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MP में आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन, BJP ने काफी हद तक किया डैमेज कंट्रोल, कमलनाथ और दिग्गी ने रूठों से की बात

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में गुरुवार यानि की 2 नवंबर को नाम वापसी का आखिरी दिन था. पार्टियां बागियों को मनाने की पूरी जोर-आजमाइश करती रहीं. जिसके परिणाम कई जगह अच्छे तो कई जगह बेनतीजा रहे. पढ़िए कहां और किन नेताओं ने लिया नाम वापस

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 2, 2023, 8:48 PM IST

MP Assembly Election 2023
एमपी विधानसभा चुनाव 2023

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 2 नवंबर को नामांकन वापसी का आखिरी दिन है. नामांकन वापसी के आखिरी दिन बागियों को मानने में बीजेपी और कांग्रेस सफल रही, तो कई बागियों ने पार्टियों की समझाइश को दरकिनार कर चुनाव में उतरने का फैसला लिया. भोपाल की उत्तर विधानसभा से निर्दलीय तौर पर लड़ने वाले विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर अकील ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. उन्हें हॉकी बॉल चुनाव चिन्ह दिया गया है. उनके साथ भोपाल नगर निगम के पूर्व पार्षद भी देखे गए, जो उन्हें सीधा-सीधा समर्थन कर रहे हैं. आमिर अकील का कहना है कि "उनका मुकाबला भतीजे से नहीं पूर्व महापौर और भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा से है."

अमित शाह को रूठों को मानने के लिए उनसे बात करनी पड़ी: बीजेपी को अपने ही बागियों का डर सताता रहा है. जिसके चलते रूठों को मनाने के लिए खुद अमित शाह ने उनसे बात की. अमित शाह और तमाम बड़े नेताओं को डैमेज कंट्रोल के लिए खुद उतरना पड़ा. इसका नतीजा यह रहा कि बीजेपी के बागी मान गए. वे पार्टी का गणित नहीं बिगाड़ेंगे, हालांकि कांग्रेस बागियों को मानने में उतनी कामयाब नहीं हो सकी है. कांग्रेस के बागी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं.

खुशी के मारे आ गए आंसू: नामांकन पत्र वापसी के समय जब हुजूर के पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने अपना नामांकन वापस लिया, तो खुशी के मारे कांग्रेस प्रत्याशी नरेश ज्ञानचंदानी के आंसू आ गए. उस दौरान डागा ने उन्हें सहानुभूति दी. डागा को टिकट नहीं मिला, जिससे वे खुद निर्दलीय लड़ना चाहते थे, लेकिन कमलनाथ की समझाइश के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है.

MP Assembly Election 2023
कांग्रेस नेता के निकले आंसू

हालांकि सत्ता धारी पार्टी बीजेपी को बुरहानपुर से झटका लगा है, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व.नंद कुमार सिंह के पुत्र हर्षवर्धन सिंह ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. भाजपा को बुरहानपुर सीट पर बड़ा झटका हो सकता है.

पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, वे निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव कई सीटों पर कांटे की टक्कर और संघर्ष की स्थिति के बीच बागियों की मौजूदगी से सियासी समीकरण डगमगाने की आशंका बढ़ गई है. इस ऊहापोह से प्रदेश के दोनों बड़े दल भाजपा- कांग्रेस जूझ रहे हैं. बागियों को मनाने के लिए शीर्ष नेताओं को मोर्चा संभालना पड़ा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की समझाइश पर जबलपुर में भाजपा के बागी कमलेश अग्रवाल पीछे हट गए.

जारी रहा रुठने-मनाने का दौर: बुरहानपुर, मनगवां, आलोट, टीकमगढ़ सहित कतिपय सीटों पर देर रात तक मान-मनौवल का दौर चला. यही स्थिति कांग्रेस में भी है. गोटेगांव में शेखर चौधरी, भोपाल में आमिर अकील, नासिर - इस्लाम, नहीं माने. जितेंद्र डागा और सिवनी मालवा में ओम रघुवंशी सहित कई सीटों पर पूर्व सीएम कमलनाथ व दिग्विजय सिंह डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुटे रहे. 2 नवंबर को नाम वापस लेने का अंतिम दिन था. दोनों ही दलों को कमोवेश दो दर्जन से अधिक सीटों पर बागियों का टेंशन बना हुआ है. जबलपुर में मुख्यमंत्री चौहान ने जब कमलेश को बुलाकर पार्टी हित में नाम वापस लेने की समझाइश दी, तो वह मान गए और नामांकन वापस ले लिया.

यहां पढ़ें...

पार्टियों ने रुठों को मनाने का किया दावा: भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि पर्चा वापसी के अंतिम क्षणों तक रूठों को मना लिया गया है. भाजपा के चुनावी प्रबंधक मनगवां मुरैना, कटनी (बड़वारा) और आलोट सीट को लेकर चिंतित हो उठे हैं. मनगवा में मौजूदा भाजपा विधायक पंचूलाल प्रजापति की पत्नी पूर्व विधायक पन्नाबाई अब तक मैदान में डटी हुई हैं. कटनी जिले में पूर्व मंत्री मोती कश्यप ने भी क्षेत्रीय गणित बिगाड़ दिए हैं.

