भोपाल। 73वां स्वतंत्रता दिवस समारोह में इस बार मीसाबंदियों का सम्मान नहीं किया जाएगा. कमलनाथ सरकार के इस फैसले के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए कहा कि उन्होंने आजादी की तीसरी लड़ाई लड़ी थी.
शिवराज ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि कमलनाथ को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करना चाहिए. मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने पूर्व सीएम के उस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि यह जरुरी नहीं है कि जो भ्रष्टाचार बीजेपी ने किया है वहीं फर्जीवाड़ा कांग्रेस सरकार करे.
नरेंद्र सलूजा ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान तो ऐसा करके आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले हजारों स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मीसाबांदियों की तुलना देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता सैनानियों के साथ करके उनका अपमान कर रहे हैं.
मीसाबंदियों पर भाजपा ने क्या बोला था
बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मीसाबंदी सम्मान निधि बंद हुई, तो कांग्रेस की ईंट से ईंट बजा देंगे. मीसाबंदी सम्मान निधि को तत्कालीन शिवराज सरकार ने विधेयक बना कर लागू किया था और अगर कमलनाथ सरकार को इसे बंद करना है, तो विधेयक को निरस्त करना होगा, जो कि विधानसभा में ही मुमकिन है. ऐसे में देखना ये है कि दूसरों से समर्थन लेकर बनाई गई सरकार इसमें सफल हो पाती है या नहीं.
भारतीय जनता पार्टी ने मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानियों का दर्जा देने वाली बीजेपी ने कांग्रेस को खुलेआम चेतावनी दी है. मध्यप्रदेश में दो हजार से अधिक मीसाबंदी 25 हजार रुपये महीने की पेंशन ले रहे हैं.
कब लागू हुई मीसाबंदी पेंशन
2008 में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मीसाबंदियों को 3 हजार और 6 हजार पेंशन देने का प्रावधान किया था. बाद में ये पेंशन राशि बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दी गई.
कब-कब बढ़ी पेंशन
इसके बाद प्रदेश सरकार ने 2017 में मीसाबंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी गई. प्रदेश में 2 हजार से ज़्यादा मीसाबंदियों की पेंशन पर सालाना करीब 75 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.