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27 साल बाद टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला, मध्यप्रदेश में ऐसे बढ़ रही है रफ्तार

देश में टिड्डियों का ऐसा हमला 27 साल बाद हुआ है, जिसने देश में आतंक मचा रखा है, पेंडेमिक के दौरान इस हमले से किसान तबाह हो गया है, वहीं कोरोना से जूझ रहा प्रशासन भी परेशान हो गया है.

Locust attack in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप
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Published : May 31, 2020, 5:29 PM IST

Updated : May 31, 2020, 5:36 PM IST

भोपाल। पाकिस्तान की ओर से आ रहा टिड्डियों का प्रकोप राजस्थान के रास्ते मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ता जा रहा है, देश में टिड्डियों का ऐसा हमला 27 साल बाद हुआ है, वहीं इससे मध्यप्रदेश के करीब 17 जिलों में आतंक फैल चुका है. दमोह में तो पहली बार टिड्डियों को देखकर किसान हैरान हैं. किसानों को ये डर सता रहा है कि कहीं टिड्डियों के हमले से किसानों की फसल बर्बाद न हो जाए. फसल को बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. किसान इसके लिए परंपरागत ढंग से थाली, पीपे और बर्तन बजाकर टिड्डियों को भगाने के प्रयास में जुटे हैं.

मध्यप्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप

क्या है टिड्डी दल

टिड्डी देखने में एक छोटा सा कीट है. यदि आप एक टिड्डी देखेंगे तो यह आपको बिल्कुल खतरनाक नहीं लगेगा, लेकिन जब यह झुंड में आते हैं, तो टिड्डी दल कहलाते हैं और बहुत तेज व विनाशकारी नुकसान पहुंचाने वाले हो जाते हैं. किसान टिड्डियों को अपना दुश्मन मानते हैं, क्योंकि यह फसलों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. जिस इलाके से इनका झुंड गुजर जाए. वहां की पूरी फसलें चौपट हो जाती हैं.

कहां है टिड्डियों का सर्वाधिक प्रकोप

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने वर्तमान स्थिति में हॉर्न ऑफ अफ्रीका, रेड सी क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम एशिया में टिड्डी झुंड के सबसे खतरनाक हमलों की चेतावनी जारी की है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में टिड्डियों के आक्रमण के कारण आपातकाल की घोषणा की गई है. वहीं सोमालिया में भी टिड्डियों के हमले के कारण राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है. अफ्रीका के हॉर्न को टिड्डी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कहा गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार सोमालिया और इथियोपिया में 25 साल में सबसे बड़े टिड्डी हमले हुए थे. अफ्रीका में एक टिड्डी दल की लंबाई 60 किलोमीटर (37 मील) और चौड़ाई 40 किलोमीटर (25 मील) मापी गई है.

टिड्डियों से रोकथाम और बचाव

हालांकि इन टिड्डियों से रोकथाम और बचाव के लिए फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव जरूर किया जाता है, लेकिन फिर भी यह उनके द्वारा किये जाने वाले नुकसान पर ज्यादा काबू नहीं कर पाता है. टिड्ढियों में कई जगह हेलिकॉप्टर से भी कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. लेकिन इनके झुंड इतने बड़े होते हैं कि उसका भी इनकी तादाद पर कोई खास असर नहीं पड़ता है.

भोपाल। पाकिस्तान की ओर से आ रहा टिड्डियों का प्रकोप राजस्थान के रास्ते मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ता जा रहा है, देश में टिड्डियों का ऐसा हमला 27 साल बाद हुआ है, वहीं इससे मध्यप्रदेश के करीब 17 जिलों में आतंक फैल चुका है. दमोह में तो पहली बार टिड्डियों को देखकर किसान हैरान हैं. किसानों को ये डर सता रहा है कि कहीं टिड्डियों के हमले से किसानों की फसल बर्बाद न हो जाए. फसल को बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. किसान इसके लिए परंपरागत ढंग से थाली, पीपे और बर्तन बजाकर टिड्डियों को भगाने के प्रयास में जुटे हैं.

मध्यप्रदेश में टिड्डियों का प्रकोप

क्या है टिड्डी दल

टिड्डी देखने में एक छोटा सा कीट है. यदि आप एक टिड्डी देखेंगे तो यह आपको बिल्कुल खतरनाक नहीं लगेगा, लेकिन जब यह झुंड में आते हैं, तो टिड्डी दल कहलाते हैं और बहुत तेज व विनाशकारी नुकसान पहुंचाने वाले हो जाते हैं. किसान टिड्डियों को अपना दुश्मन मानते हैं, क्योंकि यह फसलों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. जिस इलाके से इनका झुंड गुजर जाए. वहां की पूरी फसलें चौपट हो जाती हैं.

कहां है टिड्डियों का सर्वाधिक प्रकोप

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने वर्तमान स्थिति में हॉर्न ऑफ अफ्रीका, रेड सी क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम एशिया में टिड्डी झुंड के सबसे खतरनाक हमलों की चेतावनी जारी की है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में टिड्डियों के आक्रमण के कारण आपातकाल की घोषणा की गई है. वहीं सोमालिया में भी टिड्डियों के हमले के कारण राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया गया है. अफ्रीका के हॉर्न को टिड्डी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कहा गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार सोमालिया और इथियोपिया में 25 साल में सबसे बड़े टिड्डी हमले हुए थे. अफ्रीका में एक टिड्डी दल की लंबाई 60 किलोमीटर (37 मील) और चौड़ाई 40 किलोमीटर (25 मील) मापी गई है.

टिड्डियों से रोकथाम और बचाव

हालांकि इन टिड्डियों से रोकथाम और बचाव के लिए फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव जरूर किया जाता है, लेकिन फिर भी यह उनके द्वारा किये जाने वाले नुकसान पर ज्यादा काबू नहीं कर पाता है. टिड्ढियों में कई जगह हेलिकॉप्टर से भी कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. लेकिन इनके झुंड इतने बड़े होते हैं कि उसका भी इनकी तादाद पर कोई खास असर नहीं पड़ता है.

Last Updated : May 31, 2020, 5:36 PM IST
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