भोपाल। जिस धरती को महाकाल का सदैव आशीर्वाद मिलता है, जहां की प्यास मां नर्मदा बुझाती हैं, जो प्रदेश माता शारदा की गोद में बैठकर लोक संस्कृति का प्रसार करता है, वो अपनी बेटियों के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में लगातार सकारात्मक कदम उठा रहा है. हम बात कर रहे हैं ‘देश का दिल’ मध्यप्रदेश के 67वां स्थापना दिवसकी, जहां महिला सशक्तिकरण की दिशा में पिछले डेढ़ दशक में उल्लेखनीय काम हुआ है. (MP Foundation Day 2022)
मध्यप्रदेश में बोझ से वरदान बनीं बेटियां: मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य है, जहां बेटियों के जन्म पर उत्सव, उज्ज्वल भविष्य और शिक्षा के लिए योजना शुरू हुई. यहां स्व-सहायता समूह की महिलाएं बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां संभाल कर न सिर्फ खुद सशक्त हो रही हैं बल्कि अपने परिवार का सहारा बन रही हैं. आर्थिक, सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. मां की कोख से लेकर अपने पैरों पर खड़े होने तक लड़कियां सिर्फ माता-पिता की ही नहीं बल्कि सरकार की भी जिम्मेदारी हैं. मध्यप्रदेश में सही मायनों में बेटियों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य का सपना साकार हो रहा है.
लाड़ली लक्ष्मी योजना लेकर आई सकारात्मक बदलाव: एक समय था जब समाज में बेटियों का जन्म किसी अभिशाप से कम नहीं माना जाता था. लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम थी. बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य से दूर माता-पिता कम उम्र में ही उनका विवाह कर देते थे, लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक सोच और नेक इरादे ने ये तस्वीर बदल कर रख दी है. साल 2007, एमपी की बेटियों के जीवन में उजला सवेरा लेकर आया और 43 लाख से अधिक लाड़लियों की जिंदगी लाड़ली लक्ष्मी योजना ने बदल दी. लाड़ली लक्ष्मी योजना लॉन्च होने के बाद बेटियों का जन्म उत्सव में बदला, माता-पिता ने लड़कियों की पढ़ाई के महत्व को समझा और इस तरह मध्यप्रदेश सरकार ने आधी आबादी के सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर छू लिया.
67वें स्थापना दिवस पर मध्यप्रदेश का मजबूत कदम: मई 2022 में लाड़ली लक्ष्मी योजना के दूसरे चरण की शुरुआत सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की थी. इस योजना के तहत रजिस्टर होने वाली हर बिटियों को 1 लाख 18 रुपए का प्रमाण-पत्र दिया जाता है. बेटियों की 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई निशुल्क है. इसके बाद क्लास 6 में एडमिशन लेने पर 2 हजार रुपए, 9वीं में प्रवेश लेने पर 4 हजार रुपए, 11वीं और 12वीं में एडमिशन लेने पर 6-6 हजार रुपए की स्कॉलरशिप सरकार की तरफ से दी जाती है. बेटी के 21 साल की उम्र पूरी करने पर 1 लाख रुपए दिए जाते हैं. इतना ही नहीं अब कॉलेज की पढ़ाई की फीस भी सरकार भरेगी.
बुरहानपुर में स्व-सहायता समूह की दीदियों का कमाल: प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करने का काम मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित स्व-सहायता समूह कर रहे हैं. मजदूरी करके गुजारा करने वाली महिलाओं की ऐसी सैकड़ों कहानियां मिल जाएंगी, जिनकी जिंदगी स्व-सहायता समूहों ने बदल कर रख दी है. वे नौकर से मालिक बन चुकी हैं, न सिर्फ खुद काम करके सशक्त हुईं बल्कि पूरे परिवार का जीवन संवार दिया है. घर की आमदनी बढ़ाई और समाज में इज्जत कमाई. स्व-सहायता समूह वाली दीदियां अपने-अपने घर की लक्ष्मी बन चुकीं हैं. ये समहू प्रदेश के सभी जिलों में बेहतर काम कर रहे हैं. अब तक साढ़े 45 हजार से अधिक गांवों में महिला स्व-सहायता समूहों का गठन कर करीब 41 लाख 41 हजार परिवारों को इनसे जोड़ा जा चुका है.
पीएम मोदी ने की समूहों और दीदियों की तारीफ: महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ आगे बढ़ने के अवसर देने के लिए नए-नए उद्योगों को गांव ले जाने की कोशिश मध्यप्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है. जिससे उन्हें आजीविका के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें. प्रदेश में पोषण आहार संयंत्र की जिम्मेदारी समूहों को सौंपी गई है. आजीविका एक्सप्रेस सवारी वाहनों और दीदी कैफे का सफल संचालन, फसल खरीदी का काम, हर घर नल द्वारा जल पहुंचाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर जल प्रदाय का कार्य भी समूह की सदस्य कर रही हैं. जल जीवन मिशन के तहत मध्यप्रदेश का बुरहानपुर देश का पहला जिला बना है, जहां हर घर नल से जल पहुंचा दिया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2 अक्टूबर को इसके लिए जिले को सम्मानित भी किया है. यहां हर घर नल कनेक्शन देने के साथ पेयजल व्यवस्था समूहों के जिम्मे है. इतना ही नहीं यूनिफॉर्म की सिलाई हो या कोरोना के दौरान युद्ध स्तर पर मास्क बनाने की जिम्मेदारी समूहों ने बखूबी निभाई. अब देश की प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियां ग्राम स्तर पर गैस सिलेंडर रिफिलिंग, डीजल और लुब्रीकेंट ऑयल की बिक्री का काम भी समूहों को सौंप रहे हैं. यही वजह है कि कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन समूहों और दीदियों की तारीफ किए बिना नहीं रह पाए.
गरीब परिवारों की बेटियों के हाथ पीले करा रही सरकार: प्रदेश की बेटी की शादी आर्थिक तंगी की वजह से रुकी न रहे इसका इंतजाम भी सरकार ने किया है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के तहत श्रमिकों की बेटियों की शादी के लिए 55 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है. इसमें 11 हजार रुपए नकद, 38 हजार रुपए की सामग्री और 6 हजार रुपए विवाह के आयोजक को दिए जाते हैं. ये सहायता सामूहिक विवाह और निकाह में भाग लेकर शादी करने पर मिलती है.
केंद्र की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन: इसके साथ ही प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के क्रियान्वयन में भी मध्यप्रदेश आगे है. राज्य की महिलाओं को प्रथम जीवित बच्चे के प्रसव से पहले और बाद में आराम मिल सके इसके लिए आर्थिक सहायता मिलती है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत प्रदेश में पात्र परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया गया, जिससे वे धुएं से होने वाली बीमारियों से बच सकें. केंद्र की इस योजना का क्रियान्वयन मध्यप्रदेश में बेहकर तरीके से किया जा रहा है. इस तरह मध्यप्रदेश सरकार अपनी बेटियों और बहनों का न सिर्फ हर तरीके से ध्यान रख रही है बल्कि उन्हें सशक्त बनाने के लिए जरूरी कदम उठा रही है. (madhya pradesh 67th foundation day) (ladli laxmi yojana brought positive changes)