भोपाल। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में हो रहे उपचुनाव में अब तक पर्दे के पीछे कई अहम भूमिका में निभाने वाले राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह अब खुलकर सामने आ रहे हैं. दिग्विजय सिंह चुनाव प्रचार के लिए अब मैदान पर उतरेंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें मुंगावली, अशोकनगर और ब्यावरा में चुनाव प्रचार करने के लिए कहा है.
दिग्विजय सिंह का कहना है कि चुनाव में मेरी भूमिका कमलनाथ तय करते हैं, मैं उनका सिपाही हूं और वह मेरे जनरल हैं. वह जो आदेश देंगे, उसका मैं पालन करूंगा. गौरतलब है कि 2018 विधानसभा चुनाव में भी दिग्विजय सिंह पर्दे के पीछे अहम भूमिका पर थे. प्रचार-प्रसार के पोस्टर और बैनर में भी उनकी तस्वीरें नदारद थी, और उन्होंने समन्वय का काम संभाला हुआ था. इस उपचुनाव में भी वह अब तक ऐसी ही भूमिका में रहे हैं लेकिन अब वह सार्वजनिक रूप से प्रचार करते नजर आएंगे.
दिग्विजय सिंह की भूमिका पर सवाल
उपचुनाव को लेकर होने वाली सभाओं में तमाम चर्चाओं के साथ एक चर्चा शुरुआत से जोर पकड़े हुए है कि इस उपचुनाव में दिग्विजय सिंह की क्या भूमिका है? दिग्विजय सिंह की भूमिका को लेकर लगातार सवाल भी खड़े हो रहे ,हैं और सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कोई कह रहा है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ में खटपट हो गई है इसलिए कमलनाथ ने उनसे दूरी बना ली है और वह प्रचार-प्रसार से दूर हैं. हालांकि दिग्विजय सिंह इसे विपक्ष की सियासत करार देते हैं और कहते हैं कि 40 साल पुरानी दोस्ती है ऐसे नहीं टूटने वाली है.
चंबल के लिए इकलौते हैं दिग्विजय
ग्वालियर चंबल की 16 सीटों में जो चुनाव होने जा रहे हैं, इसमें कांग्रेस के पास दिग्विजय सिंह ही इकलौते नेता हैं, जो ग्वालियर चंबल की कांग्रेस की राजनीति में खासा दखल रखते हैं, और सिंधिया परिवार से इतर कांग्रेस संगठन को बखूबी समझते हैं. कहा जाता है कि गुना के राधौगढ़ से आने के कारण दिग्विजय सिंह ग्वालियर चंबल इलाके में खासी पकड़ है और वह बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी सीधा संपर्क रखते हैं. दो बार सरकार बनाते समय ग्वालियर के अनुसूचित जाति के समीकरणों को ध्यान में रखकर दिग्विजय सिंह ने बसपा की चुनौती के बाद भी कांग्रेस को नुकसान नहीं होने दिया था.
कांग्रेस को हो सकता है नुकसान
कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस को नुकसान होगा, क्योंकि बीजेपी ने उनकी छवि मिस्टर बंटाधार की बना दी है. उनके 10 साल के कार्यकाल को मध्य प्रदेश की बर्बादी के तौर पर पेश करके आज भी उन्हें गुनाहगार की तरह साबित किया जाता है. इसीलिए बीजेपी उनका नाम जानबूझकर उठाती है. लेकिन जानकारों की मानें तो जानकारों का कहना है कि बीजेपी अच्छी तरह से जानती है कि अगर दिग्विजय सिंह सक्रिय हो गए तो उन्हें ज्यादा नुकसान हो सकता है. ऐसी स्थिति में बीजेपी पहले से ही उनके खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रही है.
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जहां हमारा जनरल कहेगा कूद पड़ेंगे
उपचुनाव में अपनी भूमिका को लेकर दिग्विजय सिंह खुद कहते हैं कि 'मैंने कहा था कि हमारी टीम के कैप्टन कमलनाथ हैं. टीम का कैप्टन जो आदेश करता है, उसे पूरी टीम मानती है. हमारी टीम में एक कैप्टन हैं और बीजेपी के पांच कैप्टन हैं. यही फर्क हमारे और उनके बीच में हैं इसलिए हमारे कैप्टन का जो आदेश होगा और जो आदेश मुझे दिया जाएगा, उसका पालन होगा. और अब मुझे अशोकनगर, मुंगावली और ब्यावरा का दौरा करूं तो मैं पीसीसी से अनुरोध करूंगा कि मेरा कार्यक्रम बना दीजिए. मैं तो सिपाही हूं, जहां हमारा जनरल कहेगा, कूंद पड़ेंगे'.
बंटाधार के नाम से जाने जाते हैं दिग्विजय
बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी कहते हैं कि दिग्विजय सिंह को बंटाधार के नाम से जाना जाता है. मुझे लगता है कि जिस तरह से प्रदेश को उन्होंने गर्त में धकेल दिया है. दिग्विजय सिंह कहीं भी चले जाएं, जनता ने मन बना लिया है. जनता बीजेपी को निश्चित रूप से 28 सीटों पर जिताना चाहती है. बीजेपी के नुकसान या फायदे के सवाल पर उन्होंने कहा कि नुकसान कांग्रेस को होगा. बीजेपी को हमारे नेताओं से लाभ होगा. मुझे लगता है कि उनकी कहीं भी स्वीकार्यता नहीं है.
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वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि 'पिछले आम चुनाव में बीजेपी ने बंटाधार वाले नारे का इस्तेमाल किया था. उस आम चुनाव ने साबित कर दिया कि जनता ने बंटाधार वाले नारे को खारिज कर दिया. क्योंकि कांग्रेस बीजेपी से ज्यादा सीटें लेकर आई थी. जनता ने कांग्रेस को ज्यादा स्वीकार किया और एक तरह से बीजेपी को खारिज कर दिया, जो सत्ता में थी. तो यह कहना कि उपचुनाव में बंटाधार आ रहे हैं. उस बंटाधार ने तो बीजेपी का बंटाधार कर दिया था. अब वह कांग्रेस के बेड़ापार हैं. मुझे लगता है कि इस राजनीति की पूरी धुरी दिग्विजय सिंह हैं'.