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MP Political Gossips: कैबिनेट मंत्री का दर्जा लाएगा सद्भाव ? कमलनाथ के आशीष से किसके बढ़ गए भाव - एमपी चुनाव 2023

कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने से चुनाव के मुहाने पर खड़ी बीजेपी में क्या आ पाएगा सद्भाव ? मालवा में कमलनाथ के आर्शीवाद से चुनाव के 6 महीने पहले किसका टिकट पक्का हुआ ? किसे मिला भाव और 65 सीटों पर कांग्रेस की मजबूती के लिए निकले दिग्विजय की है कौन सी तैयारी. बीजेपी को शिकस्त देने के लिए खेलेंगे कौन सा बड़ा दांव ? देखें अंदर की लाए हैं. अरे बुरा मत मान यार, ये तो MP Political Gossips है. क्योंकि, भैय्या हल्के में मत लेना कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त हैं.

MP Political Gossips
अंदर की लाए हैं
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Published : Apr 22, 2023, 8:07 PM IST

भोपाल। आपको याद होगा कांग्रेस में सबको साधने सबको संभालने कमलनाथ ने थोक के भाव में नियुक्तियां दी थी. आलम ये था बीजेपी तंज में कहा करती थी कि, कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने हाथ में सील ठप्पा और लेटर हेड लेकर चलते हैं. यहां जो पद मुफीद लगा लिया. इसे कहा जा रहा था कि, कोई कार्यकर्ता नाराज ना हो इसके लिए जमावट की जा रही है. अब सवाल ये उठ रहा है कि, क्या उसी का सिक्वल अब शिवराज सरकार में दिखाई दे रहा है?

देर है अंधेर नहीं: पिछले कुछ दिनो का आंकड़ा निकाला जाए तो सरकार में थोक के भाव से कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री का दर्जा दिल खोलकर बांटा गया. प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए हैं. इससे क्या रणनीति यह है कि, कैबिनेट और राज्य मंत्री बूथ स्तर तक पार्टी में कार्यकर्ताओं को ये संदेश पहुंचा दें कि बीजेपी में देर है अंधेर नहीं.

मौका देख मारा चौका: हांलाकि जिन्हें ये पद बांटे जा रहे हैं उनकी पार्टी के लोग बखिया उधेड़ने से नहीं चूक रहे हैं. रतलाम विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए अशोक पोरवाल का मामला एकदम ताजा है. इनका एक कथित ऑडियो रतलाम में चर्चा का विषय बना हुआ है. खुद प्राधिकरण अध्यक्ष इसे सियासी साजिश बता रहे हैं, लेकिन हिसाब बराबर करने वालों की काबिलियत देखिए कि ऑडियो निकाय चुनाव के दौरान का है और मौके से चौके के अंदाज में इसे फिर से वायरल कर दिया.

पार्टी में बुनियादी फर्क: कांग्रेस और बीजेपी में बुनियादी फर्क यही है कि, बीजेपी में कई स्तर पर सूचियां बनती है. फिर स्क्रूटनी होती है. फिर भोपाल से लेकर दिल्ली तक कई चरणों में पड़ताल की जाती है. फिर कई दौर की बैठकों के बाद फाइनली वो सूची बाहर आती है. इसमें उम्मीदवार का नाम होता है. कांग्रेस में रेफरेंस लगता है. किसके कितने नाम इस अंदाज में सूची बढ़ती है.

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किस सीट पर टिकट हुई पक्की: मुमकिन ये भी है कि चुनाव के काफी पहले नेता आर्शीवाद देकर ये बता देते हैं कि जमीनी जमावट शुरु कर दो. टिकट तुम्हें मिलने वाला है. मालवा क्षेत्र की एक विधानसभा सीट को लेकर चर्चा है कि यहां एक नौजवान कांग्रेस नेता को पीसीसी चीफ कमलनाथ का आर्शीवाद मिल गया है. जैसे अभयदान दिया जाता है. बिल्कुल उसी अंदाज में कहा गया है इससे कि जा बेटा चुनाव की तैयारी कर तेरा टिकट पक्का है. भाई ने भरोसा मिलते ही अभी से जनसंपर्क तेज कर दिया है.

दिग्विजय के दौरे...किस किस की शामत: दिग्विजय सिंह का अंदाज है कि जो दिखाई दे रहा होता है कहानी उससे कहीं आगे की होती है. दूसरी एक बात है कि एमपी में 10 साल तक सत्ता में रहे हैं. प्रशासन की लीक पोल भी उन्हें मालूम है. सियासी जमावटों के सिरे पकड़ना भी वो बखूबी जानते हैं. इसलिए कांग्रेस की 65 ऐसी सीटें जहां पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा है दिग्विजय सिंह इस सीटों पर संजीवनी लेकर पहुंच रहे हैं.

