भोपाल। मध्यप्रदेश में हजारों की संख्या में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, इन कर्मचारियों की 18 अप्रैल से सरकार के खिलाफ लगातार हड़ताल जारी हैं. अब संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं और 8 मई को भोपाल में एक बड़ा प्रदर्शन करने जा रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि "सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं. फिलहाल इस बड़े प्रदर्शन में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपने बच्चे के साथ शामिल होंगे."
प्रदर्शन में बच्चों के साथ महिला कर्मचारी होंगी शामिल: संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि "18 अप्रैल से विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के 32,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. 2013 से लगातार मुख्य मांगों को लेकर शासन-प्रशासन से मांग कर रहे हैं, इसके बाद भी शासन का ध्यान नहीं है. 2018 में भी 42 दिन की हड़ताल की गई थी, उस दौरान मुख्यमंत्री ने स्वयं स्वीकार किया था कि संविदा एक शोषण प्रथा अन्याय पूर्ण व्यवस्था है, इसे समाप्त किया जाएगा. ऐसे में 8 मई को भोपाल के नीलम पार्क में एक बड़ा धरना प्रदर्शन होगा, जिसमें कर्मचारी महिलाएं अपने बच्चों के साथ प्रदर्शन में शामिल होंगी. इस दौरान मामा शिवराज से भांजे-भांजियों की परवाह के लिए मांग करेंगे."
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप: एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि "5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक नीति पारित की गई थी, रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90% वेतनमान दिया जाए, लेकिन एनएचएम के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को उस नीति का लाभ आज तक नहीं दिया गया है. वह सिर्फ घोषणा बनकर रह गई है. अभी कुछ महीने पहले 15 दिसंबर से 3 जनवरी तक अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई थी, उस दौरान भी स्वास्थ्य मंत्री ने 1 महीने के भीतर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, जो अब तक लागू नहीं किया गया. हर बार की तरह सरकार ने इस बार भी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने वादाखिलाफी की है."
कुछ खबरें यहां पढ़ें |
एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों की प्रमुख मांगें
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में रिक्त पदों पर नियमित किया जाए. साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई नीति रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90% वेतनमान तत्काल लागू किया जाए.
- आउट सोर्स, सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए.
- 15 दिसंबर से 3 जनवरी तक की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान जिन कर्मचारियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए.