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MP Budget 2023: 1 मार्च को खुलेगा शिवराज सरकार का पिटारा, बाजार विशेषज्ञ से जानिए कैसा होगा बजट

1 मार्च को विधानसभा में मध्यप्रदेश का बजट पेश होगा. हर वर्ग बजट से पहले कई उम्मीदें लगाता है. तो वहीं विशेषज्ञ कयास लगाते हैं कि सरकार बजट में क्या कुछ जनता को दे सकती है. ऐसे ही बजट को लेकर कुछ बातें बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया ने ईटीवी भारत से की.

MP Budget 2023
ईटीवी भारत ने की बाजार विशेषज्ञ से बात
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Published : Feb 28, 2023, 12:38 PM IST

ईटीवी भारत ने की बाजार विशेषज्ञ से बात

भोपाल। 1 मार्च को मध्यप्रदेश का बजट आएगा. वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा सदन में बजट पेश करेंगे. मध्यप्रदेश का जो बजट आएगा, वह लोकलुभावन और विकास का होगा, क्योंकि चुनावी साल है. ऐसे में जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार यह बजट पेश करेगी. इसके साथ ही सरकार को कई क्षेत्रों में बजट में कमी भी करनी चाहिए और जनहित के मुद्दों की योजनाओं में बजट को बढ़ाना भी चाहिए. यह सभी बातें आर्थिक बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कही.

बाजार विशेषज्ञ ने की ईटीवी भारत से बात: 1 मार्च यानी बुधवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा. ऐसे में सभी को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. आम और खास की निगाह इस बजट पर लगी हुई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने भी आर्थिक बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया से बात की. आदित्य से जब पूछा गया कि बजट किस तरह का होगा तो उनका कहना था कि इस बार का बजट लोकलुभावन और विकास का होगा, क्योंकि इस साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. इसलिए जनता के हित में कई ऐसी योजनाएं होंगी जो जनता को अपनी और आकर्षित करेगी.

शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ सकता है बजट: मनिया से जब पूछा गया कि किन क्षेत्रों में लगता है कि और बजट की दरकार है. इसको लेकर बाजार विशेषज्ञ का कहना था कि मध्यप्रदेश में इंवेस्टर मीट और प्रवासी ग्लोबल मीट हमने कराई हैं. ऐसे में हमारे पास कई और क्षेत्र भी हैं. जहां रेड कारपेट बिछाकर सरकार आसानी से निवेशकों को आकर्षित कर सकती है. सरकार को चाहिए कि छोटे और लघु उद्योगों को भी वह आगे चलकर डेवलप करे, क्योंकि अगर यह डेवेलप होते हैं तो निश्चित ही व्यापार में मजबूती आएगी. इसके साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार को बेहतर करने की आवश्यकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार को सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही जो डॉक्टर अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें इंसेंटिव भी दिया जाना चाहिए. इसमें भी बजट बढ़ाया जा सकता है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार बजट बढ़ा सकती है, क्योंकि जिस तरह से शिक्षा का स्तर सुधारने की पूरी तैयारी चल रही है, उसको लेकर शिक्षा में भी बजट सरकार बढ़ा सकती है.

चुनावी साल में सरकार हो सकती है मेहरबान: बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया ने कहा कि सरकार को स्टॉप डेम और सोलर सिटी के क्षेत्र में भी काम करने की जरूरत है, क्योंकि आज के समय में जल और बिजली दोनों ही महत्वपूर्ण है. इसमें अगर बजट रखा जाता है तो निश्चित ही बेहतर परिणाम सामने आएंगे. इसके साथ ही रियल स्टेट को भी आगे बढ़ाना चाहिए. सरकार तो इसे हमेशा सौतेला ही समझ लेती है, जबकि इसके माध्यम से कई लोगों को रोजगार मिलता है. मध्यप्रदेश में किन क्षेत्रों में सरकार जनता को राहत दे सकती है. इस पर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है. इसका फायदा सरकार जरूर उठाएगी और चुनावी साल है, ऐसे में जो भी क्षेत्र केंद्र के माध्यम से प्रदेश में संचालित होते हैं. उनमें सरकार निश्चित ही जनता को राहत देगी. कृषि से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार कई राहत दे सकती है.

बजट से जुड़ी कुछ और खबरें यहां पढ़ें

टैक्स में छूट से आमजन को होगी राहत: मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है. जो वेट के रूप में लिया जाता है. अगर सरकार इसमें छूट देती है तो निश्चित ही आमजन को फायदा होगा.मध्य प्रदेश में अभी 28% के लगभग पेट्रोल पर वैट और अन्य टैक्स मिलाकर लगता है. जो राज्य शासन के अधीन है. इसको कम किया जा सकता है, ऐसी उम्मीद बाजार विशेषज्ञ जता रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सरकार डेवलप करने को लेकर बजट रख सकती है, क्योंकि जिस तरह से सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारी जा रही है. उसको लेकर सरकार इसके लिए अतिरिक्त बजट ला सकती है.

सरकार स्टांप ड्यूटी में भी दे सकती है राहत: कर्मचारियों के हितों में भी सरकार कई फैसले ले सकती है. जिसमें रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए भी सरकार कोई स्कीम या अन्य योजनाएं ला सकती है. जिससे कि चुनावी साल में सरकार को फायदा मिल सके. मनिया को लगता है कि सरकार स्टांप ड्यूटी में इस साल कुछ राहत दे सकती है. स्टांप ड्यूटी मध्यप्रदेश में ज्यादा है. अगर यह कम होती है तो निश्चित ही इसका फायदा आम जन को मिलेगा. सबसे ज्यादा बोझ मध्यमवर्गी परिवार पर ही पड़ने की उम्मीद बाजार विशेषज्ञ जता रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार वैसे तो मध्यमवर्गीय को फोकस करके ही हर बजट प्रस्तुत करती है, लेकिन सबसे ज्यादा टेक्स पे करने वाला भी मध्यमवर्गीय नजर आता है और बजट का बोझ भी मध्यम वर्गीय पर ही पड़ेगा.

ईटीवी भारत ने की बाजार विशेषज्ञ से बात

भोपाल। 1 मार्च को मध्यप्रदेश का बजट आएगा. वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा सदन में बजट पेश करेंगे. मध्यप्रदेश का जो बजट आएगा, वह लोकलुभावन और विकास का होगा, क्योंकि चुनावी साल है. ऐसे में जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार यह बजट पेश करेगी. इसके साथ ही सरकार को कई क्षेत्रों में बजट में कमी भी करनी चाहिए और जनहित के मुद्दों की योजनाओं में बजट को बढ़ाना भी चाहिए. यह सभी बातें आर्थिक बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कही.

बाजार विशेषज्ञ ने की ईटीवी भारत से बात: 1 मार्च यानी बुधवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा. ऐसे में सभी को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. आम और खास की निगाह इस बजट पर लगी हुई है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने भी आर्थिक बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया से बात की. आदित्य से जब पूछा गया कि बजट किस तरह का होगा तो उनका कहना था कि इस बार का बजट लोकलुभावन और विकास का होगा, क्योंकि इस साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. इसलिए जनता के हित में कई ऐसी योजनाएं होंगी जो जनता को अपनी और आकर्षित करेगी.

शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ सकता है बजट: मनिया से जब पूछा गया कि किन क्षेत्रों में लगता है कि और बजट की दरकार है. इसको लेकर बाजार विशेषज्ञ का कहना था कि मध्यप्रदेश में इंवेस्टर मीट और प्रवासी ग्लोबल मीट हमने कराई हैं. ऐसे में हमारे पास कई और क्षेत्र भी हैं. जहां रेड कारपेट बिछाकर सरकार आसानी से निवेशकों को आकर्षित कर सकती है. सरकार को चाहिए कि छोटे और लघु उद्योगों को भी वह आगे चलकर डेवलप करे, क्योंकि अगर यह डेवेलप होते हैं तो निश्चित ही व्यापार में मजबूती आएगी. इसके साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार को बेहतर करने की आवश्यकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार को सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही जो डॉक्टर अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें इंसेंटिव भी दिया जाना चाहिए. इसमें भी बजट बढ़ाया जा सकता है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार बजट बढ़ा सकती है, क्योंकि जिस तरह से शिक्षा का स्तर सुधारने की पूरी तैयारी चल रही है, उसको लेकर शिक्षा में भी बजट सरकार बढ़ा सकती है.

चुनावी साल में सरकार हो सकती है मेहरबान: बाजार विशेषज्ञ आदित्य मनिया ने कहा कि सरकार को स्टॉप डेम और सोलर सिटी के क्षेत्र में भी काम करने की जरूरत है, क्योंकि आज के समय में जल और बिजली दोनों ही महत्वपूर्ण है. इसमें अगर बजट रखा जाता है तो निश्चित ही बेहतर परिणाम सामने आएंगे. इसके साथ ही रियल स्टेट को भी आगे बढ़ाना चाहिए. सरकार तो इसे हमेशा सौतेला ही समझ लेती है, जबकि इसके माध्यम से कई लोगों को रोजगार मिलता है. मध्यप्रदेश में किन क्षेत्रों में सरकार जनता को राहत दे सकती है. इस पर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है. इसका फायदा सरकार जरूर उठाएगी और चुनावी साल है, ऐसे में जो भी क्षेत्र केंद्र के माध्यम से प्रदेश में संचालित होते हैं. उनमें सरकार निश्चित ही जनता को राहत देगी. कृषि से लेकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार कई राहत दे सकती है.

बजट से जुड़ी कुछ और खबरें यहां पढ़ें

टैक्स में छूट से आमजन को होगी राहत: मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है. जो वेट के रूप में लिया जाता है. अगर सरकार इसमें छूट देती है तो निश्चित ही आमजन को फायदा होगा.मध्य प्रदेश में अभी 28% के लगभग पेट्रोल पर वैट और अन्य टैक्स मिलाकर लगता है. जो राज्य शासन के अधीन है. इसको कम किया जा सकता है, ऐसी उम्मीद बाजार विशेषज्ञ जता रहे हैं. इसके साथ ही सरकारी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सरकार डेवलप करने को लेकर बजट रख सकती है, क्योंकि जिस तरह से सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारी जा रही है. उसको लेकर सरकार इसके लिए अतिरिक्त बजट ला सकती है.

सरकार स्टांप ड्यूटी में भी दे सकती है राहत: कर्मचारियों के हितों में भी सरकार कई फैसले ले सकती है. जिसमें रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए भी सरकार कोई स्कीम या अन्य योजनाएं ला सकती है. जिससे कि चुनावी साल में सरकार को फायदा मिल सके. मनिया को लगता है कि सरकार स्टांप ड्यूटी में इस साल कुछ राहत दे सकती है. स्टांप ड्यूटी मध्यप्रदेश में ज्यादा है. अगर यह कम होती है तो निश्चित ही इसका फायदा आम जन को मिलेगा. सबसे ज्यादा बोझ मध्यमवर्गी परिवार पर ही पड़ने की उम्मीद बाजार विशेषज्ञ जता रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार वैसे तो मध्यमवर्गीय को फोकस करके ही हर बजट प्रस्तुत करती है, लेकिन सबसे ज्यादा टेक्स पे करने वाला भी मध्यमवर्गीय नजर आता है और बजट का बोझ भी मध्यम वर्गीय पर ही पड़ेगा.

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