भोपाल। महिला अपराधों के बाद अब मध्य प्रदेश दलित अत्याचार के मामलों में भी अव्वल है. सागर में धन प्रसाद की मौत के बाद प्रदेश में दलित राजनीति उफान पर है. बीजेपी ने इसे सियासी मुद्दा बना लिया है और लगातार राज्य सरकार पर हमला बोल रही है, लेकिन हकीकत तो ये है कि जब प्रदेश में बीजेपी की सत्ता थी, तब दलितों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. साल 2018 में 4,753 मामले दलित अत्याचार के दर्ज किए गए हैं.
बीजेपी के बड़े नेताओं ने इसे लेकर सागर में विरोध प्रदर्शन भी किया और कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. लेकिन एनसीआरबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश दलितों पर अत्याचार के मामलों में भी पीछे नहीं है. यहां साल 2018 में 4 हजार से ज्यादा मामले दलित अत्याचार के दर्ज किए गए हैं. इनमें 439 दलित महिला अपराध भी शामिल हैं. आलम ये है कि देश के औसत से दोगुना मामले मध्य प्रदेश में दलित अत्याचार के हैं. दलित अत्याचार में देश का औसत 21 फीसदी है, जबकि मध्य प्रदेश में 42 फीसदी अपराध दर्ज हैं. देश में दलित अत्याचार के मामले में बिहार के बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है. वहीं कांग्रेस और बीजेपी दोनों दल एक दूसरे पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं.
मध्य प्रदेश में दलित अत्याचार के मामले-
साल 2016- 4,922
साल 2017- 5,892
साल 2018- 4,753
दलित अत्याचार के मामलों में टॉप 5 प्रदेश-
बिहार- 42.6 प्रतिशत
मध्य्प्रदेश- 41.9 फीसदी
राजस्थान- 37.7 प्रतिशत
गुजरात- 35.0 फीसदी
उत्तरप्रदेश- 28.8 प्रतिशत
शांति का टापू कहे जाने वाला मध्य प्रदेश लगातार महिला अपराधों में तो नंबर एक पर है ही, वहीं बाल अपराधों में भी कुछ एक राज्यों से ही पीछे है. लेकिन अब दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में भी मध्य प्रदेश लगभग पहले पायदान पर ही है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में दलित अत्याचार के मामले हैरान करने वाले हैं. ये आंकड़े साल 2016 से लेकर साल 2018 तक के हैं. जब प्रदेश में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार थी.