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Shivraj Cabinet की मीटिंग भगवान महाकाल की तस्वीर की अध्यक्षता में करने पर पूर्व नौकरशाहों ने दी सरकार को कड़ी नसीहत - संत समाज शिवराज सरकार के पक्ष में

मंगलवार को उज्जैन में शिवराज की कैबिनेट (Shivraj Cabinet) की मीटिंग बाबा महाकाल की अध्यक्षता में हुई. सीएम शिवराज (CM Shivraj) की कुर्सी पर बाबा महाकाल की तस्वीर रखी गई. मध्यप्रदेश के इतिहास में अनूठी कैबिनेट मीटिंग हुई. इसको जहां बीजेपी और संत समाज अभूतपूर्व बता रहे हैं तो वहीं पूर्व नौकरशाहों ने इसे अनुचित करार दिया है. पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता. ये गलत परंपरा को जन्म दे सकता है. वहीं, संत समाज ने इतिहास के कई उदाहरण देकर शिवराज कैबिनेट की मीटिंग को ऐतिहासिक करार दिया है. (Mahakal portrait centerstage) (Ex bureaucrats frown Meeting way is wrong) (Shviraj Mahakal Cabinet Criticism) (MP secular state or Not)

MP cabinet meeting ex bureaucrats frown
Shivraj Cabinet की मीटिंग भगवान महाकाल की तस्वीर की अध्यक्षता में
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Published : Sep 28, 2022, 7:45 PM IST

Updated : Sep 28, 2022, 8:03 PM IST

भोपाल। उज्जैन में मध्य प्रदेश कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सीट भगवान महाकाल के चित्र को सौंप दी. इसे कुछ पूर्व नौकरशाहों ने अभूतपूर्व बताया, साथ ही नसीहत देते हुए सरकार को सलाह दी कि इससे बचा जा सकता था. पूर्व नौकरशाहों ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि ये तरीका गलत है. क्योंकि भगवान तो हर जगह मौजूद हैं. अगर सरकार की इतनी ही आस्था है तो मीटिंग के बाद भगवान की शरण में जाकर आशीर्वाद लिया जा सकता था. लेकिन मीटिंग करने का ये तरीका कई आलोचनाओं को जन्म देने वाला है.

शिवराज कैबिनेट में क्या हुआ : बता दें कि मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सीएम और राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस आयताकार मेज के दोनों कोनों पर बैठे. बैठक सम्राट विक्रमादित्य प्रशासनिक परिसर के रूप में जानी जाने वाली इमारत में हुई. बैठक में मंत्रिमंडल ने नव विकसित महाकालेश्वर मंदिर गलियारे का नाम 'महाकाल लोक' रखने का फैसला किया. 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉरीडोर के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. कॉरीडोर पर 856 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है.

ये तरीका आलोचना को जन्म देगा : बाबा महाकाल की तस्वीर रखकर कैबिनेट की मीटिंग को लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि यह अभूतपूर्व था और विभिन्न प्रकार की आलोचनाओं को न्यौता देने वाला भी. शिवराज सरकार अगर भगवान का आभार व्यक्त करना चाहती थी तो मंत्री बैठक में भाग लेने के बाद आशीर्वाद लेने भगवान शिव की शरण में जा सकते थे. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव कृपा शंकर शर्मा ने कहा कि एक देवता का चित्र लगाना, अभूतपूर्व ही कहा जाएगा, लेकिन इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता. ऐसा करना सही नहीं है. भगवान हर जगह मौजूद हैं. सरकार और प्रशासन में इसे विशेष रूप से दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसका कोई औचित्य नहीं था.

MP cabinet meeting ex bureaucrats frown
Shivraj Cabinet की मीटिंग भगवान महाकाल की तस्वीर की अध्यक्षता में

ये मत भूलें कि एमपी धर्मनिरपेक्ष राज्य है : पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि हमारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है. कल अन्य धर्मों के लोग भी सरकार से ऐसा करने की मांग करेंगे तो क्या होगा? सेवारत नौकरशाहों को यह सरकार को बताना चाहिए था. एक अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, जो संविधान द्वारा शासित है. "सरकार को बैठक में एक देवता का चित्र लगाकर कैबिनेट बैठक आयोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. क्या वे वही काम करेंगे जो अन्य धर्मों के लोग समान मांग करते हैं?" उन्होंने कहा कि देवता के चित्र को लगाने से बचा जा सकता है. "यह समाज के विभिन्न वर्गों से आलोचना को जन्म देगा".

कांग्रेस व बीजेपी की प्रतिक्रिया : वहीं, कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि जब पार्टी सत्ता में थी (2018 से 2020 तक) उज्जैन में एक कैबिनेट बैठक होने वाली थी, लेकिन धार्मिक नेताओं द्वारा व्यक्त दिए गए सालह पर इसे रद्द कर दिया गया था. एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार उज्जैन में भगवान शिव का रुप 12 'ज्योतिर्लिंग' में से एक है, यह पूरा क्षेत्र भगवान महाकाल द्वारा शासित है और कोई भी समानांतर सरकार शहर में अपनी बैठक नहीं कर सकती. भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने चित्र लगाने को सही ठहराया है. उन्होंने कहा, "सरकार/प्रशासन समाज का हिस्सा है और उज्जैन में कैबिनेट की बैठक करना उचित था क्योंकि यह भगवान महाकाल की छत्रछाया में राज्य के 7.5 करोड़ से अधिक लोगों की ओर से किया गया था."

