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आखिर क्यों पर्वतारोही मेघा ने चढ़ी राजनीति की सीढ़ी, जानें असली वजह - एमपी विधानसभा चुनाव 2023

माउंट एवरेस्ट समेत कई चोटियां फतह करने वाली मेघा परमार ने पूर्व सीएम कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया. मेघा मध्य प्रदेश की सरकार की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' की ब्रांड एम्बेसडर हैं. जानें क्यों सियासी मैदान में उतरी मेघा परमार.

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मेघा परमार कांग्रेस में शामिल हुईं
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Published : May 10, 2023, 4:53 PM IST

भोपाल। माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली मध्यप्रदेश की पहली पर्वतारोही मेघा परमार चुनावी समर में उतरने की तैयारी के साथ मैदान में आई हैं. ETV Bharat से बातचीत में मेघा ने कहा कि जनता की मुश्किलों को हल करने की खातिर अगर कांग्रेस मौका दे तो मैं चुनाव लड़ने भी तैयार हूं. वैसे तो जहां मेरी जरुरत ज्यादा है वहां से भी चुनाव लड़ जाऊंगी लेकिन घर के पास मौका मिलता है तो ज्यादा बेहतर. मेघा का इशारा इछावर सीट की तरफ था. बताया जाता है कि यहीं से कांग्रेस के उम्मीदवारों को लेकर कराए गए सर्वे में जनता की ओर से मेघा का नाम पहुंचा है.

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एम्बेसडर मेघा

एमपी के गांव गांव घूमी मेघा फिर लिया फैसला: मेघा परमार की कांग्रेस में एंट्री की पटकथा कैसे लिखी गई. इस सवाल के जवाब में वे कहती हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अम्बेसडर बतौर मैं गांव-गांव घूमी, करीब 300 गांव का सफर तय किया. 52 जिलों में गई. मैनें देखा कि महिलाओं का आधा जीवन तो पानी भरने में बीता जा रहा है. लड़कियां पढ़ें और बढ़ें कैसे गर्ल्स हॉस्टल नहीं है. किसान बेहाल हैं. मेघा कहती हैं मैने ऐसे ऐसे आदिवासी गांव देखे हैं जहां पानी तक नहीं है. काले पत्थरों को तोड़कर आज भी आदिवासी पानी निकालते हैं. इस गर्मी तपिश में चप्पल नहीं हैं आदिवासियों के पास. जब उनका दुख देखा तो मुझसे रहा नहीं गया.

मेघा बताती हैं मेरे साथ दिक्कत ये हुई कि जब मैं इन लोगो की परेशानी लेकर जाती थी तो मैने देखा कोई शिकायत सुनने तैयार नहीं है. फिर मैने तैय कर लिया कि लोगों की मदद करनी है तो मैदान में आकर ही हो पाएगा. इसके पहले मेरी रत्ती भर मंशा नहीं थी लोग पूछते थे मेघा राजनीति में कब आओगी. मैं हमेशा इंकार कर देती थी. लेकिन जब लोगों की परेशानियां देखी तो लगा कि मुझे उतरना पड़ेगा. हांलाकि फिर भी राजनीति में आने का कोई इरादा नही था.

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मेघा परमार स्कूली बच्चों के साथ

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  2. शिवराज सरकार की ब्रांड एम्बेसडर एवरेस्ट फतह करने वाली मेघा परमार ने बताया क्यों थामा कांग्रेस का हाथ

सर्वे में जनता ने भेजा मेघा का नाम: मेघा परमार बताती हैं, उन्होनें किसी भी दल को एप्रोच नहीं किया. असल में राजनीतिक दल जो सर्वे करवाते हैं उसमें उनका नाम आया था. लेकिन राजनीति और खेल का मैदान अलग है दोनों के दांवपेच भी अलग. मेघा जवाब देती हैं मैं खेल भावना से ही आई हूं और दूसरी अहम बात मैं जिस खेल में हूं वहां पर जिंदगी मौत के बीच होता है खेल. जीत हार से कहीं आगे. तो उसी जज्बे से राजनीति में आई हूं.

