भोपाल। क्या एमपी में बीजेपी 2013 की तरह का पोखरण विस्फोट 2023 में भी कर सकती है. मोदी कैबिनेट संभावित विस्तार का असर क्या एमपी में भी दिखाई देगा. सियासी चर्चाएं जोरों पर हैं कि बीजेपी एमपी में फिर एक बार ट्रस्टेड और टेस्टेंड टीम शिवराज-तोमर को ही चुनाव की कमान देने का मन बना चुकी है. 2013 के विधानसभा चुनाव के ऐन पहले पार्टी संगठन में ऐसा ही फेरबदल हुआ था. किसी को कानों कान खबर नहीं थी और प्रभात झा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए थे. उनकी जगह नरेन्द्र सिंह तोमर को ये जवाबदारी दी गई थी.
सियासी गलियारों में अटकलें तेज: 2013 में बीजेपी की मजबूत जीत ने फिर ये साबित भी कर दिया कि तोमर पार्टी राइट च्वाइस थे. माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में कमजोर संगठन और नाराज महाराज के हालात को संभालने केन्द्रीय नेतृत्व पार्टी में फिर ये प्रयोग दोहरा सकता है. हालांकि पार्टी में एक पक्ष की उम्मीदें थी कि चार राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के साथ एमपी में भी बदलाव होगा. इस बीच केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को लेकर भी सियासी गलियारों में कई अटकलें हैं.
चार राज्यों में बदले गए अध्यक्ष, क्या एमपी का भी नंबर आएगा: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद 2024 के आम चुनाव के लिहाज से आंध्र प्रदेश, झारखंड, पंजाब और तेलंगाना में पार्टी के कप्तान बदल देने का फैसला पार्टी का बड़ा कदम बताया जा रहा है. चुनावी दहलीज पर खड़े मध्यप्रदेश जैसे राज्य में भी ये उम्मीद थी कि इसी कतार में एमपी में भी प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बदल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो क्या ये माना जाए कि वीडी शर्मा का अभयदान मिल गया है. या फिर मोदी कैबिनेट के संभावित विस्तार के साथ एमपी में बदलाव दर्ज होगा. जो नाम इस दौड़ में रहे उनमें कैलाश विजयवर्गीय सबसे मजबूत बताए जा रहे थे, हालांकि उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व में नई और बड़ी जवाबदारी दिए जाने के बाद ये तय है कि विजयवर्गीय इस दौड़ का हिससा अब नहीं होंगे. कतार में आगे प्रहलाद पटेल से लेकर नरेन्द्र सिंह तोमर के नाम है.
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क्या तोमर शिवराज के लकी चार्म पर लगेगी मुहर: सियासी अटकलें ये भी है कि 2013 के विधानसभा चुनाव की कहानी 2023 में भी दोहराई जा सकती है. पार्टी शिवराज सिंह चौहान के साथ जुगलबंदी के लिए नरेन्द्र सिंह तोमर को जिम्मेदारी सौंप सकती है. बीजेपी की भरोसेमंद ये वो जोड़ी है. जिसे पार्टी ने कई दफे आजमाया और नतीजे पक्ष में आए हैं. 2013 में जब प्रभात झा को हटाकर नरेन्द्र सिंह तोमर को कमान सौंपी गई थी. तब नाराज प्रभात झा ने इसे शिवराज का पोखरण विस्फोट बताया गया था. लेकिन जब नतीजे आए तो पार्टी ने पहले से बेहतर परफॉर्म किया था. उस समय अचानक हटाए जाने को लेकर प्रभात झा ने कहा कि ये परिवर्तन इस ढंग से किया गया कि मुझे भनक तक नहीं लगी. झा ने कहा था का अटलजी पोखरण विस्फोट के तरह की गोपनीयता बरती गई. क्या इसी तरह का विस्फोट 2023 में भी हो सकता है.
वीडी शर्मा के नेतृत्व में ही होंगे चुनाव: उधर बीजेपी में फिलहाल इस मुद्दे को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही है. बदलाव जब होगा तब होगा. फिलहाल आस्था जताने का वक्त है. बीजेपी प्रवक्ता गोविंद मालू ने कहा है कि हमारी पार्टी संगठन के प्रदेश के मुखिया वीडी शर्मा हैं. उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं, उनकी काबिलियत के हिसाब से पार्टी उन्हें जिम्मेदारी सौंपेगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी में एक प्रक्रिया है, फिलहाल वीडी शर्मा पार्टी के प्रदेश अधयक्ष हैं और वे ही रहेंगे.