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PWD मंत्री की बैठक में निर्माण गुणवत्ता को लेकर अहम फैसला, अब रॉ मटेरियल की इस तरह होगी जांच - पीडब्ल्यूडी मंत्री

MP PWD New Rule : पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह (Rakesh Singh Pwd minister) की अध्यक्षता में आयोजित विभाग की बैठक में बताया गया कि एकीकृत मॉड्यूल से जुड़े नए नियमों का सभी निर्माण एजेंसियों को पालन करना जरूरी होगा.

pwd new rule for quality assurance
एमपी में निर्माण गुणवत्ता को लेकर नए नियम
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 2:26 PM IST

Updated : Jan 6, 2024, 2:32 PM IST

मप्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री बनते ही विभाग में कसावट लाने के लिए कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह (Rakesh Singh Pwd minister) ने कई अहम फैसले लिए हैं. इसमें सबसे अहम फैसला भवनों और सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है. उन्होंने समीक्षा बैठक में भवनों और सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता तय करने के लिए एक खास मॉड्यूल बनाने की बात कही , जिसपर विभाग ने जानकारी दी कि गुणवत्ता तय करने के लिए पहली बार एकीकृत मॉड्यूल बनाया गया है.

क्या है पीडब्ल्यूडी विभाग का नया नियम?

पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह (Rakesh Singh Pwd minister) की अध्यक्षता में आयोजित विभाग की बैठक में बताया गया कि एकीकृत मॉड्यूल से जुड़े नए नियमों का सभी निर्माण एजेंसियों को पालन करना जरूरी होगा. पहली बार ऐसा कर रही है, जब रोड और भवन के निर्माण कार्यों में लगने वाले हर मटेरियल की मात्रा निर्धारण तय करेगी. इसके अलावा इसकी जांच के तमाम मानदंडों तय होंगे, जिसे सभी सरकारी और सरकार की अधिकृत प्रयोगशालाओं को पालन करना होगा.

रॉ मटेरियल से जुड़े अनुपात तय नहीं थे

अभी तक निर्माण कार्यों में लगने वाले सीमेंट, सरिया, गिट्टी, ईटों के ग्रेड सहित अन्य मटेरियलों के संबंध में अनुपात का एकीकृत निर्धारण नहीं होता है. अलग-अलग अधिकारी और विभाग इसके लिए मानदंड अपने अनुसार तय करते हैं. इससे कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होती है और निर्माण की लागत भी अलग-अलग आती है. इसके अलावा विभाग के इंजीनियर अपने अनुसार तकनीक और मटेरियल का उपयोग करते हैं, इससे कई बार कम लागत वाले निर्माण कार्यों में भी ज्यादा लागत आती है.

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मॉड्यूल लागू होने पर से क्या होगा?

विभागों को तय मानदंड के मुताबिक काम करना पड़ेगा. इसे बीडीए, हाउसिंग बोर्ड को भी कॉलोनियों और भवनों के निर्माण कार्यों में पालन करना होगा. बताया जाता है कि मॉड्यूल बनाने के काम आईआईटी इंदौर के साथ एक अन्य संस्था द्वारा कराया गया है। निर्माण कार्यों के पास ही लैब की सुविधा होगी। जिससे जांच टीम सैंपल लेकर उसे मौके पर ही जांच कर सके। इसके साथ ही इसकी रिपोर्ट भी टीम को ऑनलाइन लोक निर्माण विभाग के पोर्टल पर तत्काल अपलोड करनी होगा। इससे जांच टीम न तो अपनी रिपोर्ट बदल पाएगी और न ही रिपोर्ट तैयार करने में सिफारिश की गुंजाइश रहेगी।


पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाएगा

विभाग की बैठक में आगे बताया गया कि निर्माण कार्यों में भौगोलिक क्षेत्र और मिट्टी के प्रकार और गुण धर्म के आधार पर मटेरियल का उपयोग किया जाना है. इसी के आधार पर निर्माण कार्यों के बेस भी तैयार किए जाएंगे. काली मिट्टी, रेतीली, लाल, पथरीली सहित अन्य प्रकार की मिट्टी के लिए अलग-अलग स्पेसिफिकेशन तय किए जाएंगे. भवनों और सड़कों के निर्माण के हुआ साथ साथ पर्यावरण को बचाने, उसके आसपास हरा-भरा करने पर विशेष जोर दिया जाएगा

PWD मंत्री राकेश सिंह ने कहा - हमारी कोशिश है कि गुणवत्ता के लिए जो नए नवाचार हम कर सकते हैं वे करें.

