भोपाल। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मध्यप्रदेश अपना स्थापना दिवस मनाने के लिए तैयार है. 31 अक्टूबर को मध्यप्रदेश गठन के 63 साल पूरे हो जाएंगे, साथ ही एक नबंवर को 64वें साल में प्रवेश करेगा, 63 साल पहले प्रदेश कैसे अस्तित्व में आया और भोपाल को कैसे राजधानी बनाया गया. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद 1951-1952 में देश में पहले आम चुनाव हुए. जिसके बाद संसद और विधान मण्डल कार्यशील हुए. सन 1956 में राज्यों का पुर्नगठन किया गया, जिसके बाद एक नवंबर 1956 को नए राज्य के रूप में मध्यप्रदेश का गठन हुआ.
इन राज्यों से मिलकर बना मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश का गठन तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर किया गया. उस समय इनकी अपनी विधानसभाएं हुआ करती थीं. म्ध्यप्रदेश निर्माण से पहले इस क्षेत्र को मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था. एक नवंबर 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही भोपाल को मध्यप्रदेश की राजधानी के रूप में चुन लिया गया. राजधानी बनने के बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित कर दिया गया, मध्यप्रदेश गठन के समय कुल जिलों की संख्या 43 थी. अब मध्यप्रदेश में कुल 53 जिले हैं.
राजधानी के लिए इन शहरों में था मुकाबला
राजधानी के लिए राज्य के कई बड़े शहरों में आपसी लड़ाई चल रही थी, सबसे पहला नाम ग्वालियर फिर इंदौर का गूंज रहा था. साथ ही राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम भी सुझाया था, लेकिन भोपाल में भवन ज्यादा थे, जो सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त थे, इसी वजह से भोपाल को प्रदेश की राजधानी के तौर पर चुना गया था.