ETV Bharat / state

'अभिनयन' में हुआ लोकनाट्य ‘भक्त पूरणमल एवं जगदेव कंकाली’ का प्रसारण - Madhya Pradesh Tribal Museum

केंद्रित साप्ताहिक श्रृंखला 'अभिनयन' में आज राजस्थान की पारंपरिक कुचामणि खयाल शैली में ‘भक्त पूरणमल’ एवं ‘जगदेव कंकाली’ लोकनाट्य का प्रसारण हुआ. पढ़िए पूरी खबर...

Broadcasting folk dance
लोकनाट्य का प्रसारण
author img

By

Published : Sep 11, 2020, 11:31 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में रंग प्रयोगों के प्रदर्शन पर केंद्रित साप्ताहिक श्रृंखला 'अभिनयन' में आज राजस्थान की पारंपरिक कुचामणि खयाल शैली में ‘भक्त पूरणमल’ एवं ‘जगदेव कंकाली’ लोकनाट्य का प्रसारण संग्रहालय के यूट्यूब चैनल पर हुआ. लोकनाट्य ‘भक्त पूरणमल’ की प्रस्तुति का निर्देशन दयाराम भांड, राजस्थान द्वारा किया गया.

प्रस्तुति के केंद्र में कुंवर ‘पूरणमल’ है, जो राजस्थान के राजा शंकर भाटी और रानी पद्मावती का पुत्र है. पूरणमल अपने माता-पिता की तरह ही भगवान् शिव का भक्त होता है. कुछ समय बाद राजा एक युद्ध विजय करता है और एक और रानी महल में ले आता है. कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन छोटी रानी अपनी दासियों के साथ बगीचे में घुमने जाती है, वहां वह पूरणमल पर आशक्त हो जाती है और अपना प्रेम प्रस्ताव रखती है, पूरणमल प्रस्ताव अस्वीकार कर देता है, रानी क्रोध में आकर उसकी हत्या करवा देती है, लेकिन भगवान शिव के आशीर्वाद से वह पुनः जीवित हो जाता है.

इसके बाद लोकनाट्य ‘जगदेव कंकाली’ का प्रसारण किया गया, जिसका निर्देशन बंशीलाल खिलाड़ी, राजस्थान द्वारा किया गया. कथा धारनगरी के राजा उदयदीप के बड़े पुत्र ‘जगदेव’ पर आधारित है. 'जगदेव' राजा की स्वर्गीय रानी का पुत्र है, राजा की दूसरी पत्नी अपने सौतेले पुत्र का पालन-पोषण में कोताही करती है. महल के रास्ते एक दिन मां कंकाली का गुजरना होता है, बच्चे को रोता देख वह एक दासी का रूप धारण कर उस बच्चे का लालन-पालन करती हैं. जगदेव के बड़े होने पर सौतेली मां के कहने पर राजा उसे अपने राज्य से निकाल देता है.

जगदेव राज्य छोड़कर कन्नौज राज्य में राजा जयचन्द्र के दरबार में नौकरी करने लगता है. कन्नौज की रानी चन्द्रीका भैरव नामक राक्षस के दुव्यवहार से परेशान रहती है. जगदेव, भैरव राक्षस से युद्ध कर उसे परास्त कर देता है. दु:खी राक्षस माता कंकाली से जगदेव की मृत्यु की मांग करता है. माता कंकाली एक याचक के रूप में राजा के दरबार में जाती हैं और राजा से जगदेव का सर मांगती है. राजा, माता को अपने पुत्र का सर काट कर दे देता है. यह देख कर भैरव राक्षस का ह्रदय परिवर्तन हो जाता है और वह माता से उसे पुर्नजीवत करने की प्रार्थना करता है. माता के आशीर्वाद से जगदेव पुर्नजीवत हो जाता है.

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में रंग प्रयोगों के प्रदर्शन पर केंद्रित साप्ताहिक श्रृंखला 'अभिनयन' में आज राजस्थान की पारंपरिक कुचामणि खयाल शैली में ‘भक्त पूरणमल’ एवं ‘जगदेव कंकाली’ लोकनाट्य का प्रसारण संग्रहालय के यूट्यूब चैनल पर हुआ. लोकनाट्य ‘भक्त पूरणमल’ की प्रस्तुति का निर्देशन दयाराम भांड, राजस्थान द्वारा किया गया.

प्रस्तुति के केंद्र में कुंवर ‘पूरणमल’ है, जो राजस्थान के राजा शंकर भाटी और रानी पद्मावती का पुत्र है. पूरणमल अपने माता-पिता की तरह ही भगवान् शिव का भक्त होता है. कुछ समय बाद राजा एक युद्ध विजय करता है और एक और रानी महल में ले आता है. कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन छोटी रानी अपनी दासियों के साथ बगीचे में घुमने जाती है, वहां वह पूरणमल पर आशक्त हो जाती है और अपना प्रेम प्रस्ताव रखती है, पूरणमल प्रस्ताव अस्वीकार कर देता है, रानी क्रोध में आकर उसकी हत्या करवा देती है, लेकिन भगवान शिव के आशीर्वाद से वह पुनः जीवित हो जाता है.

इसके बाद लोकनाट्य ‘जगदेव कंकाली’ का प्रसारण किया गया, जिसका निर्देशन बंशीलाल खिलाड़ी, राजस्थान द्वारा किया गया. कथा धारनगरी के राजा उदयदीप के बड़े पुत्र ‘जगदेव’ पर आधारित है. 'जगदेव' राजा की स्वर्गीय रानी का पुत्र है, राजा की दूसरी पत्नी अपने सौतेले पुत्र का पालन-पोषण में कोताही करती है. महल के रास्ते एक दिन मां कंकाली का गुजरना होता है, बच्चे को रोता देख वह एक दासी का रूप धारण कर उस बच्चे का लालन-पालन करती हैं. जगदेव के बड़े होने पर सौतेली मां के कहने पर राजा उसे अपने राज्य से निकाल देता है.

जगदेव राज्य छोड़कर कन्नौज राज्य में राजा जयचन्द्र के दरबार में नौकरी करने लगता है. कन्नौज की रानी चन्द्रीका भैरव नामक राक्षस के दुव्यवहार से परेशान रहती है. जगदेव, भैरव राक्षस से युद्ध कर उसे परास्त कर देता है. दु:खी राक्षस माता कंकाली से जगदेव की मृत्यु की मांग करता है. माता कंकाली एक याचक के रूप में राजा के दरबार में जाती हैं और राजा से जगदेव का सर मांगती है. राजा, माता को अपने पुत्र का सर काट कर दे देता है. यह देख कर भैरव राक्षस का ह्रदय परिवर्तन हो जाता है और वह माता से उसे पुर्नजीवत करने की प्रार्थना करता है. माता के आशीर्वाद से जगदेव पुर्नजीवत हो जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.