भोपाल। क्या कुर्सी से बंधे मोह के धागे शिवराज छोड़ नहीं पा रहे. महीने भर के भीतर इस बार ये पांचवा मौका था जब शिवराज का दर्द इस तरह से छलक छलक कर बाहर आया है. शिवराज ने पहली बार खुद के लिए कहा कि वे रिजेक्टेड नहीं हैं. उन्होंने कहा कि "हम तो छोड़कर भी आएं हैं, तो ऐसे कि लोग मामा कहते हैं. जनता का ऐसा स्नेह और प्यार ही तो दौलत है." शिवराज ने चुनौती के लहजे में कहा कि छोड़ दिया तो इसका मतलब ये नहीं कि राजनीति नहीं करूंगा. सियासी हल्कों में शिवराज के इस बयान को लेकर चर्चा है कि क्या वे लगातार सीएम डॉ. मोहन यादव के लिए चुनौती बन रहे हैं.
मैं रिजेक्ट नहीं हूं, क्यों बोले शिवराज
शिवराज पुणे में भारतीय छात्र संसद को संबोधित कर रहे थे. नए छात्रों को राजनीति में आने की प्रेरणा देते शिवराज ने पहले नेताओं पर तंज किया और कहा कि कैरियर समझकर अब लकदक कुर्ता पायजामा पहनके नेता राजनीति में आ जाते हैं. लेकिन वे केवल सतही राजनीति करते हैं और फिर उनके भाषण में उनका निजी दर्द भी बाहर आ ही गया. शिवराज ने कहा कि "सबसे ज्यादा वोट सबसे ज्यादा शानदार सीटें, सोचा और हो गया. उन्होंने कहा कि मुझे फार्मर चीफ मिनिस्टर कहा गया, लेकिन अपन रिजेक्टेड नहीं है."
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जब शिवराज बोले....बहुत दिन से यहीं बैठा है
शिवराज ने कहा कि- "कई बार आदमी तब छोड़ते हैं जब जनता नकार दे. लोग गाली देने लगें बहुत दिन हो गए ये यहीं बैठा हुआ है. अपन छोड़ के भी आए तो ऐसे आए कि लोग कहते हैं... मामा मामा मामा... जनता का स्नेह और अपार प्यार मिला." उन्होंने कहा कि "राजनीति केवल पदों के लिए नहीं होती राजनीति बड़े लक्ष्य के लिए होती है. स्वाभाविक रूप से लोगों के लिए जीना है देश के लिए काम करना है प्रदेश के लिए काम करना है".