भोपाल। एमपी में साल चुनावी है. नेता से लेकर अफसर तक शिवराज सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, लेकिन इस बार पॉलिटिकल पार्टी की बजाय दो आईएएस अफसरों ने ऐसे मुद्दों पर अपनी बात कही है, जो वर्तमान में मुख्यमंत्री की ताकत मानी जाती है. एक आईएएस ने उनकी सोशल इंजीनियरिंग यानी जनता को मिलने वाले न्याय को लेकर सवाल उठाया तो दूसरे ने मंच से सस्पेंड करने के तरीकों पर, लेकिन सवाल यह उठता है कि, क्या सरेआम अफसरों को सस्पेंड करना सीएम की कमजोरी है.? यह आरोप वर्ष 2006 बैच के प्रमोटी आईएएस सभाजीत यादव का है. इतना ही नहीं 2022 बैच के आईएएस वरदमुर्ति मिश्रा ने जिलों के अफसरों को मंच से सस्पेंड करने के तरीकों पर सवाल उठाए हैं.
लोगों को नहीं मिल रहा न्याय: रिटायर्ड आईएएस (IAS) सभाजीत यादव का कहना है कि, MP में लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है. राजस्व के मामले अटके हैं. आपराधिक प्रकरण दर्ज हो गए हैं. झूठे मामलों में पेशी कर रहे हैं. लोग न्याय के लिए तरस रहे हैं. सभाजीत यादव ने अपनी सर्विस के दौरान एसडीएम (SDM) रहते हुए गुना और दूसरे जिलों में न्याय यात्रा निकाली थी. उन्होंने तब लोगों काे मौके पर ही शिकायत और उसका निराकरण करने का अभियान चलाया था. आईएएस यादव ने जिलों की संरचना पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि MP में अभी जिलों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि, एक आदमी को अपने ही जिले से अपने ही जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए दूसरे दो जिले पार करने पड़ते हैं. ऐसे में जरूरत है कि, छोटे जिले बनाए जाएं या फिर जिलों का पुन: गठित किया जाए. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि रायसेन जिले में मंडीदीप के आदमी को भोपाल पार करके मुख्यालय जाना पड़ता है. नरसिंहपुर के बगल में बैठे आदमी को दूर आना पड़ता है. उन्होंने सिरोंज को भी जिला बनाने का अभियान छेड़ रखा है. इसके पहले विधायक नारायण त्रिपाठी ने मैहर को जिला घोषित करवाने का अभियान चला रखा है.
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मंच से सस्पेंड करना नाकामी: हाल ही में नौकरी छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले पूर्व आईएएस अफसर वरद मुर्ति मिश्रा ने शिवराज सिंह की अफसरों पर की जा रही कार्रवाई को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि किसी अफसर को मंच से सस्पेंड करना, सरकार की नाकामी दिखाता है. जिस सीएमएचओ (CMHO) को आप 2 बार मंच से सस्पेंड कर रहे हो, वह हाई कोर्ट से स्टे ले लिया. ऐसे में तो सरकार के मुखिया की किरकिरी ही हुई. दूसरी तरफ कई जिलों में आपने पूरा प्रशासन कलेक्टर के भरोसे छोड़ दिया और उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे बेहतर काम करें.
CM हेल्पलाइन की स्थिति: सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) के आंकड़ों के अनुसार राजस्व के अंतर्गत 17 लाख 55 हजार शिकायतें मिली थी. इनमें से 16 लाख 81 हजार शिकायतों का निराकरण हुआ. गृह विभाग के अंतर्गत आपराधिक मामलों समेत दूसरी शिकायतें मिलाकर 2 करोड़ 4 लाख 81 हजार 953 शिकायतें प्राप्त हुई. इसमें से 1 करोड़ 99 लाख 72 हजार 914 का निराकरण किया गया. आईएएस अफसर का कहना है कि, आखिर न्याय में देरी क्यों? त्वरित निराकरण क्यों नहीं होता?