भोपाल। 2024 के आम चुनाव के पहले आरएसएस देश की मुसलमान आबादी के बीच नए नैरेटिव के साथ पहुंचने की तैयारी में है. इस कवायद का सबसे अहम किरदार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की मुसलमानों के बीच संघ की उजली छवि पेश करने के साथ आरएसएस एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी में है. पहला सांप्रदायिकता के दाग धोने की तैयारी है. दूसरा मुसलमानों के बीच पैठ बनाकर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी और तीसरा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ये संदेश भी कि बीजेपी के साथ भारत का मुसलमान भी बराबरी से खड़ा है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इसके लिए मुसलमानों के बीच नसीहत की शक्ल में ये बात पहुंचा रहा है कि भारत में रह रहा 99 फीसदी मुसलमान अपने पूर्वजों के साथ अपनी रवायत के चलते हिंदुस्तानी है. देश में धर्म के आधार पर जो विभाजन हुआ, उसके लिए कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेता जवाबदार हैं.
2024 के पहले कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध की तैयारी: अभी तक मुस्लिम वर्ग के बीच बीजेपी और संघ की छवि सुधारने में जुटा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अब 2024 के आम चुनाव के पहले कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक में सेंध के रास्ते बना रहा है. मुसलमानों के बीच वोट बैंक की तरह इस्तेमाल ना होने का सबक पहुंचाना इसी कवायद का हिस्सा है. भोपाल में चल रहे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अभ्यास वर्ग के जरिए देश भर के मुसलमानों के बीच संघ की उजली छवि पहुंचाने के साथ ये बताने की भी कोशिश है कि मुस्लिमों को लेकर बीजेपी और संघ का नजरिया लकीर खींच देने वाला कतई नहीं है. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने मुस्लिम समाज को तय दायरे से बाहर लाने की कवायद भी शुरु कर दी है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक इन्द्रेश कुमार का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ और इस तरह के दूसरे संगठन भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. इस तरह की पार्टियां और संगठन देश के विभाजन और लाखों करोड़ों मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसी पार्टियों या संगठनों का समर्थन करना देश के मुसलमानों को गुमराह और इस्लाम को बदनाम करने की नापाक साजिश है.
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मंच के अभ्यास वर्ग में राहुल गांधी पर निशाना: संघ नेता इन्द्रेश कुमार ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि जो मुस्लिम लीग की बदौलत बंटवारे की जमीन बनी आजादी के अमृतकाल में उसकी तरफदारी के क्या मायने हैं. ये बातें शंका पैदा करती हैं. कांग्रेस के नाम लिए बगैर इन्द्रेश कुमार ने कहा कि इससे शंका पैदा होती है कि क्या तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल क्या केवल टुकड़े टुकड़े की ही सियासत करते हैं.