिया गया हैं. जिसमें पहले चरण में बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा हैं.

भोपाल। नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में कई बदलाव किए जा रहे हैं. प्रदेश सरकार ने 2023 तक नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल और कॉलेजों को नया स्वरूप देने का लक्ष्य तय किया है. महाविद्यालय के लिए प्रदेश सरकार ने 7-7 करोड़ रुपए का बजट बिल्डिंग निर्माण के लिए इस वर्ष जारी कर दिया है. प्रदेश के महाविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग शिक्षकों के ट्रेनिंग प्रोग्राम सहित अन्य गुणवत्ता सुधार कार्य रहा है.

2023 तक तैयार होंगे प्रदेश के स्कूल और कॉलेज
  • 2023 तक महाविद्यालय बनेंगे गुणवत्तापूर्ण

नई शिक्षा नीति के तहत पहले चरण में शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है. प्रदेश के एक हजार महाविद्यालयों को चिन्हित किया गया है. जिन्हें 2023 तक गुणवत्तापूर्ण बनाया जाएगा. इसके पहले चरण में प्रदेश भर के शिक्षक प्रशिक्षण ले रहे हैं, जो इन एक हजार महाविद्यालय में पढ़ाएंगे. इसके पहले चरण में 2021 में महाविद्यालयों की बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा. जिसका कार्य जारी है. राजधानी भोपाल में 8 शासकीय महाविद्यालय हैं. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव इन बिल्डिंग का शुभारंभ भी कर चुके हैं. 2021 के आखिर तक सभी 8 शासकीय महाविद्यालय और चार विश्वविद्यालय में बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा.

  • सिलेबस में जोड़ा जाएगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश

महाविद्यालय को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए विश्वविद्यालयों ने सिलेबस में भी बदलाव करने का निर्णय लिया है. इसमें आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश एक विषय जोड़ा जाएगा. जिसे सभी महाविद्यालयों में अनिवार्य किया जाएगा. अब प्रदेश के छात्र पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार के लिए प्रशिक्षण भी लेंगे. जिसमें आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाएगी. इसमें महाविद्यालय में ही छात्रों को ट्रेनिंग प्रोग्राम दिया जाएगा और इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के साथ ही छात्रों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा. जिससे वह आगे रोजगार कर सके.

संगोष्ठीः व्यक्तित्व का निर्माण नई शिक्षा नीति का मकसद

  • 10 हज़ार स्कूलों को गुणवत्ता पूर्ण बनाने का लक्ष्य

महाविद्यालय की तर्ज पर ही प्रदेश के शासकीय स्कूलों को भी गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए प्रदेश भर में 10 हज़ार स्कूलों का चयन किया गया है. जिन्हें सीएम राइस स्कूल के तहत तैयार किया जा रहा है. इन स्कूलों में अच्छी लाइब्रेरी, स्विमिंग पूल, डिजिटल क्लासेस, स्पोर्ट्स क्लब समेत अन्य सुविधाएं छात्रों को दी जाएगी. सीएम राइस स्कूल के तहत राजधानी के 2 स्कूलों से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. जिसमें स्टीम एजुकेशन के तहत स्टीम लाइब्रेरी तैयार की गई है. जिसमें कक्षा छठवीं से 12वीं के छात्र पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी करेंगे. जिस विषय में छात्र को रूचि है उस विषय में छात्र रोजगार प्रशिक्षण ले सकेगा.

  • 2023 तक शैक्षणिक संस्थानों का होगा नया स्वरूप

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष जो बदलाव होने थे वह नहीं हो पाए हैं, लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि 2023 तक प्रदेश के एक हजार महाविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण बनाया जाएगा. उनका कहना है कि 2021 से इसकी शुरुआत हो चुकी है. प्रदेश के कॉलेजों को बजट दिया गया हैं. जिसमें पहले चरण में बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा हैं.

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