भोपाल। पुलिस सिस्टम में एक आईपीएस 14 साल के बाद डीआईजी के पद पर प्रमोट हो जाते हैं और इसके 4 साल बाद आईजी बन जाते हैं लेकिन एमपी में पहली बार ऐसा होगा, जब बड़ी संख्या में डीआईजी 4 साल की बजाय महज 3 साल में ही आईजी बन जाएंगे. यह स्थिति स्टेट पुलिस सर्विस से आईपीएस अवार्ड लेने वाले 8 अफसरों के साथ होगी. इनमें अमित सांघी, टीके विद्यार्थी, सत्येंद्र कुमार शुक्ला, विजेंद्र कुमार सिंह, मनीष कुमार अग्रवाल, प्रशांत खरे, साकेत कुमार पांडे, डीआर तेनीवार, अनीता मालवीय, अतुल सिंह शामिल हैं.
इन सभी को वर्ष 2009 में आईपीएस अवार्ड हुआ था. इनमें से 11 अफसर डीआईजी बन गए, लेकिन यह सभी अभी एसपी या कमांडेंट ही बन पाए हैं जबकि इन्हें भी डीआईजी बन जाना था. अनिता मालवीय तो इसी साल रिटायर भी हो जाएंगी लेकिन बाकी के अफसर अगले साल जनवरी में डीआईजी बनेंगे. यह स्थिति इसलिए बनी कि एमपी में डीआईजी के कम पद हैं. नियमानुसार एक आईपीएस अफसर को 14 साल में डीआईजी और 18वें वर्ष में यानी डीआईजी बनने के 4 साल बाद आईजी के पद पर पदोन्नति मिल जाती है लेकिन इन 8 अफसरों को अपने 15वें साल में प्रमोशन मिलेगा.
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10 महीने में चली जाएगी फील्ड: पदोन्नति में देरी से होने का एक नुकसान उन अफसरों को उठाना पड़ेगा, जिन्हें देरी से प्रमोशन मिलने वाला है यानी जो अभी एसपी हैं और अगले साल डीआईजी बन जाएंगे. इसको समझने के लिए मार्च 2023 में जारी की गई एसपी की ट्रांसफर लिस्ट देखनी होगी. इस लिस्ट में अमित सांघी छतरपुर एसपी, टीके विद्यार्थी जबलपुर एसपी, सत्येंद्र कुमार शुक्ला खंडवा एसपी, मनीष कुमार अग्रवाल डीसीपी इंदौर बनाए गए हैं.
इन सभी को अब अगले साल की 1 जनवरी को डीआईजी के पद पर पदोन्नत होना है. इसी प्रकार वर्ष 2010 बैच के मोहम्मद यूसुफ कुरैशी को एसपी सिंगरौली, सिद्धार्थ बहुगुणा को एसपी रतलाम बनाया गया है और इन्हें डीआईजी पद पर पदोन्नत होना है. ऐसे में अब यह सभी अफसर इन जिलों में बतौर पुलिस अधीक्षक कंटीन्यू नहीं रह पाएंगे. यह अलग बात है कि राज्य सरकार डीआईजी को ही एसपी का जिम्मा सौंप दे, लेकिन ऐसे में एसपी बनने के लिए वेटिंग में खड़े अफसर नाराज हो सकते हैं.