भोपाल। कोरोना से बिगड़ी प्रदेश की आर्थिक सेहत को सुधारने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, राज्य सरकार महुआ से बनी शराब और अन्य उत्पाद बिकवाएगी. इसके लिए आबकारी विभाग जल्द महुआ नीति लेकर आ रहा है. 28 जून को महुआ नीति के साथ राजस्व बढ़ाने और अन्य नवाचारों का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने प्रजेंटेशन किया जाएगा.
कई राज्यों में होता है महुआ का निर्यात
मध्यप्रदेश में राजस्व और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार महुआ का सहारा लेने जा रही है. मध्यप्रदेश में महुआ के फूल और फल की उत्पादन क्षमता 54,000 टन है. यह महुआ देश के कई राज्यों में भी मध्य प्रदेश से भेजा जाता है. प्रदेश में महुआ से देसी शराब बनाई जाती है लेकिन राज्य सरकार नए ब्रांड के साथ ड्रिंक के रूप में बेचने की तैयारी कर रही है.
CM शिवराज सिंह के सामने होगा प्रेजेंटेशन
इसके साथ ही इससे बने कई और उत्पाद भी तैयार करने की योजना बनाई जा रही है. राज्य सरकार इसको लेकर जल्द ही नई महुआ नीति लेकर आने वाली है. एक दिन पहले राजस्व, अर्जुन समूह के मंत्रियों की बैठक में इसको लेकर चर्चा की गई है. वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के मुताबिक, बैठक में महुआ नीति पर विचार किया गया है.
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राज्य सरकार जल्द ही नई महुआ नीति लेकर आएगी. कई प्रदेशों में महुआ और उसके उत्पादों का उपयोग होता है. प्रदेश सरकार की कोशिश है कि इसके जरिए प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़े. रोजगार और आर्थिक संसाधन बढ़ाने के लिए मिनिट्स तैयार कर लिए गए हैं. 28 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने इसका प्रेजेंटेशन किया जाएगा.
सरकार तय करती है महुआ की खरीदी दर
मध्य प्रदेश सरकार वनोपज के रूप में महुआ की खरीदी करती है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा महुए की खरीदी के रेट तय किए जाते हैं. पिछले साल 35 रुपये किलो की दर से महुए की खरीदी की गई थी. मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में महुआ को पीला सोना कहा जाता है. बड़ी संख्या में आदिवासी महुआ को बेचकर कमाई करते हैं. सरकार की कोशिश है कि महुआ से बने उत्पादों को बेचकर आदिवासियों के रोजगार के साधन को भी बढ़ाया जाए, वैसे देखा जाए तो राजस्थान में महुए की शराब ब्रांड बनाकर बेचा जाता है. राजस्थान के जोधपुर में चंद्रहास और उदयपुर में आशा ब्रांड काफी मशहूर है. इससे राजस्थान सरकार की झोली में काफी राजस्व आता है.
आदिवासियों से शराब बिकवाने पर कैबिनेट की मनाही
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बताया कि आबकारी विभाग पूर्व में महुआ से बनी शराब आदिवासियों से बिकवाने की तैयारी कर रही थी. विभाग इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव भी लेकर आया था. लेकिन बाद में कैबिनेट में इस पर सहमति नहीं बन सकी थी. अब आबकारी विभाग महुआ नीति लेकर आ रही है. जिससे सरकार के साथ- साथ आदिवासियों का कल्याण होगा.