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उपभोक्ता सूची में छूटे वास्तविक गरीब को जोड़ने का काम हमारी सरकार ने शुरू किया था: कमलनाथ

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बुधवार को अन्न उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसके तहत 37 लाख नए लाभार्थियों को शामिल किया है. इस आयोजन को लेकर कमलनाथ ने कहा कि इसकी शुरूआत उनके मुख्यमंत्री रहते हुए की गयी थी. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Sep 17, 2020, 12:05 AM IST

Kamalnath statement on shivraj government food festival
अन्न उत्सव पर कमलनाथ का बयान

भोपाल। शिवराज सरकार द्वारा अन्न उत्सव के पर्ची वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार की शुरुआत बताया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत यह प्रक्रिया कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी.


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान जारी करते हुए कहा कि बीजेपी 37 लाख नए लाभार्थियों को शामिल कर प्रदेश में अन्न उत्सव मना रही है, जबकि सच्चाई यह है कि हमारी सरकार ने पहले वर्ष में ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता सूची में पूर्व में सम्मिलित परिवारों के सत्यापन और अपात्र परिवारों को हटाकर छूटे हुए वास्तविक गरीब परिवारों को सूची में जोड़ने का काम प्रारंभ किया था, जो कार्य पिछले कई वर्षों से नहीं हुआ था.

कमलनाथ ने कहा अधिनियम में शामिल 117.52 लाख पात्र परिवारों के 5 करोड़ 40 लाख हितग्राहियों का घर-घर जाकर सत्यापन सहित छूटे वास्तविक गरीब परिवारों के नाम जोड़ने का कार्य हमारी सरकार ने ही शुरू करवाया था. बायोमेट्रिक सत्यापन के आधार पर राशन कार्ड विवरण 18 लाख से बढ़ाकर 70.93 लाख परिवारों को अक्टूबर 2019 में देने का कार्य भी हमारी सरकार ने किया था.

कमलनाथ ने बताया कि समाज के गरीब तबके के लोगों को जीवन यापन में सहूलियत देने के उद्देश्य से हमारी सरकार में रियायती दरों पर खाद्यान्न और अन्य सुविधाएं देना शुरू किया गया था. पोर्टेबिलिटी योजना के तहत हमारी सरकार ने हितग्राही को किसी भी राशन की दुकान से खाद्यान्न लेने की सुविधा प्रदान की थी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश की 75 फीसदी आबादी यानी 5 करोड़ 40 लाख को ही लाभान्वित करने का प्रावधान था, जिसे हमारी सरकार ने वर्ष 2018 की बढ़ी हुई अनुमानित जनसंख्या के आधार पर बचे हुए 9 फीसदी यानी 71 लाख हितग्राहियों के लिए खाद्यान्न आवंटन करने की मांग भारत सरकार से की थी.

कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार ये बताए कि 37 लाख नए लाभार्थियों के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की उन्होंने क्या व्यवस्था की है ? क्या अन्य घोषणाओं की तरह सिर्फ चुनावी घोषणा बन कर रह जाएगी?

भोपाल। शिवराज सरकार द्वारा अन्न उत्सव के पर्ची वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार की शुरुआत बताया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत यह प्रक्रिया कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी.


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान जारी करते हुए कहा कि बीजेपी 37 लाख नए लाभार्थियों को शामिल कर प्रदेश में अन्न उत्सव मना रही है, जबकि सच्चाई यह है कि हमारी सरकार ने पहले वर्ष में ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता सूची में पूर्व में सम्मिलित परिवारों के सत्यापन और अपात्र परिवारों को हटाकर छूटे हुए वास्तविक गरीब परिवारों को सूची में जोड़ने का काम प्रारंभ किया था, जो कार्य पिछले कई वर्षों से नहीं हुआ था.

कमलनाथ ने कहा अधिनियम में शामिल 117.52 लाख पात्र परिवारों के 5 करोड़ 40 लाख हितग्राहियों का घर-घर जाकर सत्यापन सहित छूटे वास्तविक गरीब परिवारों के नाम जोड़ने का कार्य हमारी सरकार ने ही शुरू करवाया था. बायोमेट्रिक सत्यापन के आधार पर राशन कार्ड विवरण 18 लाख से बढ़ाकर 70.93 लाख परिवारों को अक्टूबर 2019 में देने का कार्य भी हमारी सरकार ने किया था.

कमलनाथ ने बताया कि समाज के गरीब तबके के लोगों को जीवन यापन में सहूलियत देने के उद्देश्य से हमारी सरकार में रियायती दरों पर खाद्यान्न और अन्य सुविधाएं देना शुरू किया गया था. पोर्टेबिलिटी योजना के तहत हमारी सरकार ने हितग्राही को किसी भी राशन की दुकान से खाद्यान्न लेने की सुविधा प्रदान की थी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार प्रदेश की 75 फीसदी आबादी यानी 5 करोड़ 40 लाख को ही लाभान्वित करने का प्रावधान था, जिसे हमारी सरकार ने वर्ष 2018 की बढ़ी हुई अनुमानित जनसंख्या के आधार पर बचे हुए 9 फीसदी यानी 71 लाख हितग्राहियों के लिए खाद्यान्न आवंटन करने की मांग भारत सरकार से की थी.

कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार ये बताए कि 37 लाख नए लाभार्थियों के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की उन्होंने क्या व्यवस्था की है ? क्या अन्य घोषणाओं की तरह सिर्फ चुनावी घोषणा बन कर रह जाएगी?

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