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कोरोना में अपनों को खो चुके अनाथ बच्चों को अपनाने सामने आए कई परिवार, भोपाल में निसंतान दंपतियों ने जताई गोद लेने की इच्छा

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में करीब ढाई हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने किसी एक परिजन को इस महामारी में खोया है,जबकि 700 से ज्यादा ऐसे बच्चों की जानकारी मिली है जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को इस महामारी में खोया. अब इन बच्चों को अपनाने के लिए कई निसंतान दंपति सामने आए हैं.

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कोरोना में अपनों को खो चुके अनाथ बच्चों को अपनाने सामने आए कई परिवार
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Published : Aug 19, 2021, 4:33 PM IST

Updated : Aug 19, 2021, 10:54 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर बेहद भयावह साबित हुई थी. इस महामारी में बड़ी संख्या में लोगों ने तो अपनी जान गंवाई ही इनमें हजारों बच्चे ऐसे थे जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया था तो सैंकड़ों ऐसे बच्चे भी थे जिन्होंने हमेशा लिए अपने माता-पिता को खो दिया. बाल अधिकार संरक्षण आयोग के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में करीब ढाई हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने किसी एक परिजन को इस महामारी में खोया है, जबकि 700 से ज्यादा ऐसे बच्चों की जानकारी मिली है जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को इस महामारी में खोया. अपनी छोटी से जिंदगी में गम का समंदर देख चुके इन बच्चों के जीवन में एक उम्मीद की किरण आई है. राजधानी भोपाल में 50 से ज्यादा निसंतान दंपतियों ने इन बच्चो को गोद लेने और उन्हें मां-बाप का प्यार देने के इच्छा जाहिर की है.

आगे आए निसंतान दंपति

कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने के लिए राजधानी के 50 से अधिक लोगों ने विभिन्न संस्थाओँ से ऐसे बच्चों को गोद लेने के लिए संपर्क साधा है. बाल सरक्षंण आयोग को भी एक दर्जन से अधिक ऐसे आवेदन मिल चुके हैं. ये आवेदन ऐसे दंपतियों ने दिए हैं जो निसंतान हैं और अनाथ हुए बच्चों को गोद लेकर उन्हें माता-पिता का प्यार देना चाहते हैं. भोपाल के ही कटारा हिल्स इलाके में रहने वाले एक दंपत्ति को शादी के 8 साल बाद भी संतान का सुख नहीं मिल सका, जब इन्हें कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए कई बच्चों के बारे में पता चला तो उन्होंने ऐसे बच्चों को गोद लेने का मन बनाया. हाल ही में उन्होंने बाल कल्याण समिति नाम की संस्था से संपर्क किया है. इसी तरह साकेत नगर मैं रहने वाले एक दंपत्ति भी एक बेटी को गोद लेने की इच्छा रखते हैं. वे उन बच्चों का दर्द महसूस करते हुए कहते हैं कि छोटी उम्र में ही अचानक माता-पिता दोनों को खो देने के बाद ये बच्चे उस दुख से गुजर रहे हैं जिसकी कल्पना करने मात्र से ही सबकुछ अंधकारमय नजर आता है. ऐसे बच्चों को एक परिवार की जरूरत है और वे चाहते हैं कि ऐसी किसी बच्ची को गोद लेकर वे अपने घर का सूनापन दूर करें.

कई परिवारों ने बाल संरक्षण आयोग से किया संपर्क

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने ईटीवी भारत को बताया कि ऐसे कई दंपतियों ने बच्चों को गोद लेने की इच्छा जताई है. अभी तक राजधानी भोपाल में ही करीब 50 ऐसे दंपति सामने आए हैं जिन्होंने ऐसे बच्चों को अपनाकर उनका लालन-पालन करने के लिए विभिन्न संस्थाओं से संपर्क साधा है. बाल सरक्षंण आयोग ऐसे परिवारों के संपर्क में हैं और उनकी जानकारी जुटा रहा है क्योंकि आयोग के सामने कई ऐसे मामले भी आए हैं जिनमें अनाथ हुए बच्चों की संपत्ति हड़पने के लालच में उनके करीबी रिश्तेदारों के ही षडयंत्र करने के मामले सामने आए हैं. ऐसे ही दो मामलों में आयोग ने संबंधित जिले के अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं. आयोग के सदस्य बृजेंद्र चौहान ने बताया
- बाल कल्याण समिति के पास करीब एक दर्जन से ज्यादा दंपतियों ने अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए संपर्क किया है. ये सभी निसंतान हैं.
- चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 पर भी ऐसे बच्चों को गोद लेने के लिए कई दंपतियों के कॉल पहुंचे हैं।


