भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 अपने आखिरी चरणों में पहुंचने को है. मतदान में अब एक हफ्ते से भी कम का समय बचा हुआ है. प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को मतों की गणना. इस बीच दल बदलू नेताओं में शुमार बुंदेलखंड से नाता रखने वाले पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह ने घर वापसी कर ली है, इन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन फिर थाम लिया है. सिंह को शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा की सदस्यता दिलाई.
बुंदेलखंड में बड़ा चेहरा हैं अखंड प्रताप सिंह: अपने पिता के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के कारण जन्म से ही अखंड प्रताप राजनीति में रूचि रखने वाले रहे. छात्र जीवन में ग्राम पंचायत जेवर के पंच, सरपंच बने. शासकीय सेवा छोड़ राजनीति में प्रवेश. जनपद पंचायत पलेरा के उपाध्यक्ष,अध्यक्ष भी रहे.
अखंड प्रताप सिंह का सियासी सफर: अखंड प्रताप सिंह 1977 में छठवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए एवं 1978 में प्राक्कलन समिति के सदस्य बने. 1978 में मध्य प्रदेश जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री. इसके बाद सिंह ने मध्य प्रदेश कांग्रेस (अर्स) के प्रदेश अध्यक्ष चुने गये. इसके वे एमपी सी.एफ.डी., एमपी पिछड़ा वर्ग संगठन, एमपी डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन, एमपी यादव महासभा, आदर्श शिक्षा समिति टीकमगढ़ एवं बुन्देलखण्ड किसान संरक्षण संस्था के अध्यक्ष भी रहे.
1993 में दसवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और मंत्री बने: बुंदेलखंड विकास मंच के संयोजक रहते हुए 1993 में दसवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पशुपालन विभाग के बने. 1996 में रेलवे उपभोक्ता सलाहकार मंडल मुंबई के सदस्य बने. 1999 में 13वीं लोक सभा के लिए खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रहे. 2003 में तीसरी बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित और मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग विकास परिषद के अध्यक्ष बने. बीजेपी सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के पद पर रहे चुके हैं अखंड प्रताप सिंह
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भाजपा से नहीं बनी तो थामा अलग-अलग पार्टियों का दामन: अखंड प्रताप सिंह का नाम दल बदलुओं में शामिल है. ये सपा में रहे, बसपा में गए, फिर कांग्रेस में भी आए, अब आम आदमी पार्टी छोड़कर इन्होंने जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया है.