भोपाल। साल 2020 के विधानसभा उपचुनाव में गद्दार का जो मुद्दा बेअसर हो चुका, क्या वजह है कि चुनावी साल में तापमान बढ़ाने फिर एक बार दिग्विजय सिंह सिंधिया पर हमलावर होकर उसी मुद्दे को उछाल रहे हैं. अगर दिग्विजय सिंह चुनाव के 6 महीने पहले सिंधिया को निशाने पर ले रहे हैं तो केवल ये चुनावी माहौल बनाने की बात नहीं है. इसे कांग्रेस के पुराने ज़ख्मों के दर्द के तौर पर देखा जाना चाहिए. दिग्विजय की रणनीति इसके कहीं आगे की भी हो सकती है.
आखिर क्यों हैं सिंधिया टारगेट पर : याद कीजिए 2018 का विधानसभा चुनाव तब एमपी में कांग्रेस के सीएम पद के अघोषित कैंडिंडेट कमलनाथ थे लेकिन बीजेपी ने सिंधिया को बड़ा बनाकर 'माफ करो महाराज हमारे नेता शिवराज' का कैम्पेन चलाया था. तो क्या दिग्विजय राजनीति के उसी दांव में 2023 के विधानसभा चुनाव में सिंधिया की मजबूत एंट्री करवा रहे हैं. क्या वजह है कि जब कांग्रेस के निशाने पर शिवराज होने चाहिए लेकिन दिग्विजय सिंह का हर तीर सिंधिया के नाम पर ही आता है. सिंधिया को टारगेट करके क्या दिग्विजय ने भी वही राजनीतिक दांव खेल दिया है.
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महाराज वर्सेस राजा : क्या दिग्विजय ऐसे बयानों के जरिए मध्यप्रदेश में बीजेपी की कलह को भी सतह पर लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. क्या राजा वर्सेस महाराजा का होगा सियासी दंगल. चुनावी साल में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बयानों के तीरों की बाढ़ भी आ रही है. लेकिन इस सियासी तापमान में इजाफा किया दिग्विजय सिंह और सिंधिया के बीच चली जुबानी वार- पलटवार ने. पहले दिग्विजय सिंह ने कहा 'हे महाकाल कांग्रेस में कोई दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया पैदा ना हो.' जवाब देने में सिंधिया ने भी देर नहीं लगाई उन्होंने कहा 'हे महाकाल कृपया दिग्विजय सिंह जैसे देश विरोधी और मध्यप्रदेश के बंटाधार भारत में पैदा ना हो.' 2023 के चुनावी साल में चुनाव से करीब छह महीने पहले बयानों में ऐसी तल्खी देखी गई है. क्या 2023 का विधानसभा चुनाव वाकई राजा वर्सेस महाराज के बीच होने वाला है. इसका टीजर माना जाए इसे.