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जिया फारूकी ने राहत इंदौरी को किया याद, कहा- वे यूनिवर्सिटी में भी सुने जाते थे और मैदानों में भी

उर्दू शायरी के वरिष्ठ शायर और साहित्यकार जिया फारूकी ने प्रसिद्ध शायर डॉ. राहत इंदौरी के अचानक निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी इस दौर के बड़ा शायर थे, वह बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी और मुशायरा के बड़े-बड़े मैदानों दोनों के शायर थे.

Jia Farooqui
जिया फारूकी
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Published : Aug 11, 2020, 10:35 PM IST

भोपाल। उर्दू शायरी के वरिष्ठ शायर जिया फारूकी ने राहत इंदौरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी इस दौर के बड़े शायर थे. जिया फारूकी ने कहा कि इधर में 2 माह से देख रहा हूं कि बड़ी-बड़ी शख्सियत हमारे बीच से चली गई हैं, राहत इंदौरी उन्हीं बड़ी शख्सियतों में एक और नाम जुड़ गया.

जिया फारूकी ने राहत इंदौरी को दी श्रद्धांजलि

उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी एक बहुत बड़ा नाम था. आम और खास लोगों में भी वह यूनिवर्सिटी में भी सुने जाते थे और मैदानों में भी सुने जाते थे. वह जनता के शायर थे, जिसने उर्दू जुबान को जो उर्दू जुबान के नहीं थे उन तक पहुंचाया, जिससे कई हिंदी भाषी उर्दू सीखने लगे और गजल और शायरी को सुनने लगे, उसमें दिलचस्पी लेने लगे.

नई नस्ल जोकि 80 के बाद आई है, उनमें उर्दू सीखने की जो ललक पैदा हुई है, वह राहत इंदौरी की शायरी के बदौलत है. राहत इंदौरी दिलों में उतरने वाली शायरी करते थे, उसमें विद्रोह भी था और मोहब्बत की दास्तानें भी थी.

जिया फारूकी ने कहा कि उनकी शायरी में विद्रोह ज्यादा था. उनके लहजे में घन गरज थी, उनकी नकल करने वाले बहुत से आए, लेकिन उन जैसा अंदाज ना ला पाए. उन्होंने कहा कि हालांकि दुनिया बड़ी अजीब है, किसी की जगह खाली नहीं रहती, लेकिन इसमें दो राय नहीं है कि राहत इंदौरी को लोग बहुत दिनों तक नहीं भुला पाएंगे.

भोपाल। उर्दू शायरी के वरिष्ठ शायर जिया फारूकी ने राहत इंदौरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी इस दौर के बड़े शायर थे. जिया फारूकी ने कहा कि इधर में 2 माह से देख रहा हूं कि बड़ी-बड़ी शख्सियत हमारे बीच से चली गई हैं, राहत इंदौरी उन्हीं बड़ी शख्सियतों में एक और नाम जुड़ गया.

जिया फारूकी ने राहत इंदौरी को दी श्रद्धांजलि

उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी एक बहुत बड़ा नाम था. आम और खास लोगों में भी वह यूनिवर्सिटी में भी सुने जाते थे और मैदानों में भी सुने जाते थे. वह जनता के शायर थे, जिसने उर्दू जुबान को जो उर्दू जुबान के नहीं थे उन तक पहुंचाया, जिससे कई हिंदी भाषी उर्दू सीखने लगे और गजल और शायरी को सुनने लगे, उसमें दिलचस्पी लेने लगे.

नई नस्ल जोकि 80 के बाद आई है, उनमें उर्दू सीखने की जो ललक पैदा हुई है, वह राहत इंदौरी की शायरी के बदौलत है. राहत इंदौरी दिलों में उतरने वाली शायरी करते थे, उसमें विद्रोह भी था और मोहब्बत की दास्तानें भी थी.

जिया फारूकी ने कहा कि उनकी शायरी में विद्रोह ज्यादा था. उनके लहजे में घन गरज थी, उनकी नकल करने वाले बहुत से आए, लेकिन उन जैसा अंदाज ना ला पाए. उन्होंने कहा कि हालांकि दुनिया बड़ी अजीब है, किसी की जगह खाली नहीं रहती, लेकिन इसमें दो राय नहीं है कि राहत इंदौरी को लोग बहुत दिनों तक नहीं भुला पाएंगे.

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