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दिग्गी के दौरे से बढ़ी धड़कन: खास बात ये है कि केवल कार्यकर्ताओं को संजीवनी देकर दिग्विजय इन सीटों की सियासी तासीर नहीं बदलेंगे. कुछ ईलाज भी तलाशेंगे. सुना ये है कि दिग्विजय सिंह इस दौरे में मुकाबले में खड़ी पार्टी का कच्चा चिट्ठा भी जुटा रहे हैं. अभी रॉ-मटेरियल इकट्ठा किया जा रहा है. कुछ महीनों बाद एक कैम्पेन की शक्ल में जनता के बीच पेश किया जाएगा. अब सुना ये है कि दिग्विजय सिंह जिस विधानसभा सीट पर पहुंच रहे हैं. फूल छाप कांग्रेसियों के साथ भाजपाईयों की भी धड़कने बढ़ रही हैं.

भोपाल। आपको याद होगा कांग्रेस में सबको साधने सबको संभालने कमलनाथ ने थोक के भाव में नियुक्तियां दी थी. आलम ये था बीजेपी तंज में कहा करती थी कि, कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने हाथ में सील ठप्पा और लेटर हेड लेकर चलते हैं. यहां जो पद मुफीद लगा लिया. इसे कहा जा रहा था कि, कोई कार्यकर्ता नाराज ना हो इसके लिए जमावट की जा रही है. अब सवाल ये उठ रहा है कि, क्या उसी का सिक्वल अब शिवराज सरकार में दिखाई दे रहा है?

देर है अंधेर नहीं: पिछले कुछ दिनो का आंकड़ा निकाला जाए तो सरकार में थोक के भाव से कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री का दर्जा दिल खोलकर बांटा गया. प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए हैं. इससे क्या रणनीति यह है कि, कैबिनेट और राज्य मंत्री बूथ स्तर तक पार्टी में कार्यकर्ताओं को ये संदेश पहुंचा दें कि बीजेपी में देर है अंधेर नहीं.

मौका देख मारा चौका: हांलाकि जिन्हें ये पद बांटे जा रहे हैं उनकी पार्टी के लोग बखिया उधेड़ने से नहीं चूक रहे हैं. रतलाम विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए अशोक पोरवाल का मामला एकदम ताजा है. इनका एक कथित ऑडियो रतलाम में चर्चा का विषय बना हुआ है. खुद प्राधिकरण अध्यक्ष इसे सियासी साजिश बता रहे हैं, लेकिन हिसाब बराबर करने वालों की काबिलियत देखिए कि ऑडियो निकाय चुनाव के दौरान का है और मौके से चौके के अंदाज में इसे फिर से वायरल कर दिया.

पार्टी में बुनियादी फर्क: कांग्रेस और बीजेपी में बुनियादी फर्क यही है कि, बीजेपी में कई स्तर पर सूचियां बनती है. फिर स्क्रूटनी होती है. फिर भोपाल से लेकर दिल्ली तक कई चरणों में पड़ताल की जाती है. फिर कई दौर की बैठकों के बाद फाइनली वो सूची बाहर आती है. इसमें उम्मीदवार का नाम होता है. कांग्रेस में रेफरेंस लगता है. किसके कितने नाम इस अंदाज में सूची बढ़ती है.

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किस सीट पर टिकट हुई पक्की: मुमकिन ये भी है कि चुनाव के काफी पहले नेता आर्शीवाद देकर ये बता देते हैं कि जमीनी जमावट शुरु कर दो. टिकट तुम्हें मिलने वाला है. मालवा क्षेत्र की एक विधानसभा सीट को लेकर चर्चा है कि यहां एक नौजवान कांग्रेस नेता को पीसीसी चीफ कमलनाथ का आर्शीवाद मिल गया है. जैसे अभयदान दिया जाता है. बिल्कुल उसी अंदाज में कहा गया है इससे कि जा बेटा चुनाव की तैयारी कर तेरा टिकट पक्का है. भाई ने भरोसा मिलते ही अभी से जनसंपर्क तेज कर दिया है.

दिग्विजय के दौरे...किस किस की शामत: दिग्विजय सिंह का अंदाज है कि जो दिखाई दे रहा होता है कहानी उससे कहीं आगे की होती है. दूसरी एक बात है कि एमपी में 10 साल तक सत्ता में रहे हैं. प्रशासन की लीक पोल भी उन्हें मालूम है. सियासी जमावटों के सिरे पकड़ना भी वो बखूबी जानते हैं. इसलिए कांग्रेस की 65 ऐसी सीटें जहां पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा है दिग्विजय सिंह इस सीटों पर संजीवनी लेकर पहुंच रहे हैं.

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