भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल को भेजे पत्र में लिखा है कि बुधनी में 100 करोड़ रुपये के गेहूं घोटाले में सत्ताधारी दल के करीबी वेयर हाउस मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए गेहूं को घुन जाने तक गोदामों में रखा गया. फिर वहां से हटाकर शासकीय गोदामों में रखवा दिया. पत्र में लिखा है कि बुधनी क्षेत्र के दौरे के दौरान किसानों ने बताया कि वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के बीच चार वर्षों में स्थानीय सहकारी समितियों द्वारा बकतरा, आमोन, जहानपुर क्षेत्र के 8 गोदामों में करीब 66 हजार टन गेहूं समितियों के माध्यम से खरीदकर जमा कराया गया था.
सीएम के करीबियों के गोडाउन : ये सभी गोडाउन मुख्यमंत्री के करीबी लोगों के बताये गये हैं. सीएम शिवराज का गृह गांव जैत भी इन गांवों के बीच स्थित है. विगत वर्षों में 26 हजार टन गेहूं तो पीडीएस के माध्यम से बांटे जाने के लिये वितरित कर दिया गया लेकिन 40 हजार टन गेहूं गोडाउन में ही रखा रहने दिया गया. इसमें देखरेख के अभाव में घुन लग गई. बुधनी क्षेत्र के किसानों ने बताया कि गोडाउन मालिकों को सतत किराया मिलता रहे. इसलिये नागरिक आपूर्ति निगम और भारतीय खाद्य निगम के आला अधिकारियों ने उच्च स्तर से दबाव के चलते 100 करोड़ रूपये से अधिक कीमत का गेहूं निजी गोडाउन से उठाया ही नहीं.
जानबूझकर खराब किया गेहूं : आरोप है कि किराया घोटाला करने के चक्कर में गेहूं को घुन लगने दिया गया. जबकि निजी गोडाउन मालिकों को इस गेहूं की देखरेख करनी थी. गेहूं संधारण के लिये उन्हें 85 रुपये प्रति टन प्रतिमाह का किराया दिया जाता है. गेहूं खराब होने की जिम्मेदारी संबंधित गोडाउन मालिक की मानी जाती है और उसी मान से उसके किराये में कटौती करने का नियम है. पत्र में लिखा है कि जब 100 करोड़ के 40 हजार टन गेहूं में घुन लग गया तो उसे उच्च स्तरीय दबाव में उठाकर रायसेन जिले की औबेदुल्लागंज तहसील के ग्राम नूरगंज और दिवाटिया स्थित वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के गोडाउन में लाकर रख दिया गया. यह निर्णय भी उच्च स्तर से निर्देशों के बाद लिया गया.