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Gupt Navratra 2021: नौकरी की अड़चन होगी दूर, गुप्त नवरात्र में करें ये उपाय!

या देवी सर्वभूतेषु...हे देवी जहां आपका निवास है, वहां आपत्ति और विपदा आ ही नहीं सकती. देवी के एक एक मंत्र में वो शक्ति है वो भाव है कि आम सा व्यक्ति भी विशेष बन जाता है. जीवन की आपाधापी से उसे छुटकारा मिल जाता है और वह सुमार्ग पर चल पड़ता है.

Gupt Navratri 2021
इस बार गुप्त नवरात्र 2021 में करें ये उपाय
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Published : Jul 11, 2021, 6:31 AM IST

भोपाल। प्रत्यक्ष नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र पर मातृशक्तियों का आह्वान होता है. प्रत्यक्ष में जहां 9 देवी स्वरूपों की पूजा होती है वहीं गुप्त में 10 महाविद्याओं की वंदना होती है. दरअसल, देवी दुर्गा सूक्ष्म जगत में दस महाविद्या हैं. सृष्टि के कल्याण के लिए उन्होंने अलग-अलग समय अलग स्वरूपों में अवतार लिया और प्रकट हुईं. तंत्र साधना की कुंजी भी माता के पास है. इस बार कुछ ऐसे योगों का भी संयोग है कि कष्टों से मुक्ति मिलेगी.

Ashad Month Gupt Navratri 2021: जानिए ! गुप्त नवरात्रि में इस बार बन रहा है कौन सा योग?

गुप्त नवरात्र में दुर्गा के 10 स्वरूपों की होती है पूजा

हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है जबकि गुप्त में दुर्गा माता के 10 रूप पूजे जाते हैं. गुप्त नवरात्रि में जिन 10 देवियों की पूजा अर्चना की जाती है, वे हैं. मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी.

मौसम में हो रहे परिवर्तन के साथ करें ये उपाय

आषाढ़ महीना बरसात का होता है. इसलिए तमाम तरह के संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है. इससे बचने के लिए गुप्त नवरात्र की व्यवस्था हमारे ऋषि मुनियों ने की. क्योंकि नवरात्र के दौरान नियम और संयम से रहा जाता है. जिससे संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में ताकत और बढ़ जाती है. इस दौरान देवी की पूजा में औषधीय जड़ी-बूटी वाली हवन सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे वातावरण शुद्ध होता है और बीमारियां नहीं फैलती है.

क्यों कहते हैं गुप्त नवरात्र

हिंदू कैलेंडर में आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष के शुरुआती 9 दिनों को गुप्त नवरात्र कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव और शक्ति की उपासना की जाती है. साथ ही देवी की दस महाविद्याओं की भी साधना करते हैं. ये नवरात्र खासतौर से गुप्त सिद्धियां पाने का समय है. इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा गया है. जबकि चैत्र (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्र (सितंबर-अक्टूबर) में सार्वजनिक तौर से माता की भक्ति करने का विधान है.

गुप्त नवरात्र का महत्व

चारों नवरात्र हर साल तीन-तीन महीने की दूरी पर आती हैं. प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र, गुप्त आषाढ़, प्रत्यक्ष आश्विन और गुप्त पौष माघ में मां दुर्गा की उपासना करके इच्छित फल की प्राप्ति की जाती है. प्रत्यक्ष नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्र में 10 महाविघा की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रों का महत्व, प्रभाव और पूजा विधि बताने वाले ऋषियों में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार,

गुप्त नवरात्रि कथा (Gupt Navratri katha)

कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे. अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती. धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती. यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती.

मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं. ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए. ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है. इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है. यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं.

ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती. उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की. मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा. उसके घर में सुख-शांति आ गई. पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया. गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा.

कुछ उपाय जो समस्याओं पर करेंगे प्रहार

कुंडली के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए- कुंडली के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए या उनसे छुटकारा पाने के लिए गुप्‍त नवरात्र में ग्रह शांति यज्ञ करवाने की सलाह जानकार देते हैं. ऐसा माना जाता है कि गुप्‍त नवरात्र में की जाने वाली यह पूजा बेहद असरदार होती है और आपकी कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करती है.

नौकरी संबंधी परेशानियों में- नौकरी तो कर रहें हैं लेकिन आशातीत सफलता हाथ नहीं लग रही. तरक्की की आस में दिन गुजर रहें हैं. या फिर नौकरी की तलाश पूरी नहीं हो पा रही तो इस बार गुप्‍त नवरात्र में अपनी कुलदेवी की पूजा या अनुष्‍ठान करवा सकते हैं. ऐसा करने से आपकी समस्‍याएं काफी हद तक कम हो जाएंगी.

