भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव की कमान अमित शाह ने अपने हाथो में ले रखी है. अपने चुनावी फ़ॉर्मूले के तहत पहले ही नेताओं को वे फ़िट कर चुके हैं. महीने भर पहले अमित शाह ने प्रवासी विधायकों को एमपी भेजा था और उनको प्रदेश की हर सीट की नब्ज टटोलने को कहा था. उनकी रिपोर्ट और दो एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद प्रवासी नेताओं को चुनाव मैनेजमेंट की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा शाह की टीम के रूप में अलग-अलग प्रदेशों के अनुभवी नेता भी एमपी में अपनी ताकत झोंक रहे हैं.
नेताओं से लिया फीडबैक : अमित शाह भोपाल में लगातार बैठकें कर चुके हैं. यहां के नेताओं से चुनावी फीडबैक तो लिया ही. साथ ही ये भी जाना कि पार्टी की जीत के लिए उनके पास क्या योजना है. रूठों को मनाने की जिम्मेदारी भी अमित शाह ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को सौंप रखी है. अमित शाह के आदेश के बाद ही जन आशीर्वाद यात्रा का फॉर्मेट बदला गया. इस बार की जन आशीर्वाद यात्रा भी प्रदेश के अलग-अलग कोने से निकाली गई. वो भी अलग-अलग चेहरों ने यात्रा की कमान संभाली.
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दिग्विजय व कमलनाथ टारगेट पर : अमित शाह और पीएम मोदी के भाषणों से साफ है कि इस बार के चुनाव सिर्फ मोदी के चेहरे और उनकी रणनीति पर ही होंगे. सनातन के मुद्दे पर आक्रमक रहने को कहा गया है. साथ ही एमपी में चुनाव का चेहरा पीएम मोदी ही होंगे. बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि 79 सीटों पर बीजेपी की जीत कैसे होगी और बाकी सीटों पर सरकार की योजनाओं और विकास के कामों का कितना इंपैक्ट होगा. बीजेपी के निशाने पर कमलनाथ व दिग्विजय सिंह होंगे. शाह भी जानते हैं कि दोनों ही कांग्रेस के पिलर हैं और इनके गढ़ों में हमला कर ढहा दिया जाता है तो कांग्रेस अपने आप कमजोर हो जाएगी.