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जागरुकता अभियान में मेघा परमार

पार्टी टिकट दे तो चुनाव लड़ने भी तैयार: चुनावी साल में कांग्रेस में एंट्री लेने वाली मेघा परमार क्या चुनाव लड़ने का मन बनाकर राजनीति में आईं. मेघा कहती हैं राजनीति में आई हूं तो चुनाव लड़ने से गुरेज कैसा. तैयार हूं अगर पार्टी मुझ पर भरोसा जताती है. वैसे तो जहां से मेरी ज्यादा जरुरत हो वहां से लड़ सकती हूं लेकिन फिर भी अगर मैदान अपने घर का ही हो तो क्या बुरा.

भोपाल। माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली मध्यप्रदेश की पहली पर्वतारोही मेघा परमार चुनावी समर में उतरने की तैयारी के साथ मैदान में आई हैं. ETV Bharat से बातचीत में मेघा ने कहा कि जनता की मुश्किलों को हल करने की खातिर अगर कांग्रेस मौका दे तो मैं चुनाव लड़ने भी तैयार हूं. वैसे तो जहां मेरी जरुरत ज्यादा है वहां से भी चुनाव लड़ जाऊंगी लेकिन घर के पास मौका मिलता है तो ज्यादा बेहतर. मेघा का इशारा इछावर सीट की तरफ था. बताया जाता है कि यहीं से कांग्रेस के उम्मीदवारों को लेकर कराए गए सर्वे में जनता की ओर से मेघा का नाम पहुंचा है.

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एम्बेसडर मेघा

एमपी के गांव गांव घूमी मेघा फिर लिया फैसला: मेघा परमार की कांग्रेस में एंट्री की पटकथा कैसे लिखी गई. इस सवाल के जवाब में वे कहती हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अम्बेसडर बतौर मैं गांव-गांव घूमी, करीब 300 गांव का सफर तय किया. 52 जिलों में गई. मैनें देखा कि महिलाओं का आधा जीवन तो पानी भरने में बीता जा रहा है. लड़कियां पढ़ें और बढ़ें कैसे गर्ल्स हॉस्टल नहीं है. किसान बेहाल हैं. मेघा कहती हैं मैने ऐसे ऐसे आदिवासी गांव देखे हैं जहां पानी तक नहीं है. काले पत्थरों को तोड़कर आज भी आदिवासी पानी निकालते हैं. इस गर्मी तपिश में चप्पल नहीं हैं आदिवासियों के पास. जब उनका दुख देखा तो मुझसे रहा नहीं गया.

मेघा बताती हैं मेरे साथ दिक्कत ये हुई कि जब मैं इन लोगो की परेशानी लेकर जाती थी तो मैने देखा कोई शिकायत सुनने तैयार नहीं है. फिर मैने तैय कर लिया कि लोगों की मदद करनी है तो मैदान में आकर ही हो पाएगा. इसके पहले मेरी रत्ती भर मंशा नहीं थी लोग पूछते थे मेघा राजनीति में कब आओगी. मैं हमेशा इंकार कर देती थी. लेकिन जब लोगों की परेशानियां देखी तो लगा कि मुझे उतरना पड़ेगा. हांलाकि फिर भी राजनीति में आने का कोई इरादा नही था.

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सर्वे में जनता ने भेजा मेघा का नाम: मेघा परमार बताती हैं, उन्होनें किसी भी दल को एप्रोच नहीं किया. असल में राजनीतिक दल जो सर्वे करवाते हैं उसमें उनका नाम आया था. लेकिन राजनीति और खेल का मैदान अलग है दोनों के दांवपेच भी अलग. मेघा जवाब देती हैं मैं खेल भावना से ही आई हूं और दूसरी अहम बात मैं जिस खेल में हूं वहां पर जिंदगी मौत के बीच होता है खेल. जीत हार से कहीं आगे. तो उसी जज्बे से राजनीति में आई हूं.

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जागरुकता अभियान में मेघा परमार

पार्टी टिकट दे तो चुनाव लड़ने भी तैयार: चुनावी साल में कांग्रेस में एंट्री लेने वाली मेघा परमार क्या चुनाव लड़ने का मन बनाकर राजनीति में आईं. मेघा कहती हैं राजनीति में आई हूं तो चुनाव लड़ने से गुरेज कैसा. तैयार हूं अगर पार्टी मुझ पर भरोसा जताती है. वैसे तो जहां से मेरी ज्यादा जरुरत हो वहां से लड़ सकती हूं लेकिन फिर भी अगर मैदान अपने घर का ही हो तो क्या बुरा.

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