भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखा है. जहां राजसभा सदस्य ने आबादी के हिसाब से केन्द्रीय विद्यालयों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के स्टूडेंट्स का कोटा बढ़ाए जाने की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि केन्द्रीय विद्यालयों में सीटें आरक्षित कर शिक्षा से वंचित जनजाति वर्ग के साथ न्याय किया जाए. अपने आवेदन के साथ दिग्विजय सिंह ने भोपाल की एक छात्रा का आवेदन पत्र भी संलग्न किया है.
यह बताई आरक्षण की वजह: दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि मौजूदा समय में केन्द्रीय विद्यालयों में आदिवासी वर्ग के लिए सिर्फ 7.5 फीसदी आरक्षण है. जबकि प्रदेश की पूरी जनसंख्या में 21.1 फीसदी अनुसूचित जाति की जनसंख्या है. प्रदेश में 6 जिले तो ऐसे हैं, जहां आदिवासी आबादी उस जिले की कुल आबादी के 50 फीसदी से ज्यादा है.मध्यप्रदेश के अलीराजपुर में 89 प्रतिशत, झाबुआ में 87 फीसदी, बडवानी में 69.4 फीसदी, डिंडौरी में 64.7, मंडला में 57.9 और धार में 55.9 फीसदी आदिवासी हैं. इसके अलावा मध्यप्रदेश में 13 जिले ऐसे हैं. जहां अनूसूचित जनजातियों की जनसंख्या 25 से 50 फीसदी के बीच है. इसमें अनूपपुर में 47.9, उमरिया में 46.6, शहडोल में 44.7, बैतूल में 42.3, खरगोन में 39 फीसदी अनुसूचित जनजाती की जनसंख्या है.
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यह की मांग: दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा है कि मौजूदा समय में केन्द्रीय विद्यालय में जो आरक्षण दिया जा रहा है, वह आदिवासी बच्चों के साथ न्याय नहीं है. प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य जिलों में उनकी जनसंख्या के आधार पर केन्द्रीय विद्यालयों में सीटें आरक्षित की जाएं. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 112 केन्द्रीय विद्यालय हैं. इसमें भोपाल रीजन में 65 केन्द्रीय विद्यालय, जबकि जबलपुर रीजन में 47 केन्द्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं. इनमें हर साल लॉटरी के माध्यम से एडमिशन होते हैं. इसमें आरक्षित वर्ग को अलग से प्राथमिकता दी जाती है. (Demand to increase quota for ST)