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माधवराव सिंधिया सिंचाई परियोजना के सर्वे की अनुमति, प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी बुलाए जाएंगे वापस

भोपाल में जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक हुई, जिसमें 5500 करोड़ की माधवराव सिंधिया परियोजना के लिए सर्वे का काम शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. इसके अलावा कई परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए मंत्री तुलसी सिलावट ने आवश्यक निर्देश दिए हैं.

Permission for survey of Madhavrao Scindia Irrigation Project
माधवराव सिंधिया सिंचाई परियोजना के सर्वे की अनुमति
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Published : Sep 7, 2020, 2:18 AM IST

भोपाल। जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में 5500 करोड़ की माधवराव सिंधिया परियोजना के लिए सर्वे का काम शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. यह परियोजना काली सिंध और चंबल नदी पर प्रस्तावित है, जिसमें कृषि सिंचाई, उद्योगों और पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा. बैठक में मंत्री तुलसी सिलावट ने केन बेतवा परियोजना के लिए जल्दी ही उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री के साथ दिल्ली में बैठक करने के निर्देश दिए हैं. बैठक में जल संसाधन मंत्री ने निर्देश दिए कि अतिवर्षा के बाद प्रदेश में डेम, तालाब, नहरों की स्थिति के निरीक्षण के लिए राज्य स्तरीय कमेटी गठित की जाए. जो 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करे. मंत्री ने कहा, पुराने डेम और तालाबों की स्थिति की समीक्षा के साथ उनकी मजबूती की ऑडिट रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए.

प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों को वापस बुलाएं

जल संसाधन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि प्रति नियुक्ति पर दूसरे विभागों में गए अधिकारियों को वापस बुलाया जाए. विभाग में किसी भी अधिकारी की पदस्थापना के समय वरिष्ठता को प्राथमिकता दी जाए. सीनियर पद पर जूनियर की नियुक्ति नहीं होना चाहिए. अतिवर्षा के समय यदि सम्बन्धित अधिकारी डेम, तालाब और फील्ड में नहीं गए हैं तो उन्हें चेतावनी पत्र जारी किया जाए.

परियोजनाओं में न हो देरी

संभाग स्तर पर विभागीय कमेटी गठित की जाए, जो अपने क्षेत्रो में स्थित सभी डेम तालाब का निरीक्षण करे और सम्बन्धित जल संरचनाओं की ऑडिट रिपोर्ट 8 दिन में प्रस्तुत करे. विभाग मेें फ्लाइंग स्कॉट का गठन किया जाए, जो अति वर्षा वाले स्थानों का निरीक्षण कर त्वरित कार्रवाई करे और राज्य स्तर पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे. बांध निर्माण और अन्य परियोजना के लिए प्रस्तावित किसी भी टेंडर लगाने की दिनांक आगे नहीं बढ़ाई जाए. सिचाईं परियोजना में देरी का मतलब कृषि उत्पादन पर असर डालता है, इस कारण कोई भी सिंचाई परियोजना में देरी नहीं होना चाहिए.

की गई बांधों की समीक्षा

इसके अलावा जितनी परियोजना पुरानी हाे चुकीं हैं, उनका ऑडिट कराया जाए, इन पर विशेष निगरानी रखी जाए. बालाघाट की बाबन थडी परियोजना के लिए अलग से कार्य योजना बनाकर शेष बची नहर से कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराया जाये.बैठक में प्रदेश में सभी बड़े बांध और अन्य बांध की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई. जिसमें बताया गया कि लगभग सभी बाध क्षमता अनुसार भर चुके हैं. बुन्देलखण्ड के छतरपुर में सामान्य से कम वर्षा के कारण वहां के बांध 20 प्रतिशत खाली हैं, जो आने वाले दिनों में वर्षा से भरने की सम्भावना है.

भोपाल। जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में 5500 करोड़ की माधवराव सिंधिया परियोजना के लिए सर्वे का काम शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. यह परियोजना काली सिंध और चंबल नदी पर प्रस्तावित है, जिसमें कृषि सिंचाई, उद्योगों और पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा. बैठक में मंत्री तुलसी सिलावट ने केन बेतवा परियोजना के लिए जल्दी ही उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री के साथ दिल्ली में बैठक करने के निर्देश दिए हैं. बैठक में जल संसाधन मंत्री ने निर्देश दिए कि अतिवर्षा के बाद प्रदेश में डेम, तालाब, नहरों की स्थिति के निरीक्षण के लिए राज्य स्तरीय कमेटी गठित की जाए. जो 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करे. मंत्री ने कहा, पुराने डेम और तालाबों की स्थिति की समीक्षा के साथ उनकी मजबूती की ऑडिट रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए.

प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों को वापस बुलाएं

जल संसाधन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि प्रति नियुक्ति पर दूसरे विभागों में गए अधिकारियों को वापस बुलाया जाए. विभाग में किसी भी अधिकारी की पदस्थापना के समय वरिष्ठता को प्राथमिकता दी जाए. सीनियर पद पर जूनियर की नियुक्ति नहीं होना चाहिए. अतिवर्षा के समय यदि सम्बन्धित अधिकारी डेम, तालाब और फील्ड में नहीं गए हैं तो उन्हें चेतावनी पत्र जारी किया जाए.

परियोजनाओं में न हो देरी

संभाग स्तर पर विभागीय कमेटी गठित की जाए, जो अपने क्षेत्रो में स्थित सभी डेम तालाब का निरीक्षण करे और सम्बन्धित जल संरचनाओं की ऑडिट रिपोर्ट 8 दिन में प्रस्तुत करे. विभाग मेें फ्लाइंग स्कॉट का गठन किया जाए, जो अति वर्षा वाले स्थानों का निरीक्षण कर त्वरित कार्रवाई करे और राज्य स्तर पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे. बांध निर्माण और अन्य परियोजना के लिए प्रस्तावित किसी भी टेंडर लगाने की दिनांक आगे नहीं बढ़ाई जाए. सिचाईं परियोजना में देरी का मतलब कृषि उत्पादन पर असर डालता है, इस कारण कोई भी सिंचाई परियोजना में देरी नहीं होना चाहिए.

की गई बांधों की समीक्षा

इसके अलावा जितनी परियोजना पुरानी हाे चुकीं हैं, उनका ऑडिट कराया जाए, इन पर विशेष निगरानी रखी जाए. बालाघाट की बाबन थडी परियोजना के लिए अलग से कार्य योजना बनाकर शेष बची नहर से कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराया जाये.बैठक में प्रदेश में सभी बड़े बांध और अन्य बांध की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई. जिसमें बताया गया कि लगभग सभी बाध क्षमता अनुसार भर चुके हैं. बुन्देलखण्ड के छतरपुर में सामान्य से कम वर्षा के कारण वहां के बांध 20 प्रतिशत खाली हैं, जो आने वाले दिनों में वर्षा से भरने की सम्भावना है.

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