मप्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री बनते ही विभाग में कसावट लाने के लिए कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह (Rakesh Singh Pwd minister) ने कई अहम फैसले लिए हैं. इसमें सबसे अहम फैसला भवनों और सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है. उन्होंने समीक्षा बैठक में भवनों और सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता तय करने के लिए एक खास मॉड्यूल बनाने की बात कही , जिसपर विभाग ने जानकारी दी कि गुणवत्ता तय करने के लिए पहली बार एकीकृत मॉड्यूल बनाया गया है.

क्या है पीडब्ल्यूडी विभाग का नया नियम?

पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह (Rakesh Singh Pwd minister) की अध्यक्षता में आयोजित विभाग की बैठक में बताया गया कि एकीकृत मॉड्यूल से जुड़े नए नियमों का सभी निर्माण एजेंसियों को पालन करना जरूरी होगा. पहली बार ऐसा कर रही है, जब रोड और भवन के निर्माण कार्यों में लगने वाले हर मटेरियल की मात्रा निर्धारण तय करेगी. इसके अलावा इसकी जांच के तमाम मानदंडों तय होंगे, जिसे सभी सरकारी और सरकार की अधिकृत प्रयोगशालाओं को पालन करना होगा.

रॉ मटेरियल से जुड़े अनुपात तय नहीं थे

अभी तक निर्माण कार्यों में लगने वाले सीमेंट, सरिया, गिट्टी, ईटों के ग्रेड सहित अन्य मटेरियलों के संबंध में अनुपात का एकीकृत निर्धारण नहीं होता है. अलग-अलग अधिकारी और विभाग इसके लिए मानदंड अपने अनुसार तय करते हैं. इससे कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होती है और निर्माण की लागत भी अलग-अलग आती है. इसके अलावा विभाग के इंजीनियर अपने अनुसार तकनीक और मटेरियल का उपयोग करते हैं, इससे कई बार कम लागत वाले निर्माण कार्यों में भी ज्यादा लागत आती है.

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मॉड्यूल लागू होने पर से क्या होगा?

विभागों को तय मानदंड के मुताबिक काम करना पड़ेगा. इसे बीडीए, हाउसिंग बोर्ड को भी कॉलोनियों और भवनों के निर्माण कार्यों में पालन करना होगा. बताया जाता है कि मॉड्यूल बनाने के काम आईआईटी इंदौर के साथ एक अन्य संस्था द्वारा कराया गया है। निर्माण कार्यों के पास ही लैब की सुविधा होगी। जिससे जांच टीम सैंपल लेकर उसे मौके पर ही जांच कर सके। इसके साथ ही इसकी रिपोर्ट भी टीम को ऑनलाइन लोक निर्माण विभाग के पोर्टल पर तत्काल अपलोड करनी होगा। इससे जांच टीम न तो अपनी रिपोर्ट बदल पाएगी और न ही रिपोर्ट तैयार करने में सिफारिश की गुंजाइश रहेगी।


पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाएगा

विभाग की बैठक में आगे बताया गया कि निर्माण कार्यों में भौगोलिक क्षेत्र और मिट्टी के प्रकार और गुण धर्म के आधार पर मटेरियल का उपयोग किया जाना है. इसी के आधार पर निर्माण कार्यों के बेस भी तैयार किए जाएंगे. काली मिट्टी, रेतीली, लाल, पथरीली सहित अन्य प्रकार की मिट्टी के लिए अलग-अलग स्पेसिफिकेशन तय किए जाएंगे. भवनों और सड़कों के निर्माण के हुआ साथ साथ पर्यावरण को बचाने, उसके आसपास हरा-भरा करने पर विशेष जोर दिया जाएगा

PWD मंत्री राकेश सिंह ने कहा - हमारी कोशिश है कि गुणवत्ता के लिए जो नए नवाचार हम कर सकते हैं वे करें.

Last Updated : Jan 6, 2024, 2:32 PM IST
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