भोपाल। मुरैना जिले में जहरीली शराब के कारण हुई कई मौतों के बाद से प्रदेश में शराब को लेकर सियासत गरमा गई है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जहां जहरीली शराब के उत्पादान का कारण प्रदेश में कम शराब दुकानों को बताते हुए प्रदेश में नई शराब दुकानें खोलने की बात कही है, वहीं सीएम शिवराज ने इस मसले पर कहा कि अब तक फैसला नहीं लिया गया है. सीएम के बाद गुरुवार को आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी कहा है कि अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. सीएम शिवराज के बयान के बाद एक बार फिर गृह मंत्री नरोत्म मिश्रा ने कहा है कि वे अपने बयान पर कायम हैं. प्रदेश में नई शराब दुकानें खुलनी चाहिए. जिसको लेकर अब विपक्ष का कहना है कि प्रदेश सरकार में अलग-अलग राय है.
'मैं अपनी बात पर कायम'
सीएम शिवराज के बयान को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सीएम ने बिल्कुल सही कहा. सीएम को शराब नीति के बारे में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार है. मेरे और मुख्यमंत्री के बीच कोई मतभेद नहीं हैं. मैंने अपनी बात कही है. मैंने कहा है कि अमानक और अवैध बिना डिग्री की शराब जो आती है, वहां आती है, जहां ठेके की व्यवस्था नहीं होती है. जहां पर डिग्री वाली शराब बिकना चाहिए, वह नहीं मिलती है. तब लोग इस दिशा में बढ़ते हैं. हमारे बॉर्डर के जो जिले हैं, वहां बाजू के प्रदेशों के जिलों से शराब आती है, इसलिए शराब की दुकानें नई खोलना चाहिए. लेकिन निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है, मैं सिर्फ अपनी बात कह सकता हूं और कह रहा हूं. यह बीजेपी है, यहां पर डेमोक्रेसी है, यहां सब को अपनी बात कहने का अधिकार है. शिवराज सिंह खुद कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को प्रेरित करते हैं, कि वह विषय रखें. इसको अगर कांग्रेस मुख्यमंत्री कौन, मतभेद उभरे, दो धाराएं ऐसा कुछ मानती है, तो मुगालते में रहने का उनको अधिकार है, रह लें. लेकिन मैं अपनी बात पर कायम हूं कि नई शराब दुकानें खुलना चाहिए.
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जरूर खुलेंगी शराब दुकानें- पीसी शर्मा
शराब को लेकर चल रही सियासत पर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा कहते हैं कि मैं समझता हूं कि जो गृह मंत्री कह रहे हैं, उन्हीं की चलेगी. आबकारी मंत्री की कहीं चलने वाली नहीं है, ये बढ़ाएंगे. शराब का गोरख धंधा जरूर बढ़ाएंगे. उसकी आड़ में जहरीली शराब बिकेगी और लोगों की जान जाएगी. क्योंकि अगर मुख्यमंत्री चाहते तो रतलाम में लोगों की जान गई, फिर उज्जैन में गई. अगर वहां उल्टा टांग देते और गाड़ देते तो मुरैना में 26 लोगों की जान नहीं जाती. लॉकडाउन के बाद जब दूसरी दुकानें 8 बजे तक खुलती थी, तब शराब की दुकाने साढ़े 11 बजे तक खुलती थी. सरकार के बड़े-बड़े नेताओं का कनेक्शन शराब माफियाओं से है.
आबकारी विभाग और गृह विभाग के बीच मतभेद
रतलाम, उज्जैन और फिर मुरैना में अवैध और जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर आबकारी विभाग और गृह विभाग में तनातनी चल रही है. गृह विभाग जहां अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिए यह तर्क दे रहा है कि शराब की दुकानों की कम संख्या होने के कारण प्रदेश में अवैध शराब का कारोबार बढ़ रहा है और इसीलिए लोगों की मौत हो रही है. तो वहीं आबकारी विभाग दबी जुबान में इन घटनाओं के लिए पुलिस के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है.
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शराब दुकान की संख्या बढ़ाने को लेकर चल रही हैं अटकलें
आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने जो कहा है, सही कहा है. अभी आबकारी नीति पर विचार विमर्श और मंथन चल रहा है. अभी कोई नीति फाइनल नहीं हुई है, शराब की दुकान बढ़ाना है कि नहीं बढ़ाना है इस पर विचार नहीं हुआ है. यह सारी अटकलें चल रही है.