Nag Panchami Shubh Muhurat: सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार, इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. कुछ लोगों के नाग देवता कुल देवता भी होते हैं. नाग पंचमी के दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं. धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करता है और व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. कई जगह इस खास पर्व पर सांपों को दूध भी पिलाया जाता है.
पंचमी तिथि प्रारंभ: 12 अगस्त दोपहर 3:24 से हो तिथि प्रारंभ हो जाएगी.
पंचमी तिथि समाप्तः 13 अगस्त दोपहर 1:42 तक तिथि समाप्त हो जाएगी.
पूजा मुहूर्त: वैसे तो नाग पंचमी की पूजा पंचमी तिथि समाप्त होने तक किसी भी समय की जा सकती है. इस दिन इसका सबसे शुभ मुहूर्त 13 अगस्त को प्रातः 05:55 से 08:29 प्रातः तक रहेगा.
पूजा विधिः नाग पंचमी के दिन प्रातः स्नान कर के घर के दरवाजे पर या पूजास्थल पर गाय के गोबर या मिट्टी से नाग देवता बनाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर धूप-दीप जलाएं. दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान कराएं. इसके बाद चंदन तिलक लगाएं अब प्रतिमा पर कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, फूल, बिल्वपत्र, हल्दी, मेंहदी आदि क्रम से चढ़ाएं। ऋतु फल चढ़ाएं पान सुपारी, लोंग इलाइची चढ़ाएं नारियल, मालपुए , मिष्ठान आदि से भोग लगाएं उसके पश्चात नाग देवता की आरती गाएं और वितरण करें।
कालसर्प दोष निवारण: अगर आपकी जन्मपत्रिका में कालसर्प दोष है, तो आज नाग पंचमी के दिन दोष का निवारण कर सकते हैं. पंचमी को प्रातः काल उठकर चांदी का नाग देवता का पंचामृत से अभिषेक करें साथ ही आठ नागों- वासुकि, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय की पूजा भी करें. दूसरे दिन चांदी की इन नाग देवता को किसी पवित्र नदी में विसर्जन करें. ऐसा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.