भोपाल। चीता प्रोजेक्ट के तहत कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीतों की मौत को लेकर सवाल उठ रहा है कि कहीं यह किसी स्तर पर लापरवाही के शिकार तो नहीं हो रहे. 70 साल बाद देश की धरती पर लाए गए चीते आए दिन होने वाले हादसों और मौतों को लेकर ज्यादा चर्चा में हैं. वन विभाग को चीतों को संभालने में पसीने छूट रहे हैं. चीतों और शावकों की मौत से वन अमला का तनाव बढ़ा हुआ है, वहीं खुले जंगल में छोड़े गए चीतों के बार-बार जंगल की हद को पार करने की आशंका को लेकर वन अमला बेहद सर्तकता बरत रहा है. पूर्व में जंगल में छोड़ा गया ओवान जंगल की हद पार कर 20 किलोमीटर तक बाहर पहुंच चुका था. बाद में इसे ट्रैंक्युलाइज करना पड़ा था. इसके बाद एक मादा चीता भी जंगल के बाहर जाकर वन अमले की धड़कनें बढ़ा चुकी है.
अभी 6 चीते जंगल में: कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में अभी 6 चीते घूम रहे हैं. पिछले दिनों तीन चीतों को जंगल में छोड़ा गया था. इसमें दो नर चीता अग्नि, वायु और मादा चीता गामिनी को छोड़ा गया है. हालांकि अभी यह सभी कूनो के जंगल में खुले रूप से घूम रहे थे. इन चीतों की निगरानी के लिए वन विभाग अमला अलग-अलग शिफ्टों में चौबीस घंटे निगरानी कर रहा है. चीतों की कॉलर आईडी के माध्मय से इनकी लाइव लोकेशन देखी जा रही है. हालांकि ओवान को अभी भी बाडे़ में ही रखा गया है.
आखिर क्यों हद पार कर रहे चीते: चीतों के कूनो नेशनल पार्क से बाहर जाने के मामले को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट इसकी अहम वजह बताते हैं. एक्सपर्ट डॉ. सुदेश बाघमारे कहते हैं कि आमतौर पर वन्य प्राणियों को मवेशियों का लालच ही जंगल से सटे ग्रामीण इलाकों तक लेकर जाते हैं. पिछले मामले में ही देखने में आया था कि ओवान चीता गांव के पास काफी देर तक मवेशी के शिकार के इंतजार में बैठा रहा. बाद में वन अमले ने इसे यहां से खदेड़ा था. वैसे चीतों का बार-बार गांवों के आसपास जाना सामान्य है. इसकी चर्चा इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इसकी निगरानी ज्यादा हो रही है.
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ऐसे हो रही चीतों की निगरानी
- कूनो नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा कहते हैं कि चीतों के गले में कॉलर आईडी है. इसलिए उनकी लाइव लोकेशन लगातार मिलती रहती है.
- एक चीते के पीछे 3-3 की शिफ्ट में वन अमला काम करता है. यह अमला हमेशा गाड़ी से इनकी निगरानी करता है. चीतों की रफ्तार आम जानवरों से ज्यादा होती है, इसलिए कई बार यह एक रात में ही 20 किलोमीटर दूर पहुंच जाते हैं.
- चीतों की निगरानी के लिए प्रोटोकॉल तय किया गया है कि चौबीस घंटे में एक बार चीतों की फिजिकल मॉनिटरिंग कर उसकी फोटोग्राफ ली जाएगी और उसे संबंधित अधिकारियों को भेजा जाएगा.
- चीतों के अस्वस्थ दिखाई देने पर तत्काल आला अधिकारियों को इसकी सूचना भेजी जाएगी.