बागियों ने बनाया चुनौतीपूर्ण: टिकट कटने से कांग्रेस के पूर्व सांसद पूर्व मंत्री-विधायक, दिग्गज नेता भी बगावत पर उतर आए हैं. कई बागियों ने सीटों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दागियों को मनाने में जुटे रहे. देर रात तक असंतुष्टों की मान-मनौवल का दौर जारी था. हालांकि, झाबुआ सीट पर पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा ने मैदान छोड़ दिया है. पाटन और पनागर में भी कांग्रेस के असंतुष्ट बैठ गए. उन्हें कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा ने मना लिया.

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 2 नवंबर को नामांकन वापसी का आखिरी दिन है. नामांकन वापसी के आखिरी दिन बागियों को मानने में बीजेपी और कांग्रेस सफल रही, तो कई बागियों ने पार्टियों की समझाइश को दरकिनार कर चुनाव में उतरने का फैसला लिया. भोपाल की उत्तर विधानसभा से निर्दलीय तौर पर लड़ने वाले विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर अकील ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया. उन्हें हॉकी बॉल चुनाव चिन्ह दिया गया है. उनके साथ भोपाल नगर निगम के पूर्व पार्षद भी देखे गए, जो उन्हें सीधा-सीधा समर्थन कर रहे हैं. आमिर अकील का कहना है कि "उनका मुकाबला भतीजे से नहीं पूर्व महापौर और भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा से है."

अमित शाह को रूठों को मानने के लिए उनसे बात करनी पड़ी: बीजेपी को अपने ही बागियों का डर सताता रहा है. जिसके चलते रूठों को मनाने के लिए खुद अमित शाह ने उनसे बात की. अमित शाह और तमाम बड़े नेताओं को डैमेज कंट्रोल के लिए खुद उतरना पड़ा. इसका नतीजा यह रहा कि बीजेपी के बागी मान गए. वे पार्टी का गणित नहीं बिगाड़ेंगे, हालांकि कांग्रेस बागियों को मानने में उतनी कामयाब नहीं हो सकी है. कांग्रेस के बागी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं.

खुशी के मारे आ गए आंसू: नामांकन पत्र वापसी के समय जब हुजूर के पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने अपना नामांकन वापस लिया, तो खुशी के मारे कांग्रेस प्रत्याशी नरेश ज्ञानचंदानी के आंसू आ गए. उस दौरान डागा ने उन्हें सहानुभूति दी. डागा को टिकट नहीं मिला, जिससे वे खुद निर्दलीय लड़ना चाहते थे, लेकिन कमलनाथ की समझाइश के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है.

MP Assembly Election 2023
कांग्रेस नेता के निकले आंसू

हालांकि सत्ता धारी पार्टी बीजेपी को बुरहानपुर से झटका लगा है, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व.नंद कुमार सिंह के पुत्र हर्षवर्धन सिंह ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. भाजपा को बुरहानपुर सीट पर बड़ा झटका हो सकता है.

पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, वे निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव कई सीटों पर कांटे की टक्कर और संघर्ष की स्थिति के बीच बागियों की मौजूदगी से सियासी समीकरण डगमगाने की आशंका बढ़ गई है. इस ऊहापोह से प्रदेश के दोनों बड़े दल भाजपा- कांग्रेस जूझ रहे हैं. बागियों को मनाने के लिए शीर्ष नेताओं को मोर्चा संभालना पड़ा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की समझाइश पर जबलपुर में भाजपा के बागी कमलेश अग्रवाल पीछे हट गए.

जारी रहा रुठने-मनाने का दौर: बुरहानपुर, मनगवां, आलोट, टीकमगढ़ सहित कतिपय सीटों पर देर रात तक मान-मनौवल का दौर चला. यही स्थिति कांग्रेस में भी है. गोटेगांव में शेखर चौधरी, भोपाल में आमिर अकील, नासिर - इस्लाम, नहीं माने. जितेंद्र डागा और सिवनी मालवा में ओम रघुवंशी सहित कई सीटों पर पूर्व सीएम कमलनाथ व दिग्विजय सिंह डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुटे रहे. 2 नवंबर को नाम वापस लेने का अंतिम दिन था. दोनों ही दलों को कमोवेश दो दर्जन से अधिक सीटों पर बागियों का टेंशन बना हुआ है. जबलपुर में मुख्यमंत्री चौहान ने जब कमलेश को बुलाकर पार्टी हित में नाम वापस लेने की समझाइश दी, तो वह मान गए और नामांकन वापस ले लिया.

यहां पढ़ें...

पार्टियों ने रुठों को मनाने का किया दावा: भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि पर्चा वापसी के अंतिम क्षणों तक रूठों को मना लिया गया है. भाजपा के चुनावी प्रबंधक मनगवां मुरैना, कटनी (बड़वारा) और आलोट सीट को लेकर चिंतित हो उठे हैं. मनगवा में मौजूदा भाजपा विधायक पंचूलाल प्रजापति की पत्नी पूर्व विधायक पन्नाबाई अब तक मैदान में डटी हुई हैं. कटनी जिले में पूर्व मंत्री मोती कश्यप ने भी क्षेत्रीय गणित बिगाड़ दिए हैं.

बागियों ने बनाया चुनौतीपूर्ण: टिकट कटने से कांग्रेस के पूर्व सांसद पूर्व मंत्री-विधायक, दिग्गज नेता भी बगावत पर उतर आए हैं. कई बागियों ने सीटों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दागियों को मनाने में जुटे रहे. देर रात तक असंतुष्टों की मान-मनौवल का दौर जारी था. हालांकि, झाबुआ सीट पर पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा ने मैदान छोड़ दिया है. पाटन और पनागर में भी कांग्रेस के असंतुष्ट बैठ गए. उन्हें कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा ने मना लिया.

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