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संगीतकार खय्याम की याद में 'करोगे याद तो' कार्यक्रम का आयोजन, गीतकारों ने दी श्रद्धांजलि

भोपाल में मशहूर संगीतकार खय्याम की याद में 'करोगे याद तो' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के माध्यम से गीतकारों ने खय्याम साहब को श्रद्धांजलि दी.

'करोगे याद तो' कार्यक्रम
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Published : Sep 15, 2019, 8:47 AM IST

भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में मशहूर संगीतकार खय्याम को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए संगीतमय शाम का आयोजन किया गया. यह आयोजन खुशबू एजूकेशनल एण्ड कल्चरल सोसायटी द्वारा किया गया. संगीतकार खय्याम की याद में 'करोगे याद तो' कार्यक्रम में युवा गीतकारों ने उनके गीत गाकर संगीत कि दुनिया में उनके योगदान को याद किया.

संगीतकार खय्याम को श्रद्धांजलि

कार्यक्रम के आयोजक साजिद प्रेमी ने कहा कि खय्याम साहब ने संगीत के माध्यम से लोगों के दिल में जगह बनाई है. उन्होंने अपने जीवन काल में इतने मशहूर गीत लिखे हैं जो आज भी युवाओं के द्वारा गुनगुनाए जाते हैं. उनका संगीत आज भी अमर है और आगे भी अमर ही रहेगा. उनके संगीत के कायल दुनिया भर में मिल जाएंगे. आज वह हमारे बीच में नहीं हैं इसीलिए उन्हें याद करने की दृष्टि से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

खचा खच भरे सभागार में आमंत्रित गायकों ने खय्याम द्वारा संगीतबद्ध एक से बढ़कर एक गीतों और गजलों की प्रस्तुति दी. अली राशिद ने 'जिन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है' दीपा श्रीवास्तव ने 'इन आंखों की मस्ती के' वाणी पुरोहित ने 'ऐ दिलए नादां' और 'ये क्या जगह है दोस्तों' और सृष्टि माहुरकर ने 'मेरे हमनफस मेरे हम नवा' गजल गाई. कार्यक्रम के माध्यम से सभी कला प्रेमियों ने उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की है.

भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में मशहूर संगीतकार खय्याम को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए संगीतमय शाम का आयोजन किया गया. यह आयोजन खुशबू एजूकेशनल एण्ड कल्चरल सोसायटी द्वारा किया गया. संगीतकार खय्याम की याद में 'करोगे याद तो' कार्यक्रम में युवा गीतकारों ने उनके गीत गाकर संगीत कि दुनिया में उनके योगदान को याद किया.

संगीतकार खय्याम को श्रद्धांजलि

कार्यक्रम के आयोजक साजिद प्रेमी ने कहा कि खय्याम साहब ने संगीत के माध्यम से लोगों के दिल में जगह बनाई है. उन्होंने अपने जीवन काल में इतने मशहूर गीत लिखे हैं जो आज भी युवाओं के द्वारा गुनगुनाए जाते हैं. उनका संगीत आज भी अमर है और आगे भी अमर ही रहेगा. उनके संगीत के कायल दुनिया भर में मिल जाएंगे. आज वह हमारे बीच में नहीं हैं इसीलिए उन्हें याद करने की दृष्टि से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

खचा खच भरे सभागार में आमंत्रित गायकों ने खय्याम द्वारा संगीतबद्ध एक से बढ़कर एक गीतों और गजलों की प्रस्तुति दी. अली राशिद ने 'जिन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है' दीपा श्रीवास्तव ने 'इन आंखों की मस्ती के' वाणी पुरोहित ने 'ऐ दिलए नादां' और 'ये क्या जगह है दोस्तों' और सृष्टि माहुरकर ने 'मेरे हमनफस मेरे हम नवा' गजल गाई. कार्यक्रम के माध्यम से सभी कला प्रेमियों ने उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की है.

Intro: मशहूर संगीतकार खय्याम को श्रद्धांजलि देकर उनके गीतों को किया गया याद


भोपाल | राजधानी के जनजातीय संग्रहालय में मशहूर संगीतकार खय्याम को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए संगीतमय शाम का आयोजन किया गया यह आयोजन खुशबू एजूकेशनल एण्ड कल्चरल सोसायटी द्वारा आयोजित किया गया मूर्धन्य संगीतकार ख़य्याम की याद में ”करोगे याद तो " कार्यक्रम में युवा गीतकारों ने उनके गीत गाकर संगीत कि दुनिया में उनके योगदान को याद किया .Body:कार्यक्रम के आयोजक साजिद प्रेमी का कहना है कि खय्याम साहब ने संगीत के माध्यम से लोगों के दिल में जगह बनाई है उन्होंने अपने जीवन काल में इतने मशहूर गीत लिखे हैं जो आज भी युवाओं के द्वारा गुनगुनाए जाते हैं उनका संगीत आज भी अमर है और आगे भी अमर ही रहेगा क्योंकि उन्होंने इस प्रकार का संगीत दिया है जिसे दुनिया ने सराहा है उनके संगीत के कायल दुनिया भर में मिल जाएंगे आज वह हमारे बीच में नहीं है इसीलिए उन्हें याद करने की दृष्टि से आज यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी कला प्रेमियों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की है .Conclusion:कार्यक्रम की शुरुआत युवा गायक वाणि पुरोहित ने उमरावजान का बहुचर्चित गीत ”दिल चीज़ है क्या आप मेरी जान“ से की तो पूरे सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं ने संगीतकार ख़य्याम को तालियां बजाकर श्रृधांजलि अर्पित की .कभी न भुलाये जाने वाले गीत ”आई ज़ंजीर की झंकार खुदा खैर करे“ व ”हिज्र मेरा नसीब है“ की प्रस्तुति वरिष्ठ गायक राजीव सिंह ने प्रस्तुत किये। वरिष्ठ गायक डाॅ. नीना श्रीवास्तव ने ”तुम अपने रंजो ग़म अपनी परेशानी“ व ”चाँद तनहा है आस्मा तनहा“ गा कर खूब प्रशंसा प्राप्त की . सै. मज़हर अली ने कभी-कभी का शीर्षक गीत ”कभी कभी मेरे दिल में“ व ”मैं पल दो पल का शायर हूँ” व तारिक़ अंसारी ने ”कभी किसी को मुकम्मल जहाँ“ ”शामे ग़म की क़सम“ गीतों को गाया.
         

खचा खच भरे सभागार में आमंत्रित गायकों ने ख़य्याम द्वारा संगीतबद्ध एक से बढ़कर एक गीतों व ग़ज़लों की प्रस्तुति दी . अली राशिद ने ”जिन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है“ दीपा श्रीवास्तव ने ”इन आँखों की मस्ती के“ वाणी पुरोहित ने ”ऐ दिलए नादां“ “ये क्या जगह है दोस्तों“ और सृष्टि माहुरकर ने ”मेरे हमनफस मेरे हम नवा“ ग़ज़ल गा कर प्रशंसा पाई. शीर्षक गीत “करोगे याद तो ....” ग़ज़ल सिंगर याकूब मलिक खान ने गाया। युवा गायक शुजाअत ने एकल गाना ”ऐसी हसीन चाँदनी पहले“ व दो गीत ”सिमटी हुई कलियाँ फिर से“ की प्रस्तुति दी .
         

                                    
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