भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण से हर कोई बेहाल हैं. सरकार और प्रशासन हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रहा हैं, मगर कोरोना की आड़ में कुछ लोग लूट का खेल खेलने में जुटे हुए हैं. इस लूट के खेल में सबसे ज्यादा चिकित्सा जगत से जुड़े लोग शामिल हैं. वे चाहे अस्पताल प्रबंधन हों या फिर एंबुलेंस संचालक.
प्रदेश में बीते कुछ दिनों में पॉजिटिविटी रेट कम हुआ हैं. स्वस्थ होने वाले रोगियों की संख्या भी बढ़ रही हैं. इसके बावजूद बीमार मरीजों और उनके परिजनों को कई तरह के संकटों से जूझना पड़ रहा हैं. निजी अस्पतालों में मरीजों के लाखों के बिल बनाए जा रहे हैं.
इतना ही नहीं मरीजों और मृतकों के शवों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने पर मनमानी दर से वसूली हो रही हैं. इसके अलावा दवाई आपूर्तिकर्ता भी मरीज और उनके परिजनों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, तीन गिरफ्तार
वर्तमान हालातों पर गौर करें, तो एक बात साफ नजर आती है कि ऑक्सीजन आसानी से नहीं मिल रही हैं. एक गैस का सिलेंडर कई-कई हजार में बिक रहा हैं. इतना ही नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन भी 50 हजार और एक लाख रुपये तक में बेचा जा रहा हैं.
दरें तय
कोरोना की आड़ में जारी लूट से सरकार भी वाकिफ हैं. यही कारण है कि सरकार ने अस्पतालों के इलाज की दर के साथ एंबुलेंस की दरें भी तय कर दी हैं. इस लूट को रोकने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस की दरें निर्धारित कर दी गई हैं. शहरी क्षेत्रों में पहले 10 किलोमीटर के लिए 500 रुपये और उसके बाद 25 रुपये प्रति किलोमीटर की दर तय की गई हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पहले 20 किलोमीटर की एवज में 800 रुपये और उसके बाद 25 रुपये प्रति किलोमीटर की राशि वसूली जा सकती हैं. यह दरें एएलएस एंबुलेंस के लिए हैं. बीएलएस एंबुलेंस के संचालक शहरी क्षेत्र में पहले 10 किलोमीटर के लिए ढाई सौ और उसके बाद 20 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से राशि ले सकते हैं. इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में 20 किलोमीटर के लिए 500 रुपये और उसके बाद 20 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से राशि ली जा सकती हैं.
यह बात भी सामने आई है कि निजी अस्पतालों द्वारा भी मरीजों से मनमानी राशि वसूली जा रही हैं. इसके लिए सरकार ने निजी अस्पतालों के लिए दरें तय कर दी हैं. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर मनमानी राशि वसूली गई, तो कार्रवाई की जाएगी. मनमानी वसूली की शिकायतों की जांच के लिए तीन आईएएस अधिकारियों की समिति भी गठित की गई हैं. रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने के लिए आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई भी की जा रही हैं.