भोपाल। पिछले 17 दिनों से मध्यप्रदेश में उठा सियासी तूफान आखिरकार कमलनाथ सरकार की कुर्बानी लेकर ही शांत हुआ, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजभवन पहुंचकर अपना त्यागपत्र राज्यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया है. तीन मार्च को दिग्विजय सिंह के ट्वीट के बाद सियासी हलचल शुरू हुई थी. उसी दिन रात में शिवराज सिंह और नरोत्तम मिश्रा दिल्ली रवाना हुए थे, जिसके बाद पीछे से जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह भी दिल्ली रवाना हुए थे और गुरूग्राम के एक होटल से रामबाई को वापस भोपाल लाए थे. इसके बाद एमपी के विधायक भोपाल से दिल्ली, बेंगलुरू, जयपुर, गुरुग्राम, बेंगलुरू और सीहोर आते जाते रहे. काफी जोर आजमाइश के बाद आखिरकार बीजेपी के सामने कांग्रेस पस्त हो गई और सीएम कमलनाथ ने आज दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफा देने का एलान किया. मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ ने आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसके मुख्य बिंदु हैं.
- प्रदेश को सही रास्ते पर लाने के लिए जनता ने मुझे 5 साल का मौका दिया था.
- मेरा प्रयास था कि मध्यप्रदेश की तुलना छोटे राज्यों से नहीं, बल्कि बड़े राज्यों से हो.
- कमलनाथ ने कहा कि मुझे 15 महीने मिले, जिसमें ढाई महीने लोकसभा चुनाव में निकल गए.
- मेरी सरकार के विकास कार्य बीजेपी को पसंद नहीं आए.
- पहले दिन से बीजेपी कहती रही कि ये सरकार महीने भर की है, ये सब जानते हैं.
- पहले दिन से बीजेपी ने सरकार गिराने का खेल शुरु कर दिया था.
- हमारे 22 विधायकों को बेंगलुरु के रिजॉर्ट में बंधक बनाकर रखा.
- प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी.
- विधानसभा में हमने बहुमत साबित किया तो बीजेपी को ये बर्दाश्त नहीं हुआ
- प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ विश्वासघात किया गया.
- बीजेपी को चिंता थी कि प्रदेश विकास की एक नई दिशा में चल रहा है.
- 15 महीने में 2 लाख किसानों का कर्ज माफ, दूसरे चरण में 7.5 लाख किसानों की कर्जमाफी प्रक्रिया जारी.
- 15 महीनों में माफिया के खिलाफ अभियान चलाया, जो बीजेपी को पसंद नहीं आया.
- 15 साल में बीजेपी के कार्यकाल में माफिया कैसे पनपे, ये जनता जानती है.
- युवाओं को रोजगार देने के लिए युवा स्वाभिमान योजना शुरु की.
- 15 महीने तक प्रदेश में मिलाटव के खिलाफ (शुद्ध के लिए युद्ध) अभियान चलाया.
- प्रदेश की सड़कों पर घूम रही गायों के लिए एक हजार गौशाला बनाना बीजेपी को पसंद नहीं.
- प्रदेश को भय मुक्त और सुरक्षित बनाया.
- कन्या विवाह योजना की राशि 28 हजार से 55 हजार किया, ये भी बीजेपी को पसंद नहीं आया.
- राम वन पथ गमन का संकल्प लिया, श्रीलंका में माता सीता का मंदिर बनाने का संकल्प बीजेपी को पसंद नहीं.
- महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए 300 करोड़ की योजना.
- 15 महीनों में हमने 400 वचन को पूरा किया.
- प्रदेश में निरंतर निवेश आता रहे, ये निवेश विश्वास से आता है, ये हमारी कोशिश रही.
- चुनौतियों का हमेशा सामना करेंगे, कठिनाइयों के आगे न झुकेंगे, न रुकेंगे.
- मध्यप्रदेश एक नई पहचान बनाने जा रहा है, इससे बीजेपी को भय था.
- बीजेपी न मेरे प्रदेश को हरा सकती है और न मेरे हौसले को, इससे मेरा हौसला और बढ़ेगा.
- अपने राजनीतिक जीवन में कुछ मूल्यों का पालन किया, वो हमेशा करता रहूंगा
- बीजेपी अपनी साजिशों में कभी कामयाब नहीं होंगे.
- जहां भी रहे, हमारे पास पद हो या नहीं, लेकिन प्रदेश की भलाई के काम में लगे रहेंगे.
- 9 मार्च को 16 विधायकों को लेकर किस प्लेन से गई, उनका खर्च कौन उठा रहा है, ये सब जानते हैं.
16 मार्च को स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया था. जिससे नाराज बीजेपी व शिवराज सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 17 मार्च से शुरु हुई सुनवाई तीन दिन तक चली और 19 मार्च को कोर्ट ने 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया. जहां आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कमलनाथ ने इस्तीफे का एलान किया. इसके बाद वे एक बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल लालजी टंडन को इस्तीफा सौंप दिया.
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आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है , लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं ।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 20, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता।
मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूँगा।
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— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 20, 2020
मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता।
मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूँगा।आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है , लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं ।
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मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता।
मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूँगा।
इस्तीफा सौंपने के बाद कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है. लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं. मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता. मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूंगा.