भोपाल। कभी मध्यप्रदेश के दस्यु किंग कहे जाने वाले चंबल के पूर्व डकैत मलखान सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस मौके पर मलखान सिंह ने कहा "पार्टी उन्हें जहां प्रचार के लिए कहेगी, वह काम करने जाएंगे." उन्होंने दावा किया कि वह जिस विशेष क्षेत्र में प्रचार करेंगे, वहां पार्टी जीतेगी. बता दें कि मलखान सिंह इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार कर चुके हैं.
बीजेपी नेताओं को बताया डकैत : कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मलखान सिंह ने उन्हें पूर्व डकैत लिखे जाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा "वह डकैत नहीं थे बल्कि बागी थे. परिस्थितियों के चलते उन्होंने बंदूक अपने हाथों में ली थी. उन पर कई अत्याचार हुए और उन अत्याचारों के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई थी. आज डकैती बीजेपी के नेता कर रहे हैं. बीजेपी को देखना चाहिए कि उनके डाकू क्या कर रहे हैं और कितना लूट रहे हैं." मलखान सिंह ने कहा कि मीडिया उन्हें पहले भी डाकू लिखती रही अब कांग्रेस में आए हैं तो भी डाकू लिख रही है, तो क्या सिर्फ मुझे ही डाकू लिखा जाता रहेगा. क्या बीजेपी के नेताओं को डाकू नहीं कहा जाएगा, जो प्रदेश को लूटने में लगे हुए हैं.
नेता प्रतिपक्ष की अजीब प्रतिक्रिया : मलखान सिंह भले ही कांग्रेस में शामिल हो गए हो लेकिन उनके पार्टी में शामिल होने को लेकर कांग्रेस के सीनियर विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह ने यह कहकर अपनी आपत्ति जताई "मलखान सिंह को मैं लेकर नहीं आया बल्कि यह खुद मेरे पास पार्टी में शामिल होने के लिए आए थे. यह मेरे खिलाफ चुनाव में प्रचार करते रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी इन्होंने मेरे विधानसभा चुनाव में मेरे खिलाफ प्रचार किया था."
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कौन हैं मलखान सिंह : बीहड़ों में एक समय डाकू मलखान सिंह की तूती बोलती थी. उनका जन्म भिंड जिले के बिलाव गांव में हुआ था. उनका गांव के सरपंच कैलाश नारायण पंडित के साथ जमीन पर अतिक्रमण को लेकर विवाद था. बाद में विवाद इतना बढ़ा कि मलखान सिंह को चंबल का डकैत बनना पड़ा. बागी होने के बाद मलखान सिंह ने अपनी गैंग बनाई, जिसमें सबसे पहले रिश्ते के भाई और दोस्तों को शामिल किया. मलखान सिंह ने अपहरण व फिरौती वसूलने के बाद हथियार खरीदे. 1980 तक मलखान सिंह पर 94 से ज्यादा मामले दर्ज हो गए थे, जिनमें 17 हत्या, 19 हत्या के प्रयास 28 अप्रैल और 18 डकैती के मामले शामिल हैं. हालांकि 15 जून 1982 को मलखान सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद उन्हें 6 साल की जेल हुई और 1989 में सभी मामलों से उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.