भोपाल। चुनाव आयोग मतदाता सूची में लोगों के सरनेम को खंगाल रही है, आयोग सरनेम के आधार पर ही फर्जी वोटर्स को ढूंढने में जुटी है. दरअसल चुनाव आयोग प्रदेश में ऐसे मतदाताओं की सत्यता जांचने में जुटी है, जिनके नाम तो एक जैसे हैं ही साथ ही पिता के नाम भी एक जैसे हैं, प्रदेश में ऐसे मतदाताओं की संख्या करीबन 3 लाख हैं. चुनाव आयोग का सॉफ्टवेयर पिता-पुत्र के एक जैसे नामों को डुप्लीकेट मतदाता मानकर चिन्हित करता है, अब चुनाव आयोग ऐसे सभी मतदाताओं का फिजीकल वैरीफिकेशन करा रहा है.
प्रदेश भर में हैं ऐसे मतदाता: चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक मतदाता और पिता के नाम एक जैसे होने पर उनके डुप्लीकेट होने या फर्जी होने को लेकर सवाल उठते हैं, वैसे सॉफ्टवेयर में जो नाम चिन्हित हुए हैं, वह किसी एक विधानसभा सीट में नहीं, बल्कि कई अलग-अलग विधानसभा सीटों में हैं. बताया जा रहा है कि भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट पर ही ऐसे कुछ मतदाताओं और उनके पिता के नाम एक जैसे मिले, जिसे बूथ लेवर अधिकारी द्वारा वैरीफाई किया गया. इस तरह के कई डुप्लीकेट मतदाताओं के नामों को वोटर लिस्ट में खोजा गया है, कई मामलों में तो पिता के नाम एक जैसे पाए गए हैं.
प्रदेश भर में चल रहा अभियान: उधर मुख्य चुनाव पदाधिकारी अनुपम राजन के निर्देश पर प्रदेश भर में मतदाता सूची के शुद्धिकरण का अभियान चलाया जा रहा है. 16 मई तक चलने वाले इस अभियान में बूथ लेवर अधिकारियों को अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर सर्वे कर मतदाता सूची को दुरूस्त करेंगे, इसमें एक जैसे मतदाता पिता के नाम, षिफ्टिड वोटर के नाम वैरीफाइ कर उन्हें डिलीट किया जाएगा. इसके अलावा एक जैसी फोटो वाले मतदाताओं का भी सत्यापन किया जा रहा है, साथ ही जिन मतदाताओं के फोटो स्पष्ट नही हैं, उनके फोटो फिर से अपलोड कराए जा रहे हैं. मुख्य चुनाव पदाधिकारी के मुताबिक यदि किसी मतदाता को शिकायत है कि उनके परिवार के सदस्यों का अलग अलग मतदान केन्द्रों पर नाम हैं तो उसमें भी सुधार कराया जा सकता है. उप मुख्य चुनाव पदाधिकारी राजेष कौल के मुताबिक इसके बाद वोटर लिस्ट को काफी हद तक दुरूस्त कर लिया जाएगा.
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कांग्रेस ने उठाए थे सवाल: उधर कांग्रेस ने भी अपने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर वोटर्स का सत्यापन करने के लिए कहा है, हाल में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी बयान दिया था कि सागर दौरे के दौरान पता चला है कि सागर के एक ही बूथ पर डेढ़ सौ से ज्यादा बाहरी मतदाताओं के नाम हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने मतदाता सूची में फर्जी वोटर्स को लेकर खूब सवाल उठाए थे और ऐसे मतदाताओं की सूची आयोग को सौंपी थी.