भोपाल। चुनाव की नदी.. नर्मदा. क्या वजह है कि एमपी की सियासत में चुनाव नजदीक आते ही नर्मदा के किनारे पर राजनीति उछालें मारने लगती है, नर्मदा परिक्रमाएं और यात्राएं भी सियासी नफे नुकसान देखकर शुरु हो जाती हैं. अब 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने नर्मदा सेवा सेना का गठन किया है, इन नर्मदा सेवकों को नर्मदा में हो रहे अवैध खनन को हर संभव स्तर पर रोकने के साथ नर्मदा संरक्षण की शपथ दिलाई जाएगी. पार्टी की ओर से गठित की जा रही नर्मदा सेवा सेना में 28 जुलाई से नर्मदा के किनारे के जिलों में नर्मदा सेवकों की भर्ती शुरु होगी.
चुनाव से पहले कांग्रेस की नर्मदा सेवा सेना: चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को नर्मदा की चिंता जागी है. चिंता केवल नर्मदा में हो रहे अवैध उत्खनन की नहीं है, नर्मदा के पानी की गुणवत्ता को लेकर भी है और कागज़ों में हुए वृक्षारोपण को लेकर भी. नर्मदा सेवा सेना नदी में मिल रहे अवशिष्ट को रोकने भी अभियान चलाएगी. नर्मदा सेवा सेना के गठन के पार्टी ने जो उद्देश्य बताए हैं, उनमें मां नर्मदा के संरक्षण का प्रयास करना, नदी किनारे सघन वृक्षारोपण करना, नर्मदा नदी के किनारे बसे शहरों से आने वाले सीवेज और गंदगी को नर्मदा में मिलने से रोकना.
नर्मदा सेवे सैनिक बनाएगी कांग्रेस: कांग्रेस नर्मदा के किनारे बसे शहरो में 28 जुलाई से सदस्यता अभियान छेड़ने जा रही है. नर्मदा सेवा के इच्छुक व्यक्तियों को इस अभियान में सदस्य बनाया जाएगा, इन नर्मदा सैनिकों को शपथ दिलाई जाएगी कि वे नर्मदा में होने वाले प्रदूषण को रोकें, नर्मदा में अवैध उत्खनन की शिकायत सही समय पर करें, बाकायदा नर्मदा सेवा सेना का ढांचा तैयार किया जाएगा. आगामी श्रावण सोमवार को मां नर्मदा की पूजा अर्चना के साथ होशंगाबाद में मां नर्मदा की पूजा अर्चना के साथ अभियान की शुरुआत की जाएगी, कांग्रेस नेता भूपेन्द्र गुप्ता को इस अभियान का प्रभारी और विक्रम मस्ताल शर्मा को संयोजक बनाया गया है.
नर्मदा के साथ हमेशा से जुड़ी है चुनावी सियासत: एमपी में चुनाव के साथ ही सियासी दलों को नर्मदा की याद आती है. सीएम शिवराज 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा सेवा यात्रा निकाल चुके हैं, जबकि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की 2018 के विधानसभा चुनाव के एन पहले की गई नर्मदा परिक्रमा यात्रा के बाद कहा जाता रहा है कि नर्मदा परिक्रमा के बाद कहा जाता है कि इसी यात्रा के बाद नर्मदा कनारे के इलाकों में कांग्रेस की विधानसभा सीटें मजबूत हुई और कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ था.