जम्मू: जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे अरनिया सेक्टर में स्ट्रॉबेरी की खेती जोर पकड़ रही है. सीमावर्ती किसानों का ध्यान पहले चावल की खेती पर था, लेकिन बागवानी विभाग की जागरूकता के कारण इस साल उनका मूड स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर बदल गया है. अब इन किसानों को चावल की तुलना में स्ट्रॉबेरी से अधिक लाभ मिल रहा है.
जम्मू की जलवायु परिस्थितियों ने किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किए हैं. अरनिया सीमावर्ती गांवों के किसान इस साल स्ट्रॉबेरी की बंपर फसल से खुश हैं. एक किसान रविकांत ने कहा कि स्ट्रॉबेरी, कम कटाई चक्र वाली उच्च मूल्य वाली फसल है, जो जम्मू के किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हुई है. स्ट्रॉबेरी के फल को इसकी विशिष्ट सुगंध, चमकीले लाल रंग, रसदार बनावट और मिठास के कारण कच्चा खाया जाता है.
अरनिया सेक्टर में स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्रॉबेरी का उपयोग जैम, आइसक्रीम, जूस, मिल्कशेक, पाई और चॉकलेट जैसे पैकेज्ड खाद्य पदार्थ तैयार करने में भी किया जाता है, जिससे साल भर इसका अच्छा बाजार मूल्य मिलता है. रविकांत ने कहा कि, वह स्ट्रॉबेरी की खेती के परिणामों को देखकर काफी खुश हैं. ऐसे में उन्होंने अन्य किसानों से स्ट्रॉबेरी की खेती पर अधिक ध्यान देने का अनुरोध किया.
किसानों स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं
जम्मू के बागवानी निदेशक चमन लाल शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि, पिछले कुछ सालों से जम्मू संभाग में 100 एकड़ भूमि पर किसानों की स्ट्रॉबेरी की खेती करने में रुचि रही है. जम्मू संभाग में फिलहाल स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. उन्होंने बताया कि एक कनाल जमीन में 3 हजार स्ट्रॉबेरी के पौधों की जरूरत होती है, जिससे किसानों को 80 हजार से 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है.
किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं
चमनलाल ने कहा कि, किसानों को जमीन के छोटे टुकड़ों में स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में प्रशिक्षित किया है. जिसका नतीजा यह है कि, स्ट्रॉबेरी की खेती अब जम्मू संभाग में 100 हेक्टेयर भूमि तक फैल गया है. बागवानी निदेशक ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती अक्टूबर से नवंबर के मध्य में शुरू होती है, जबकि सिंचाई प्रणाली के माध्यम से फसलों को घुली हुई खाद दी जाती है.
स्ट्रॉबेरी के पौधे कब फल देते हैं?
स्ट्रॉबेरी के पौधे दिसंबर-जनवरी में फल देना शुरू करते हैं और अप्रैल के मध्य तक कटाई की जाती है. उन्होंने बताया कि, आम और सेब के बागवान भी आम और सेब के पेड़ों के बीच स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी एक उच्च मूल्य वाली और कम समय में तैयार होने वाली फसल है.
इसलिए किसान इस क्षेत्र में इसकी खेती करने के लिए आगे आ रहे हैं, जिससे अच्छी कमाई हो रही है और स्थानीय युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर मिल रहे हैं. केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार किसानों को खेती व्यवसाय की ओर आकर्षित करने के लिए ऋण और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है.
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