कई मामलों में रिश्तेदार ने किया षडयंत्र, तो कहीं मदद को बढ़ाए हाथ
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 5 मामलों में अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी उनके रिश्तेदारों को सौंपी है. इन मामलों में रिश्तेदार खुद बच्चों को अपनाने के लिए सामने आए थे. जिसके बाद आयोग ने उन्हें फिट पर्सन की मान्यता देते हुए पूरी प्रक्रिया का पालन करने को कहा है.आयोग के नियम के मुताबिक अगर अनाथ बच्चों को यदि कोई रिश्तेदार अपनाना चाहता है और उनके लालन-पालन की इच्छा रखता है तो उसे महिला बाल विकास विभाग में आवेदन देना होता है, इसके बाद उनका आर्थिक सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसके आधार पर रिश्तेदारों को फिट पर्सन घोषित किया जाएगा. इस दौरान आयोग के सामने कई ऐसे भी मामले आए जिनमें अनाथ हुए बच्चों की संपत्ति हड़पने को लेकर उनके करीबी रिश्तेदारों के मन में लालच जाग उठा. ऐसा ही एक मामला हाल ही में इंदौर में सामने आया है जहां कोरोना संक्रमण में जान गंवा चुके व्यवसाई मनीष मोदी और उनकी पत्नी की मौत के बाद अनाथ हुए दो बच्चों के साथ उनकी 66 वर्षीय दादी ने ही धोखाधड़ी कर दी. दादी ने उनके माता-पिता की अलमारी की नकली चाबी बनवा कर सारी नगदी, जेवर और मकान के कागजात निकाल लिए. वे मकान बेचने की तैयारी करने लगी. जिसके बाद आयोग ने जानकारी लगने पर मामले में स्थानीय पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए.

यह है बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
मध्यप्रदेश बाल सरक्षंण आयोग के पास अभी तक ऐसे 700 बच्चों की जानकारी है जिन्होंने इस महामारी में अपने माता पिता दोनों को हमेशा के लिए खो दिया है. ऐसे बच्चों को अगर आप गोद लेना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको-

- एडॉप्शन एजेंसी शिशु ग्रह को आवेदन देना होता है, इसके साथ ही इसका कारा की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है.

- आवेदन करने वाले दंपत्ति की जानकारी को लेकर एडॉप्शन कमेटी संबंधित आर्थिक सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तैयार करती है.

- रिपोर्ट में बच्चा गोद लेने वाले परिवार की तमाम जानकारी जुटाई जाती है.

- इसके बाद फिट पर्सन पाए जाने पर बच्चे को उसे गोद लेने वाले दंपति से मिलवाया जाता है.

- बच्चे और परिवार के बीच समय बिताने और सामंजस्य बनाने के लिए उन्हें कुछ समय साथ में बिताना होता है.

- इसके बाद कलेक्टर, कोर्ट के आदेश पर बच्चे को दंपत्ति को सौंप दिया जाता है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर बेहद भयावह साबित हुई थी. इस महामारी में बड़ी संख्या में लोगों ने तो अपनी जान गंवाई ही इनमें हजारों बच्चे ऐसे थे जिन्होंने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया था तो सैंकड़ों ऐसे बच्चे भी थे जिन्होंने हमेशा लिए अपने माता-पिता को खो दिया. बाल अधिकार संरक्षण आयोग के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में करीब ढाई हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने किसी एक परिजन को इस महामारी में खोया है, जबकि 700 से ज्यादा ऐसे बच्चों की जानकारी मिली है जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को इस महामारी में खोया. अपनी छोटी से जिंदगी में गम का समंदर देख चुके इन बच्चों के जीवन में एक उम्मीद की किरण आई है. राजधानी भोपाल में 50 से ज्यादा निसंतान दंपतियों ने इन बच्चो को गोद लेने और उन्हें मां-बाप का प्यार देने के इच्छा जाहिर की है.

आगे आए निसंतान दंपति

कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने के लिए राजधानी के 50 से अधिक लोगों ने विभिन्न संस्थाओँ से ऐसे बच्चों को गोद लेने के लिए संपर्क साधा है. बाल सरक्षंण आयोग को भी एक दर्जन से अधिक ऐसे आवेदन मिल चुके हैं. ये आवेदन ऐसे दंपतियों ने दिए हैं जो निसंतान हैं और अनाथ हुए बच्चों को गोद लेकर उन्हें माता-पिता का प्यार देना चाहते हैं. भोपाल के ही कटारा हिल्स इलाके में रहने वाले एक दंपत्ति को शादी के 8 साल बाद भी संतान का सुख नहीं मिल सका, जब इन्हें कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए कई बच्चों के बारे में पता चला तो उन्होंने ऐसे बच्चों को गोद लेने का मन बनाया. हाल ही में उन्होंने बाल कल्याण समिति नाम की संस्था से संपर्क किया है. इसी तरह साकेत नगर मैं रहने वाले एक दंपत्ति भी एक बेटी को गोद लेने की इच्छा रखते हैं. वे उन बच्चों का दर्द महसूस करते हुए कहते हैं कि छोटी उम्र में ही अचानक माता-पिता दोनों को खो देने के बाद ये बच्चे उस दुख से गुजर रहे हैं जिसकी कल्पना करने मात्र से ही सबकुछ अंधकारमय नजर आता है. ऐसे बच्चों को एक परिवार की जरूरत है और वे चाहते हैं कि ऐसी किसी बच्ची को गोद लेकर वे अपने घर का सूनापन दूर करें.