व्यावसायिक सफलता के लिए- अगर आपका व्‍यापार इस वक्‍त मंदा चल रहा है तो गुप्त नवरात्र में य‍ह उपाय करें, लाभ मिलेगा. भोजपत्र पर केसर से स्‍वास्तिक का चिह्न बनाकर रोजाना मां लक्ष्‍मी के मंत्रों से इसकी पूजा करें और नवमी के दिन इस भोजपत्र को अपने धन के स्‍थान में रख लें. व्‍यापार में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होगी.

भोपाल। प्रत्यक्ष नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र पर मातृशक्तियों का आह्वान होता है. प्रत्यक्ष में जहां 9 देवी स्वरूपों की पूजा होती है वहीं गुप्त में 10 महाविद्याओं की वंदना होती है. दरअसल, देवी दुर्गा सूक्ष्म जगत में दस महाविद्या हैं. सृष्टि के कल्याण के लिए उन्होंने अलग-अलग समय अलग स्वरूपों में अवतार लिया और प्रकट हुईं. तंत्र साधना की कुंजी भी माता के पास है. इस बार कुछ ऐसे योगों का भी संयोग है कि कष्टों से मुक्ति मिलेगी.

Ashad Month Gupt Navratri 2021: जानिए ! गुप्त नवरात्रि में इस बार बन रहा है कौन सा योग?

गुप्त नवरात्र में दुर्गा के 10 स्वरूपों की होती है पूजा

हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है जबकि गुप्त में दुर्गा माता के 10 रूप पूजे जाते हैं. गुप्त नवरात्रि में जिन 10 देवियों की पूजा अर्चना की जाती है, वे हैं. मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी.

मौसम में हो रहे परिवर्तन के साथ करें ये उपाय

आषाढ़ महीना बरसात का होता है. इसलिए तमाम तरह के संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है. इससे बचने के लिए गुप्त नवरात्र की व्यवस्था हमारे ऋषि मुनियों ने की. क्योंकि नवरात्र के दौरान नियम और संयम से रहा जाता है. जिससे संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में ताकत और बढ़ जाती है. इस दौरान देवी की पूजा में औषधीय जड़ी-बूटी वाली हवन सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे वातावरण शुद्ध होता है और बीमारियां नहीं फैलती है.

क्यों कहते हैं गुप्त नवरात्र

हिंदू कैलेंडर में आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष के शुरुआती 9 दिनों को गुप्त नवरात्र कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव और शक्ति की उपासना की जाती है. साथ ही देवी की दस महाविद्याओं की भी साधना करते हैं. ये नवरात्र खासतौर से गुप्त सिद्धियां पाने का समय है. इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा गया है. जबकि चैत्र (मार्च-अप्रैल) और शारदीय नवरात्र (सितंबर-अक्टूबर) में सार्वजनिक तौर से माता की भक्ति करने का विधान है.

गुप्त नवरात्र का महत्व

चारों नवरात्र हर साल तीन-तीन महीने की दूरी पर आती हैं. प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र, गुप्त आषाढ़, प्रत्यक्ष आश्विन और गुप्त पौष माघ में मां दुर्गा की उपासना करके इच्छित फल की प्राप्ति की जाती है. प्रत्यक्ष नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्र में 10 महाविघा की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रों का महत्व, प्रभाव और पूजा विधि बताने वाले ऋषियों में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार,

गुप्त नवरात्रि कथा (Gupt Navratri katha)

कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे. अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती. धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती. यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती.

मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं. ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए. ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है.

उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है. इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है. यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं.

ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती. उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की. मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा. उसके घर में सुख-शांति आ गई. पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया. गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा.

कुछ उपाय जो समस्याओं पर करेंगे प्रहार

कुंडली के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए- कुंडली के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए या उनसे छुटकारा पाने के लिए गुप्‍त नवरात्र में ग्रह शांति यज्ञ करवाने की सलाह जानकार देते हैं. ऐसा माना जाता है कि गुप्‍त नवरात्र में की जाने वाली यह पूजा बेहद असरदार होती है और आपकी कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करती है.

नौकरी संबंधी परेशानियों में- नौकरी तो कर रहें हैं लेकिन आशातीत सफलता हाथ नहीं लग रही. तरक्की की आस में दिन गुजर रहें हैं. या फिर नौकरी की तलाश पूरी नहीं हो पा रही तो इस बार गुप्‍त नवरात्र में अपनी कुलदेवी की पूजा या अनुष्‍ठान करवा सकते हैं. ऐसा करने से आपकी समस्‍याएं काफी हद तक कम हो जाएंगी.

व्यावसायिक सफलता के लिए- अगर आपका व्‍यापार इस वक्‍त मंदा चल रहा है तो गुप्त नवरात्र में य‍ह उपाय करें, लाभ मिलेगा. भोजपत्र पर केसर से स्‍वास्तिक का चिह्न बनाकर रोजाना मां लक्ष्‍मी के मंत्रों से इसकी पूजा करें और नवमी के दिन इस भोजपत्र को अपने धन के स्‍थान में रख लें. व्‍यापार में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होगी.

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