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संत समाज शिवराज सरकार के पक्ष में : वहीं, महामंडलेश्वर अतुलेशानंद (आचार्य शेखर) भी सरकार के समर्थन में सामने आ गए हैं. उन्होंने कहा कि "यह धार्मिक दृष्टिकोण से सही है. अब, सरकार को कैबिनेट द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को पूरा करना होगा. उन्होंने रामायण का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान राम के भाई भरत ने भी ऐसा किया था. भरत ने अयोध्या पर 'चरण पादुका' के साथ शासन किया था, जब भगवान राम वनवास में थे. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत है कि चौहान सरकार ने भगवान की उपस्थिति में कैबिनेट की बैठक आयोजित की. हमारे धर्म में इस तरह के बहुतेरे उदाहरण हैं. (पीटीआई) (Mahakal portrait centerstage) (Ex bureaucrats frown Meeting way is wrong) (Shviraj Mahakal Cabinet Criticism) (MP secular state or Not)

भोपाल। उज्जैन में मध्य प्रदेश कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सीट भगवान महाकाल के चित्र को सौंप दी. इसे कुछ पूर्व नौकरशाहों ने अभूतपूर्व बताया, साथ ही नसीहत देते हुए सरकार को सलाह दी कि इससे बचा जा सकता था. पूर्व नौकरशाहों ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि ये तरीका गलत है. क्योंकि भगवान तो हर जगह मौजूद हैं. अगर सरकार की इतनी ही आस्था है तो मीटिंग के बाद भगवान की शरण में जाकर आशीर्वाद लिया जा सकता था. लेकिन मीटिंग करने का ये तरीका कई आलोचनाओं को जन्म देने वाला है.

शिवराज कैबिनेट में क्या हुआ : बता दें कि मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सीएम और राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस आयताकार मेज के दोनों कोनों पर बैठे. बैठक सम्राट विक्रमादित्य प्रशासनिक परिसर के रूप में जानी जाने वाली इमारत में हुई. बैठक में मंत्रिमंडल ने नव विकसित महाकालेश्वर मंदिर गलियारे का नाम 'महाकाल लोक' रखने का फैसला किया. 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉरीडोर के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. कॉरीडोर पर 856 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है.

ये तरीका आलोचना को जन्म देगा : बाबा महाकाल की तस्वीर रखकर कैबिनेट की मीटिंग को लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि यह अभूतपूर्व था और विभिन्न प्रकार की आलोचनाओं को न्यौता देने वाला भी. शिवराज सरकार अगर भगवान का आभार व्यक्त करना चाहती थी तो मंत्री बैठक में भाग लेने के बाद आशीर्वाद लेने भगवान शिव की शरण में जा सकते थे. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव कृपा शंकर शर्मा ने कहा कि एक देवता का चित्र लगाना, अभूतपूर्व ही कहा जाएगा, लेकिन इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता. ऐसा करना सही नहीं है. भगवान हर जगह मौजूद हैं. सरकार और प्रशासन में इसे विशेष रूप से दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसका कोई औचित्य नहीं था.

MP cabinet meeting ex bureaucrats frown
Shivraj Cabinet की मीटिंग भगवान महाकाल की तस्वीर की अध्यक्षता में

ये मत भूलें कि एमपी धर्मनिरपेक्ष राज्य है : पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि हमारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है. कल अन्य धर्मों के लोग भी सरकार से ऐसा करने की मांग करेंगे तो क्या होगा? सेवारत नौकरशाहों को यह सरकार को बताना चाहिए था. एक अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, जो संविधान द्वारा शासित है. "सरकार को बैठक में एक देवता का चित्र लगाकर कैबिनेट बैठक आयोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. क्या वे वही काम करेंगे जो अन्य धर्मों के लोग समान मांग करते हैं?" उन्होंने कहा कि देवता के चित्र को लगाने से बचा जा सकता है. "यह समाज के विभिन्न वर्गों से आलोचना को जन्म देगा".

कांग्रेस व बीजेपी की प्रतिक्रिया : वहीं, कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि जब पार्टी सत्ता में थी (2018 से 2020 तक) उज्जैन में एक कैबिनेट बैठक होने वाली थी, लेकिन धार्मिक नेताओं द्वारा व्यक्त दिए गए सालह पर इसे रद्द कर दिया गया था. एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार उज्जैन में भगवान शिव का रुप 12 'ज्योतिर्लिंग' में से एक है, यह पूरा क्षेत्र भगवान महाकाल द्वारा शासित है और कोई भी समानांतर सरकार शहर में अपनी बैठक नहीं कर सकती. भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने चित्र लगाने को सही ठहराया है. उन्होंने कहा, "सरकार/प्रशासन समाज का हिस्सा है और उज्जैन में कैबिनेट की बैठक करना उचित था क्योंकि यह भगवान महाकाल की छत्रछाया में राज्य के 7.5 करोड़ से अधिक लोगों की ओर से किया गया था."

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संत समाज शिवराज सरकार के पक्ष में : वहीं, महामंडलेश्वर अतुलेशानंद (आचार्य शेखर) भी सरकार के समर्थन में सामने आ गए हैं. उन्होंने कहा कि "यह धार्मिक दृष्टिकोण से सही है. अब, सरकार को कैबिनेट द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को पूरा करना होगा. उन्होंने रामायण का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान राम के भाई भरत ने भी ऐसा किया था. भरत ने अयोध्या पर 'चरण पादुका' के साथ शासन किया था, जब भगवान राम वनवास में थे. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत है कि चौहान सरकार ने भगवान की उपस्थिति में कैबिनेट की बैठक आयोजित की. हमारे धर्म में इस तरह के बहुतेरे उदाहरण हैं. (पीटीआई) (Mahakal portrait centerstage) (Ex bureaucrats frown Meeting way is wrong) (Shviraj Mahakal Cabinet Criticism) (MP secular state or Not)

Last Updated : Sep 28, 2022, 8:03 PM IST

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