कई परिवारों ने बाल संरक्षण आयोग से किया संपर्क

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बृजेश चौहान ने ईटीवी भारत को बताया कि ऐसे कई दंपतियों ने बच्चों को गोद लेने की इच्छा जताई है. अभी तक राजधानी भोपाल में ही करीब 50 ऐसे दंपति सामने आए हैं जिन्होंने ऐसे बच्चों को अपनाकर उनका लालन-पालन करने के लिए विभिन्न संस्थाओं से संपर्क साधा है. बाल सरक्षंण आयोग ऐसे परिवारों के संपर्क में हैं और उनकी जानकारी जुटा रहा है क्योंकि आयोग के सामने कई ऐसे मामले भी आए हैं जिनमें अनाथ हुए बच्चों की संपत्ति हड़पने के लालच में उनके करीबी रिश्तेदारों के ही षडयंत्र करने के मामले सामने आए हैं. ऐसे ही दो मामलों में आयोग ने संबंधित जिले के अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं. आयोग के सदस्य बृजेंद्र चौहान ने बताया
- बाल कल्याण समिति के पास करीब एक दर्जन से ज्यादा दंपतियों ने अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए संपर्क किया है. ये सभी निसंतान हैं.
- चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 पर भी ऐसे बच्चों को गोद लेने के लिए कई दंपतियों के कॉल पहुंचे हैं।


कई मामलों में रिश्तेदार ने किया षडयंत्र, तो कहीं मदद को बढ़ाए हाथ
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 5 मामलों में अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी उनके रिश्तेदारों को सौंपी है. इन मामलों में रिश्तेदार खुद बच्चों को अपनाने के लिए सामने आए थे. जिसके बाद आयोग ने उन्हें फिट पर्सन की मान्यता देते हुए पूरी प्रक्रिया का पालन करने को कहा है.आयोग के नियम के मुताबिक अगर अनाथ बच्चों को यदि कोई रिश्तेदार अपनाना चाहता है और उनके लालन-पालन की इच्छा रखता है तो उसे महिला बाल विकास विभाग में आवेदन देना होता है, इसके बाद उनका आर्थिक सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसके आधार पर रिश्तेदारों को फिट पर्सन घोषित किया जाएगा. इस दौरान आयोग के सामने कई ऐसे भी मामले आए जिनमें अनाथ हुए बच्चों की संपत्ति हड़पने को लेकर उनके करीबी रिश्तेदारों के मन में लालच जाग उठा. ऐसा ही एक मामला हाल ही में इंदौर में सामने आया है जहां कोरोना संक्रमण में जान गंवा चुके व्यवसाई मनीष मोदी और उनकी पत्नी की मौत के बाद अनाथ हुए दो बच्चों के साथ उनकी 66 वर्षीय दादी ने ही धोखाधड़ी कर दी. दादी ने उनके माता-पिता की अलमारी की नकली चाबी बनवा कर सारी नगदी, जेवर और मकान के कागजात निकाल लिए. वे मकान बेचने की तैयारी करने लगी. जिसके बाद आयोग ने जानकारी लगने पर मामले में स्थानीय पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए.

यह है बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
मध्यप्रदेश बाल सरक्षंण आयोग के पास अभी तक ऐसे 700 बच्चों की जानकारी है जिन्होंने इस महामारी में अपने माता पिता दोनों को हमेशा के लिए खो दिया है. ऐसे बच्चों को अगर आप गोद लेना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको-

- एडॉप्शन एजेंसी शिशु ग्रह को आवेदन देना होता है, इसके साथ ही इसका कारा की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है.

- आवेदन करने वाले दंपत्ति की जानकारी को लेकर एडॉप्शन कमेटी संबंधित आर्थिक सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तैयार करती है.

- रिपोर्ट में बच्चा गोद लेने वाले परिवार की तमाम जानकारी जुटाई जाती है.

- इसके बाद फिट पर्सन पाए जाने पर बच्चे को उसे गोद लेने वाले दंपति से मिलवाया जाता है.

- बच्चे और परिवार के बीच समय बिताने और सामंजस्य बनाने के लिए उन्हें कुछ समय साथ में बिताना होता है.

- इसके बाद कलेक्टर, कोर्ट के आदेश पर बच्चे को दंपत्ति को सौंप दिया जाता है.

Last Updated : Aug 19, 2021, 10:54 PM IST
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